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खालिस्तान समर्थकों द्वारा वर्षों पूर्व की गई रैली की तस्वीरों को हालिया किसान आंदोलन से जोड़कर किया गया वायरल

कृषि कानून के खिलाफ चल रहे आंदोलन से जोड़कर इन दिनों सोशल मीडिया पर कई तस्वीरें वायरल हो रही हैं। ऐसे में ट्विटर पर किसान आंदोलन से जोड़कर चार तस्वीरों का एक कोलाज वायरल हो रहा है। इन तस्वीरों में कई लोगों को खालिस्तान का समर्थन करते हुए देखा जा सकता है। कहा जा रहा है कि दिल्ली हरियाणा बॉर्डर पर किसान खालिस्तान का समर्थन कर रहे हैं।

ट्विटर पर इन तस्वीरों को शेयर करते हुए दावा किया जा रहा है कि आखिर क्यों हर विरोध धर्म के लिए उबलता है? ऐसे भयावह नारे लगाने वाले ये लोग कौन हैं? हम सिख बाद में हैं पहले हिंदुस्तानी हैं।

वायरल पोस्ट के आर्काइव वर्ज़न को यहां देखा जा सकता है।

देखा जा सकता है कि इस दावे को फेसबुक पर अलग-अलग यूज़र्स द्वारा शेयर किया जा रहा है।

देखा जा सकता है कि इस दावे को ट्विटर पर कई यूज़र्स द्वारा शेयर किया जा रहा है।

Fact Checking/Verification

कृषि कानून के खिलाफ चल रहे आंदोलन से जोड़कर शेयर की जा रही तस्वीरों की सत्यता जानने के लिए हमने पड़ताल शुरु की। Google Reverse Image Search की मदद से खंगालने पर हमें कुछ परिणाम मिले।

पहली तस्वीर

Google Reverse Image Search की मदद से खंगालने पर हमें Nationalia और पंजाब केसरी द्वारा प्रकाशित की गई मीडिया रिपोर्ट्स मिली। इन रिपोर्ट्स के मुताबिक 2018 में उत्तरी अमेरिकी प्रवासी भारतीय सिखों द्वारा प्रदर्शन किया गया था।  

कृषि कानून के खिलाफ चल रहे आंदोलन में नहीं लगाए गए खालिस्तान के नारे

दूसरी तस्वीर

Google Reverse Image Search की मदद से खंगालने पर हमें Getty Images और National Herald द्वारा प्रकाशित की गई मीडिया रिपोर्ट मिली। इसके मुताबिक न्यूयॉर्क में भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष के विरोध में कुछ सिखों द्वारा युद्ध विरोधी रैली निकाली गई थी।

कृषि कानून के खिलाफ चल रहे आंदोलन में नहीं लगाए गए खालिस्तान के नारे

तीसरी तस्वीर

Google Reverse Image Search की मदद से खंगालने पर हमें यह तस्वीर Getty Images और Mediafaxfoto पर मिली। इसके मुताबिक यह तस्वीर 6 जून, 2013 को अमृतसर के स्वर्ण मंदिर पर खींची गई थी। गौरतलब है कि 6 जून को घल्लूघारा दिवस मनाया जाता है और इस दिन 1984 में हुए ऑपरेशन ब्लू स्टार में मारे गए लोगों को याद किया जाता है।

कृषि कानून के खिलाफ चल रहे आंदोलन में नहीं लगाए गए खालिस्तान के नारे

चौथी तस्वीर

Google Reverse Image Search की मदद से खंगालने पर हमें The Quint और Opindia द्वारा प्रकाशित की गई मीडिया रिपोर्ट्स मिली।

कृषि कानून के खिलाफ चल रहे आंदोलन में नहीं लगाए गए खालिस्तान के नारे

Conclusion

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल हो रही तस्वीरों का बारीकी से अध्ययन करने पर हमने पाया कि पुरानी तस्वीरों को भ्रामक दावे के साथ शेयर किया जा रहा है। पड़ताल में हमने पाया कि वायरल तस्वीरों का हाल फिलहाल में चले रहे किसान आंदोलन से कोई लेना-देना नहीं है।


Result: Misleading


Our Sources

Punjab Kesari https://punjab.punjabkesari.in/punjab/news/referendum-2020-1083738

Nationalia https://www.nationalia.info/new/11162/sikh-diaspora-group-plans-unofficial-vote-in-2020-as-first-step-towards-punjab-independenc

National Herald https://www.nationalheraldindia.com/india/the-sikhs-and-referendum-2020

Getty Images https://www.gettyimages.in/detail/news-photo/activists-from-various-radical-sikh-organisations-hold-news-photo/170021458?irgwc=1&esource=AFF_GI_IR_TinEye_77643&asid=TinEye&cid=GI&utm_medium=affiliate&utm_source=TinEye&utm_content=77643

The Quint https://www.thequint.com/news/politics/farmers-protest-delhi-chalo-khalistan-bhindranwale-punjab-bku-indira-modi


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