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Fact Check
सोशल मीडिया पर एक शख्स का वीडियो वायरल हो रहा है, वीडियो में दिख रहा शख्स अपने साथियों के साथ मिलकर एक दरगाह को ध्वस्त करता नजर आ रहा है। वीडियो शेयर करने वाले यूज़र का दावा है कि राजस्थान के नागौर जिले में यह दरगाह किसी सरकारी जमीन पर अवैध रूप से बनाई गयी थी, जिसे कुछ हिन्दूवादी लोगों ने कल यानी 26 नवंबर को ध्वस्त कर दिया।
वायरल पोस्ट का आर्काइव लिंक यहाँ देखें।
ट्विटर पर वायरल हो रहे वीडियो के साथ दावा किया जा रहा है कि राजस्थान के नागौर जिले में अवैध रूप से बनी दरगाह को कुछ हिन्दूवादी लोगों ने ध्वस्त कर दिया। चूँकि वायरल वीडियो में दिख रहे लोगों में किसी ने भी मास्क नहीं पहना है इसलिए हमें वायरल वीडियो पुराना लगा। इसलिए वायरल वीडियो का सच जानने के लिए पड़ताल आरम्भ की।
पड़ताल के दौरान सबसे पहले वीडियो को कुछ कीफ्रेम्स में तोड़ा और फिर गूगल पर रिवर्स इमेज सर्च टूल के माध्यम से खोजा। लेकिन खोज के दौरान हमें वायरल वीडियो से संबंधित कोई ख़ास जानकारी नहीं मिली।

इसके बाद गूगल पर कीफ्रेम्स के साथ कुछ कीवर्ड्स की भी सहायता ली। लेकिन इस दौरान भी हमें वायरल वीडियो से संबंधित कोई जानकारी नहीं मिली।

वीडियो का सच जानने के लिए हमने राजस्थान के नागौर जिले के पुलिस अधीक्षक से (01582 242 464) सीधा संपर्क किया। वार्ता के दौरान उन्होंने बताया कि उनके इलाके में हालिया दिनों में ऐसी कोई घटना नहीं घटी है जहां किसी दरगाह को तोड़ा गया हो।
पुलिस अधीक्षक से बातचीत के दौरान यह साफ़ हो गया था कि वायरल वीडियो की घटना हालिया दिनों की नहीं है। इसके बाद अधिक जानकारी के लिए हमने वायरल वीडियो को गौर से देखा। जहां हमने पाया कि तोड़ी जा रही दरगाह का नाम ‘सैयद रमजान अली शाह बाबा‘ है।

जिसके बाद गूगल पर ‘सैयद रमजान अली शाह बाबा’ को ध्वस्त कर आग लगाई ‘ को कीवर्ड्स के रूप में इस्तेमाल कर वीडियो की जानकारी प्राप्त करने का प्रयास किया। इस दौरान हमें वायरल वीडियो फेसबुक के Aap Tak नामक पेज द्वारा 9 अक्टूबर साल 2017 को किये गए एक पोस्ट में मिला। वीडियो के साथ पोस्ट में जानकारी देते हुए इसे राजस्थान के नागौर जिले का ही बताया गया है।

उपरोक्त फेसबुक पोस्ट में मिले वीडियो से यह स्पष्ट हो गया था कि वायरल वीडियो हालिया दिनों का नहीं बल्कि साल 2017 का है। इसके बाद हमने वीडियो की अधिक जानकारी के लिए गूगल पर और बारीकी से खोजा। खोज के दौरान हमें वायरल वीडियो एक और फेसबुक पेज के एक पोस्ट में मिला, जिसे 6 अक्टूबर साल 2017 को अपलोड किया गया था। यहाँ भी वीडियो की घटना को नागौर जिले का बताया गया है।

वायरल वीडियो की पड़ताल के दौरान हमें मिले तथ्यों से पता चला कि वीडियो की घटना हाल के दिनों की नहीं बल्कि कई वर्ष पुरानी है साथ ही यह वीडियो नागौर का ही है यह भी प्रामाणित नहीं हो पाया। यदि वीडियो से सम्बंधित कोई अन्य जानकारी प्राप्त होती है तो आर्टिकल को अपडेट किया जाएगा।
https://www.facebook.com/watch/?v=136178910352437
https://www.facebook.com/watch/?v=350506595398685
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