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Claim
विकास पाठक नाम के एक युवक ने अपनी मां ज्योति पाठक से ही शादी कर ली.
Fact
वायरल तस्वीर में दिख रही महिला का नाम विजय कुमारी है, जिसे अपने बेटे कन्हैया की वजह से जमानत मिली थी.
सोशल मीडिया पर वायरल एक महिला और एक लड़के की तस्वीर के जरिए यह दावा किया जा रहा है कि विकास पाठक नाम के एक युवक ने अपनी मां ज्योति पाठक से ही शादी कर ली.
हालांकि, हमने अपनी जांच में पाया कि वायरल तस्वीर में दिख रही महिला और युवक आपस में मां-बेटे हैं. महिला का नाम विजय कुमारी और बेटे का नाम कन्हैया है. यह तस्वीर 11 साल पहले कई मीडिया आउटलेट्स ने छापी थी, जब 19 साल तक जेल काटने वाली विजय कुमारी को अपने बेटे कन्हैया की वजह से ही जेल से रिहाई मिली थी.
वायरल तस्वीर एक वीडियो में मौजूद है, जिसमें बैकग्राउंड ऑडियो भी मौजूद है. ऑडियो में कहा जा रहा है कि ज्योति पाठक नाम की एक महिला ने अपने पति की मौत के तीन साल बाद अपने बेटे विकास पाठक से ही शादी कर ली.
वीडियो को वायरल दावे वाले कैप्शन के साथ शेयर किया गया है, जिसमें लिखा हुआ है “देखो हिन्दुओ विकास पाठक ने अपनी माँ-ज्योति पाठक से शादी करके बीबी बना लिया! और तुम हलाल। के नाम पर मुसलामानों को बदनाम करते हो”.
Newschecker ने वीडियो में नजर आ रही तस्वीर को रिवर्स इमेज सर्च किया. इस दौरान हमें द फुकेट न्यूज नाम की वेबसाइट पर 13 जून 2013 को प्रकाशित रिपोर्ट मिली. इस रिपोर्ट में वायरल तस्वीर मौजूद थी.
फुकेट न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, तस्वीर में दिख रही महिला का नाम विजय कुमारी है, जो मूल रूप से उत्तर प्रदेश की रहने वाली हैं. साल 1993 में विजय को अपने पड़ोसी की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. जब विजय को गिरफ्तार किया गया था तब वह गर्भवती थी. लखनऊ जेल में रहते हुए ही उसने कन्हैया नाम के बेटे को जन्म दिया. साल 1996 में कोर्ट ने विजय को जमानत भी दी थी, लेकिन उसके पति द्वारा मुचलके ना भर पाने की वजह से वह जेल में ही रही. जन्म के छह साल बाद तक कन्हैया अपनी मां के पास ही रहा लेकिन बाद में उसे बाल सुधार गृह भेज दिया गया.
इसके बाद उसके बेटे कन्हैया ने एक कपड़े की कंपनी में काम करना शुरू किया और पैसे बचाने शुरू किए. बचाए हुए पैसों से उसने अपनी मां की जमानत भरी. जिसके बाद साल 2013 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उसकी मां विजय कुमारी को रिहा कर दिया.
प्राप्त जानकारी के आधार पर कीवर्ड सर्च किया तो हमें गल्फ न्यूज नाम की वेबसाइट पर भी 12 जुलाई 2013 को प्रकाशित रिपोर्ट मिली. इस रिपोर्ट में भी उक्त मां बेटे की तस्वीर मौजूद थी. साथ ही रिपोर्ट में विजय कुमारी और उसके बेटे कन्हैया की जुबानी भी मौजूद थी.
रिपोर्ट में दी गई जानकारी के अनुसार, उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के एक गांव में अपने पति कांति प्रसाद के साथ रहने विजय कुमारी को 22 अक्टूबर 1993 को पड़ोसी के बच्चे की हत्या में जेल भेज दिया गया था. उक्त बच्चे की लाश एक कूड़े के ढेर से मिली थी. हालांकि, विजय ने उस हत्या में किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया था. विजय को इस मामले में उम्रकैद की सजा मिली थी और उसे लखनऊ के आदर्श नारी बंदी निकेतन महिला जेल भेजा गया था.
जेले भेजे जाने के दौरान विजय गर्भवती थी. हालांकि पहले से ही उसके दो बच्चे रवि शर्मा और चंद्रावती थे. जेल में ही विजय ने बच्चे को जन्म दिया और उसका नाम कन्हैया रखा गया. कन्हैया का लालन पालन जेल में ही हुआ. विजय के पति कांति प्रसाद की अपील पर साल 1994 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उसे जमानत दी, लेकिन 5000 रुपए का बांड नहीं भर पाने की वजह से वह जेल में ही रही. विजय के अनुसार, “जेल में रहने के दौरान उसके परिवार से कोई मिलने नहीं आता था. इतना ही नहीं उसके पति भी कभी कभार मिलने आते थे. इसी दौरान उसे यह भी पता चला कि उसके बड़े बेटे रवि शर्मा की मौत कुत्ते के काटने की वजह से हो गई है”.
जन्म के बाद छह सालों तक कन्हैया अपनी मां के पास जेल में ही रहा. इसके बाद जेल नियमों के अनुसार, उसे बाल सुधार गृह भेज दिया गया था. 18 साल तक वह सुधार गृह में रहा और फिर उसे कानपुर के उत्तर रक्षा एवं पुनर्वासन केंद्र में भेज दिया. यहां रहते हुए उसने कपड़े की फैक्ट्री में काम करने वाली ट्रेनिंग ली और बाद में उसे 3000 रुपए महीने वाली नौकरी मिली. नौकरी से मिलने वाले पैसे उसने अपनी मां की जमानत के लिए बचाने शुरू कर दिए. इसी दौरान अपनी मां को जेल से मिली एक जानकारी के आधार पर वह प्रयागराज के एक वकील अरविंद कुमार सिंह से मिला.
अरविंद कुमार सिंह ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय पहुंच कर जमानत की अपील की, जिसे कोर्ट ने कन्हैया की आपबीती के आधार पर स्वीकार कर लिया और विजय कुमारी को रिहा कर दिया. साथ ही कोर्ट ने सरकार को यह भी पता करने का आदेश दिया कि ऐसी महिला कैदियों की जानकारी निकाले जो बेल मिलने के बाद भी जमानत नहीं भर पाने की वजह से जेल में ही बंद हैं. 4 मई 2013 को इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के आधार पर विजय कुमारी को जेल से रिहा कर दिया गया.
इसके अलावा, हमें बीबीसी हिंदी की वेबसाइट पर भी 24 मई 2013 को प्रकाशित रिपोर्ट मिली. इस रिपोर्ट में भी वह सब जानकारी दी गई थी, जो ऊपर मौजूद है. साथ ही इस रिपोर्ट में विजय कुमारी और उसके बेटे कन्हैया की तस्वीर भी मौजूद थी.
इसके बाद हमने विकास पाठक और ज्योति पाठक वाले दावे की भी पड़ताल की, लेकिन हमें इससे जुड़ी कोई विश्वसनीय न्यूज रिपोर्ट नहीं मिली.
हमारी जांच में मिले साक्ष्यों से यह स्पष्ट है कि वायरल तस्वीर में दिख रहे महिला और पुरूष आपस में मां-बेटे हैं. महिला का नाम विजय कुमारी और बेटे का नाम कन्हैया है. इस तस्वीर के जरिए सोशल मीडिया पर दुष्प्रचार किया जा रहा है।
Our Sources
Article published by the phuket news on 13th June 2013
Article published by gulf news on 12th July 2013
Article published by BBC hindi on 24th may 2013
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