Claim
सोशल मीडिया में नेता जी सुभाष चंद्र बोस की करेंसी और जवाहर लाल नेहरू द्वारा उसको एंड कराये जाने के विषय को लेकर एक खबर चर्चा का विषय बनी हुई है। शेयर चैट पर एक यूजर द्वारा इस चित्र को क्लेम किया गया है। वायरल हो रहे सन्देश में लिखा है कि ‘नेताजी सुभाष चंद्र बोस की तस्वीर वाली 5 रुपये की करेंसी जिसे जवाहरलाल नेहरू ने सत्ता में आते ही बंद करवा दिया था ताकि देशवासी इस सच्चे देशभक्त को भूल जाएँ, इस पोस्ट को इतना शेयर कीजिये जिससे देशवाशियों को पता चल सके’
Verification
नेताजी की फोटो लगे 5 रुपये के नोट को नेहरू द्वारा बंद किये जाने को लेकर वायरल हो रही खबर को जब हमने रिवर्स इमेज सर्च किया तो इस दौरान मिले परिणामों को नीचे स्क्रीनशॉट में देखा जा सकता है।
पड़ताल के दौरान हमें ट्वीटर के कुछ ऐसे यूजर दिखे जिन्होंने सुभाष चंद्र बोस की फोटो लगी तस्वीर को शेयर किया था। एक यूजर आजाद हिन्दुस्तानी ने लिखा है “जब बीजेपी पश्चिम बंगाल में जीत हासिल करेगी, मुझे लगता है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस वाली तस्वीर वाला note एक बार फिर शुरू करना चाहिए”। हालांकि यह नोट वायरल हो रहे नोट से अलग है लेकिन इस पर भी नेताजी की तस्वीर लगी है।
एक अन्य यूजर चौकीदार लोकेश बैसोया ने लिखा है कि ‘नेताजी सुभाष चंद्र बोस की तस्वीर वाला 10 का नोट जिसे नेहरू ने बंद करवा दिया था’।
खोज के अगले पड़ाव पर जब हमने गूगल टूल की मदद से आजाद हिन्द फ़ौज करेंसी डालकर सर्च किया तो हमें मिले परिणाम का स्क्रीनशॉट नीचे देखा जा सकता है।
खबर को बारीकी से खोजने के दौरान हमें
दैनिक भास्कर का एक लेख प्राप्त हुआ जिसकी हेडलाइन है ‘पहली बार देखिए आजाद हिंद सरकार की करेंसी’ इस लेख में 1 लाख रुपये के नोट का भी जिक्र है।
खबर की पड़ताल के दौरान ही हमें
दैनिक जागरण का एक लेख प्राप्त हुआ जिसकी हेडलाइन है ‘आजाद हिंद बैंक ने छापा था एक लाख का नोट, 10 देशों में थी मान्यता’। समाचार पत्र नेताजी के चालक कर्नल निजामुद्दीन के हवाले से कहता है कि आजाद भारत से पहले आजाद हिन्द फ़ौज ने एक लाख रुपये के नॉट जारी किये थे जिसकी मान्यता दुनिया के 10 देशों में थी।
बारीकी से इस खबर की पड़ताल करने पर हमें एक चौंकाने वाला तथ्य मिला जिसमें नेताजी दस्तावेज वित्त मंत्रालय द्वारा जारी किये जाने के बाद, बैड लोन के बोझ तले दबे बैंकों के कई देनदारों ने वित्त मंत्रालय से लोन रीपेमेंट आजाद हिंद बैंक की तरफ से जारी करंसी में करने की इजाजत मांगी थी। कई ग्राहक थे जिन्होंने आजाद हिन्द फ़ौज की करेंसी को लीगल टेंडर करने की भी मांग की थी।
नवभारत टाइम्स में साल 2016 में ये लेख छापा गया था।
हमारी पड़ताल में यह साफ हो गया कि आजाद हिन्द बैंक की स्थापना आजादी के 3 साल पहले, साल 1944 में की गई थी। नेताजी की फोटो लगे 5 रूपये से लेकर 1 लाख तक के नोट आजादी के बाद लीगल टेंडर नहीं रह गए। भारतीय नोटों पर नेताजी की तस्वीर छापने का मसला कोलकाता हाईकोर्ट भी पहुंचा था। खोज के परिणामों से यह साबित हो चुका था कि आजादी से पहले आजाद हिन्द बैंक द्वारा रुपयों का प्रचलन था जिसपर नेता जी की तस्वीर हुआ करती थी। आजादी के बाद भारत की नई मुद्रा चलन में आई जिस पर महात्मा गांधी का चित्र था। हमारी खोज में यह कहीं भी साबित नहीं हो पाया कि जवाहर लाल नेहरू आजाद हिन्द फ़ौज की करेंसी बंद करने के जिम्मेवार थे।
Result: Fake