Tuesday, May 13, 2025

Fact Check

राजस्थान के सीकर की पुरानी तस्वीर हरियाणा के जींद में नए कृषि कानून के खिलाफ प्रदर्शन की बताकर हो रही है शेयर

Written By Saurabh Pandey
Sep 24, 2020
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‘प्रत्यक्ष को प्रमाण की क्या आवश्यकता’ यह कहावत ऐसे तो लगभग हर हिंदी भाषी ने सुनी होगी लेकिन समय समय पर बदलती हमारी सरकारों ने अगर इस कहावत को आत्मसाद किया होता तो आज किसानों के हित से जुड़े आंकड़े पेश करने के बजाय स्वयं किसान खुश होकर उस सरकार का गुणगान करता जो उसकी ख़ुशी का कारण है.

सोशल मीडिया पर एक तस्वीर शेयर कर दावा किया गया है कि यह तस्वीर हरियाणा के जींद शहर की है जहां किसान भारी संख्या में नए कृषि क़ानून का विरोध करने के लिए सडकों पर उतर आए हैं.

https://www.facebook.com/gulfam.quadri.56/posts/1566335880214526

बहरहाल, अगर वायरल दावे की बात करें तो पिछले हफ्ते केंद्र सरकार ने किसानों से जुड़े कई कृषि कानून लागू किए हैं. इन कानूनों का कुछ किसानों ने स्वागत किया तो वहीं कुछ किसानों ने इस कानून का पुरजोर विरोध भी किया. सरकार कानून के पक्ष में फायदे गिना रही है तो वहीं विपक्ष कानून के खिलाफ इनमें कमियां गिना रहा है. जहां सरकार और विपक्ष दोनों ही कानून को लेकर अपना-अपना पक्ष रख रहें हैं वहीं सोशल मीडिया का इन कानूनों से अछूता रह पाना एक स्वर्णिम युग की कोरी कल्पना के समान प्रतीत होता है. तो इस कल्पना को धता बताते हुए कई सोशल मीडिया यूजर्स ने एक तस्वीर शेयर कर यह दावा किया कि हरियाणा के जींद में किसान नए कृषि कानूनों के विरोध में लामबंद होकर सड़क पर उतर गए हैं.

वायरल दावे को ट्विटर पर कई तरह के दावे के साथ शेयर किया गया है जिनमे से प्रमुख दावे निचे देखे जा सकते हैं.

https://twitter.com/sran_vijay/status/1308042655331360768

यह दावा फेसबुक पर भी खासा वायरल हो रहा है, फेसबुक पर वायरल दावे को यहां देखा जा सकता है.

Fact Check/Verification

किसान‘ और ‘कृषि‘ ये भारत में बहुतायत में प्रयोग किये जाने वाले दो ऐसे शब्द हैं जिनका नाम सामने आते ही दुर्व्यवस्था, बदहाली, गरीबी और खोखले वादे नजर आने लगते हैं. समय-समय पर केंद्र और राज्य में स्थापित हर सरकार चाहे वह किसी भी दल की हो किसानों के जीर्णोद्धार का दावा ज़रूर ठोकते हैं, लेकिन इन दावों में कितनी सच्चाई है इसका जीता जागता उदाहरण किसानों की बदहाली और भारी संख्या में आत्महत्या कर रहे किसानों का परिवार है.

वायरल तस्वीर को गूगल पर ढूंढने पर हमें तस्वीर के बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं मिल पाई. लेकिन वायरल तस्वीर को अन्य कीवर्ड्स की सहायता से गूगल सर्च करने पर हमें पता चला कि यह तस्वीर पहले से ही इंटरनेट पर मौजूद है.

गूगल सर्च से प्राप्त परिणाम

Sabrang नामक एक वेबसाइट ने वायरल तस्वीर को अपने 2017 के एक लेख में राजस्थान के किसानों द्वारा तत्कालीन राज्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन का बताया है.

इसके बाद हमें The Logical Indian में प्रकाशित एक लेख प्राप्त हुआ जिसमे वायरल तस्वीर को 2017 में राजस्थान के सिकर में किसानों द्वारा प्रदर्शन का बताया गया है. इस लेख के मुताबिक किसानों के इस विरोध प्रदर्शन में सिकर में पिछले 30 वर्षों में हुए किसी भी प्रदर्शन से ज्यादा जनसैलाब उमड़ा था.

सिकर में किसानों का विरोध प्रदर्शन

The Logical Indian के इस लेख में किसानों के विरोध का कारण राज्य सरकार की नजरअंदाजी, महंगाई तथा बढ़ते कर्ज का दबाव बताया गया है. लेख में यह भी जानकारी दी गई है विरोध प्रदर्शन वामपंथी संगठन अखिल भारतीय किसान संगठन द्वारा शुरू किया गया था.

Conclusion

इस प्रकार हमारी पड़ताल में यह बात सिद्ध होती है कि वायरल तस्वीर हालिया किसान प्रदर्शनों से संबंधित नहीं है तथा 2017 में राजस्थान के सीकर में किसानों के विरोध प्रदर्शन की तस्वीरों को कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन के नाम पर शेयर कर भ्रम फैलाने की कोशिश की जा रही है.

Result: Misleading


Our Sources

Sabrang: https://sabrangindia.in/article/rajasthan-farmers-massive-protest-curb-democratic-freedoms-govt

The Logical Indian: https://thelogicalindian.com/exclusive/sikar-farmers-protests/


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