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नेपाल की वर्षों पुरानी तस्वीर को उत्तराखंड का बताकर सोशल मीडिया पर किया गया वायरल

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A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

सोशल मीडिया पर कुछ स्कूली बच्चों की एक तस्वीर शेयर की जा रही है। तस्वीर में कुछ बच्चों को किसी स्कूल की ड्रेस पहने हुए नदी के ऊपर बंधी हुई एक रस्सी पर लटकते हुए देखा जा सकता है। तस्वीर शेयर करने वाले यूज़र का दावा है कि संघर्ष करते हुए बच्चों की यह तस्वीर उत्तराखंड की है।

फेसबुक का लिंक यहाँ देखें।

सोशल मीडिया पर यह तस्वीर उक्त दावे के साथ कई अन्य यूज़र्स ने भी शयेर की है।

Fact check / Verification

सोशल मीडिया पर वायरल हो रही इन बच्चों की तस्वीर के साथ किये जा रहे दावे की सत्यता जानने के लिए हमने अपनी पड़ताल आरम्भ की। इस दौरान हमने सबसे पहले तस्वीर को गूगल पर रिवर्स इमेज टूल के माध्यम से खोजना शुरू किया।

लेकिन खोज के दौरान गूगल पर मिले परिणामों से हमें तस्वीर की कोई उचित जानकारी नहीं मिली।

इसके बाद हमने तस्वीर को यांडेक्स टूल के माध्यम से गूगल पर खोजना शुरू किया। खोज के दौरान यांडेक्स पर मिले परिणामों से हमें वायरल तस्वीर एक tipswithamission नाम की एक वेबसाइट पर छपी हुई मिली।

वेबसाइट पर इस तस्वीर को 20 जुलाई 2015 को छापा गया था। वेबसाइट के मुताबिक बच्चों की वायरल तस्वीर नेपाल के किसी इलाके की है। जहां रस्सी पर सीट बांधकर बच्चों को स्कूल जाने का प्रबंध किया गया था ।

पड़ताल के दौरान वायरल तस्वीर की उपरोक्त मिली जानकारी की पुष्टि के लिए हमने गूगल पर और बारीकी से खोजा। इस दौरान हमें trithuctructuyen.vn नाम की एक वेबसाइट पर साल 2013 में छपे किसी अन्य भाषा के एक लेख में हमें वायरल तस्वीर मिली।

गूगल ट्रांसलेटर के माध्यम से हमने जाना की लेख में जानकारी दी गयी है कि वायरल तस्वीर नेपाल के किसी गरीब क्षेत्र की है। जहां बच्चों के स्कूल जाने का प्रबंध केबल पर सीट बांधकर किया गया है।

इसके साथ हमें वायरल तस्वीर saimonthidan.com नाम की वेबसाइट पर भी मिली जहां इसे साल 2016 में पोस्ट किया गया था।

Conclusion

पड़ताल के दौरान हमें पता चला कि वायरल रस्सी से लटकते बच्चों की तस्वीर हाल की नहीं बल्कि कुछ वर्ष पुरानी है साथ ही यह तस्वीर उत्तराखंड की नहीं बल्कि नेपाल के किसी क्षेत्र की है।

Result-Misleading

Our Sources

https://www.saimonthidan.com/?c=article&p=13065

https://web.archive.org/web/20180918095221/https://tripswithamission.org:80/river-crossing/

https://web.archive.org/web/20131002113443/https://trithuctructuyen.vn:80/Hang-chuc-hoc-sinh-du-day-cap-vuot-song-du-post356177.html


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Authors

A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

Nupendra Singh
A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

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