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ट्रैक्टर चलाती हुई महिला की इस तस्वीर का मौजूदा किसान आंदोलन से नहीं है कोई सम्बन्ध

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A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है। वायरल तस्वीर में एक महिला को ट्रैक्टर चलाते हुए देखा जा सकता है। तस्वीर शेयर करने वाले यूज़र का दावा है कि दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए हरियाणा से कुछ महिलाओं की एक टुकड़ी स्वयं ट्रैक्टर चलाकर टिकरी बॉर्डर के लिए कूच कर रही है।

किसान आंदोलन ट्रैक्टर महिला

फेसबुक पर भी इस तस्वीर को पोस्ट किया गया है।

किसान आंदोलन ट्रैक्टर महिला

Fact check / Verification

केंद्र द्वारा बनाये गए नए कृषि कानून का विरोध पिछले कई दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर चल रहा है। पंजाब, हरियाणा समेत देश के कई राज्यों के किसान व किसान संगठनों ने विरोध प्रदर्शन का मोर्चा संभाला हुआ है। देश के किसान नए कृषि कानून को वापस लेने तथा फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। हालांकि केंद्र ने दावा किया है कि किसानों से बातचीत का प्रस्ताव रखा गया है, लेकिन अभी तक कोई निष्कर्ष नहीं निकला है।

सोशल मीडिया पर भी किसान आंदोलन की चर्चा खूब हो रही है। जिसके चलते सैकड़ों संदेश वायरल हो रहे हैं। इस दौरान newschecker के एक पाठक ने हमें WhatsApp पर एक तस्वीर भेज कर इसकी प्रमाणिकता जांचने को कहा। तस्वीर के साथ कहा गया है कि हाल ही में हरियाणा से कुछ महिलाओं की एक टुकड़ी दिल्ली के लिए रवाना हुई है।

किसान आंदोलन ट्रैक्टर महिला

तस्वीर के साथ वायरल हो रहे दावे की सत्यता जानने के लिए हमने अपनी पड़ताल आरम्भ की। पड़ताल के दौरान सबसे पहले वायरल तस्वीर को गूगल पर रिवर्स इमेज टूल के माध्यम से खोजना शुरू किया। खोज के दौरान हमें वायरल तस्वीर hindustan times की वेबसाइट पर 06 फरवरी साल 2017 को छपे एक लेख में मिली।

किसान आंदोलन ट्रैक्टर महिला

लेख के मुताबिक यह तस्वीर हरियाणा में जाट आरक्षण के लिए हुए आंदोलन की है। जहां जाट महिलाएं आरक्षण के लिए हुए आंदोलन में हिस्सा लेने के रोहतक के जस्सिआ गांव जा रही हैं।

पड़ताल के दौरान वायरल तस्वीर Outlook की वेबसाइट पर भी मिली। जहां तस्वीर के कैप्शन में जानकारी देते हुए इसे जाट आंदोलन के दौरान का बताया गया है।

किसान आंदोलन ट्रैक्टर महिला

इसके बाद हमने गूगल पर जाट आरक्षण आंदोलन क्या है इसकी जानकारी प्राप्त करने के लिए खोजा। खोज के दौरान दैनिक भास्कर की वेबसाइट पर छपे एक लेख से जानकारी मिली कि हरियाणा की 30 प्रतिशत आबादी वाली जाट कम्युनिटी अपने लिए OBC (अन्य पिछड़ा वर्ग) आरक्षण में हिस्सा चाहती है।

साल 2012 में हरियाणा कांग्रेस की तत्कालीन भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा सरकार ने स्पेशल बैकवर्ड क्लास के तहत जाट, सिख, रोड, बिश्नोई और त्यागी कम्युनिटी को आरक्षण दिया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने जाटों को पिछ़ड़ा मानने से इनकार कर सरकार का ऑर्डर कैंसल कर दिया था।

Conclusion

वायरल तस्वीर के साथ शेयर हो रहे दावे की पड़ताल के दौरान उपरोक्त मिले तथ्यों से पता चला कि महिला द्वारा ट्रैक्टर चलाने वाली वायरल तस्वीर का दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे मौजूदा किसान आंदोलन से कोई संबंध नहीं है। असल में यह तस्वीर साल 2017 की है जब हरियाणा की जाट महिलाएं रोहतक के जस्सिआ गांव में चल रहे जाट आरक्षण आंदोलन में हिस्सा लेने जा रही थीं।

Result -Misleading

Our sources

https://www.bhaskar.com/HAR-ROH-OMC-fact-about-jaat-reservation-5254530-PHO.html/

https://www.hindustantimes.com/india-news/jat-stir-gaining-momentum-crowds-swelling/story-YugKQjOx3aWtAvO8aNJyiK.html

https://live.outlookindia.com/photos/topic/communities/102401?photo-133142

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A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

Nupendra Singh
A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

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