रविवार, नवम्बर 3, 2024
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बाढ़ग्रस्त इलाकों की पुरानी तस्वीरें सरकार द्वारा बनाये गए परीक्षा केंद्र की बताकर हुईं शेयर

Authors

A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

सोशल मीडिया पर बाढ़ग्रस्त इलाकों की कुछ तस्वीरें वायरल हो रही हैं। तस्वीरों में देखा जा सकता है कि बाढ़ के कारण सड़क पर चल रही एक बस भी पानी में आधी डूबी हुई है, तथा एक विद्यालय का द्वार भी जलभराव के चलते बंद हो गया है। तस्वीर शेयर करने वाले यूज़र का दावा है कि सरकार परीक्षाएं करवाना चाहती है, लेकिन परीक्षा केंद्रों की दुर्दशा हो गई है।

https://twitter.com/Political___dr/status/1299244694296125440

ट्वीट का आर्काइव लिंक यहाँ देखें।

ट्विटर पर वायरल हो रहे जलभराव के इस पोस्ट को कई अन्य यूज़र्स ने भी तेजी से शेयर किया है।

https://twitter.com/vivekya20038271/status/1299277424497025026
https://twitter.com/RBaiplawat1/status/1299247427145273344
https://twitter.com/nikhilp3000/status/1299277706379423745

Fact check / Verification

जहां एक तरफ लोग कोरोना से त्रस्त हैं तो वहीं इन दिनों हो रही मानसूनी बारिश के कारण देश के कई राज्य बाढ़ से भी त्रस्त हैं। इस वर्ष कोरोना के कारण देश में छात्रों की परीक्षा भी रुकी हुई है। जिसपर केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकारों तक इस बात पर बहस हो रही है कि परीक्षाएं होनी चाहिए या नहीं। ऐसे में मामला सुप्रीम कोर्ट पहुँचा, जहां सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि छात्रों को परीक्षाएं देनी होगी।

इसी बीच ट्विटर पर जलजमाव की कुछ तस्वीरें वायरल कर दावा किया जाने लगा कि इस वक्त परीक्षा केंद्र तो बाढ़ से ग्रस्त हैं। वायरल तस्वीरों को देखकर हमें इनके पुराने होने की आशंका हुई। जिसके बाद हमने अपनी पड़ताल आरम्भ की। अपनी पड़ताल के दौरान हमने वायरल तस्वीर को गूगल पर रिवर्स इमेज टूल की सहायता से खोजना शुरू किया। जहां हमें स्कूल के सामने जलभराव की तस्वीर चार साल पहले पत्रिका की वेबसाइट पर प्रकाशित हुए एक लेख में मिली।

इसके बाद हमने दूसरी वायरल तस्वीरों को खोजना शुरू किया। इस दौरान हमें डूबी हुई बस की तस्वीर न्यूज़18 की वेबसाइट पर 31अगस्त साल 2017 को छपी मिली। वेबसाइट के मुताबिक यह तस्वीर मुंबई की है।

इसके बाद हमने बाकी वायरल दोनों तस्वीर को खोजा। जहां पुल के नीचे जलभराव वाली तस्वीर हमें जागरण की वेबसाइट पर 4 अगस्त 2019 को छपी हुई मिली। लेख में वायरल तस्वीर को साल 2019 में हरिद्वार में हुए जलभराव के संबध में शेयर किया गया है।

इसके अलावा हमें आखिरी वायरल तस्वीर जागरण की वेबसाइट पर 09 जुलाई साल 2019 को छपे एक लेख में मिली। लेख के मुताबिक उक्त वायरल तस्वीर बिहार की राजधानी पटना शहर की है।

Conclusion

पड़ताल के दौरान मिले तथ्यों से हमने जाना कि वायरल तस्वीरें हालिया दिनों की नहीं बल्कि कुछ वर्ष पुरानी हैं। साथ ही वायरल तस्वीरें अलग-अलग राज्यों से हैं। तस्वीरों सरकार द्वारा बनाये गए हालिया परीक्षा केंद्रों से कोई सम्बन्ध नहीं है।

Result- Misleading


Our Sources

https://www.jagran.com/bihar/patna-city-look-at-the-pictures-in-the-rain-from-three-days-how-is-the-situation-of-patna-19383854.html

https://www.jagran.com/uttarakhand/haridwar-people-facing-problem-due-to-heavy-rain-19459718.html

https://www.news18.com/photogallery/world/day-in-photos-august-29-2017-mumbai-1505491.html

https://www.patrika.com/allahabad-news/school-closed-after-heavy-rain-1374136/

Authors

A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

Nupendra Singh
A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

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