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Fact Check: पाकिस्तान में ऐतिहासिक हिंगलाज मंदिर तोड़े जाने का दावा है फर्जी, यहां जानें पूरा सच

Authors

Since 2011, JP has been a media professional working as a reporter, editor, researcher and mass presenter. His mission to save society from the ill effects of disinformation led him to become a fact-checker. He has an MA in Political Science and Mass Communication.

Claim
पाकिस्तान के सिंध में तोड़ा गया यूनेस्को की लिस्ट में शामिल हिंगलाज मंदिर.

Fact
वायरल दावा भ्रामक है, सिंध में तोड़ा गया निर्माणाधीन मंदिर ऐतिहासिक नहीं था.

बीते दिनों कई प्रमुख मीडिया आउटलेट्स ने पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की एक ख़बर प्रकाशित की, जिसमें दावा किया गया कि पाकिस्तान सरकार ने यूनेस्को की लिस्ट में शामिल सिंध प्रांत में स्थित ऐतिहासिक हिंगलाज मंदिर को तोड़ दिया है. यह दावा केंद्र सरकार में मंत्री गिरिराज सिंह ने भी किया.

हालांकि, हमने अपनी जांच में पाया कि वायरल दावा भ्रामक है. अदालती आदेश के बाद पाकिस्तान के सिंध प्रांत के थार पारकर जिले में जिस हिंगलाज मंदिर को तोड़ा गया है, वह करीब दो साल पहले ही बनना शुरू हुआ था. यह निर्माणाधीन मंदिर ना तो यूनेस्को की लिस्ट में शामिल था और ना ही ऐतिहासिक था. ऐतिहासिक हिंगलाज मंदिर सिंध प्रांत में नहीं, बल्कि बलोचिस्तान प्रांत के हिंगोली नेशनल पार्क में स्थित है.

वायरल दावे को एक वीडियो के साथ भी शेयर किया गया है, जिसमें कुछ लोग सुरक्षाकर्मियों की मौजूदगी में ‘जय माता दी’ और ‘हिंगलाज माता की जय हो’ के नारे लगाते सुनाई दे रहे हैं. इस दौरान वहां मौजूद कुछ लोग फावड़े और मकान ढहाने वाले अन्य औजार हाथ में लिए हुए भी दिखाई दे रहे हैं.

हिंदी न्यूज़ वेबसाइट लाइव हिंदुस्तान ने 24 नवंबर 2023 को वायरल दावे को ख़बर की शक्ल में अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित किया है, जिसमें लिखा गया है कि “पाकिस्तान में सिंध प्रांत में स्थित व यूनेस्को की लिस्ट में शामिल हिंगलाज माता मंदिर को तोड़ दिया गया है.

Courtesy: Live Hindustan

इसके अलावा, समाचार आउटलेट्स इंडिया टीवी, रिपब्लिक टीवी, न्यूज़ 24 और एशियानेट न्यूज़ ने भी ऐतिहासिक हिंगलाज मंदिर को तोड़े जाने वाले वायरल दावे को शेयर किया है.

वहीं, यह दावा X (पूर्व में ट्विटर) पर भी वायरल है. भारत सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने भी वायरल दावे को शेयर किया है. वीडियो शेयर करते हुए उन्होंने कैप्शन में लिखा है, “विकास और पुनर्निर्माण के नाम पर पाकिस्तान में यूनेस्को द्वारा सूचीबद्ध हिंगलाज माता मंदिर को तोड़ा गया, भारत के तथाकथित धर्मनिरपेक्ष समुदाय ने इसके खिलाफ कोई आवाज नहीं उठाई. भारत में भी कई मस्जिदें अतिक्रमण करके बनाई गई हैं…ये भी विकास में बाधक हैं.”   

Courtesy: X/girirajsinghbjp

इसके अलावा, पांचजन्य समेत कई अन्य वेरिफाईड X अकाउंट से भी इस दावे को को शेयर किया गया है, जिसे आप यहां, यहां और यहां देख सकते हैं.

 

Courtesy: X/epanchjanya

Fact Check/Verification

Newschecker ने वायरल दावे की पड़ताल के लिए सबसे पहले संबंधित कीवर्ड की मदद से X पर सर्च किया, तो हमें पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर दानिश कनेरिया द्वारा 23 नवंबर 2023 को किया गया ट्वीट मिला.

Courtesy: X/DanishKaneria61

अपने ट्वीट में कनेरिया ने नारेबाजी करते लोगों का वीडियो शेयर करते हुए यह दावा किया था कि “पाकिस्तान सरकार ने मीरपुर ख़ास न्यायालय के निर्देश का पालन करते हुए सिंध प्रांत के थारपारकर स्थित मीठी में हिंगलाज माता मंदिर को तोड़ दिया है”.

हमने जब दानिश कनेरिया के उक्त ट्वीट को खंगालना शुरू किया तो हमें पाकिस्तानी मीडिया आउटलेट ARY News के पत्रकार संजय साधवानी का 23 नवंबर को किया गया ट्वीट मिला. 

Courtesy: X/sanjaysadhwani2

पत्रकार संजय साधवानी ने कनेरिया के उक्त ट्वीट को कोट ट्वीट करते हुए लिखा था कि “ना तो यह कोई ऐतिहासिक मंदिर था, न ही कोई धार्मिक स्थल. इस जमीन पर मंदिर बनाने की कोशिश कर रहे व्यक्तियों द्वारा दूसरे पक्ष की जमीन पर कब्ज़ा किया गया था. इसमें दोनों ही पक्ष हिंदू हैं. एक पक्ष इस मामले को अदालत में ले गया, जिसके बाद इस अवैध ढांचे को ध्वस्त करने का निर्णय हुआ”. 

इसके बाद हमने पत्रकार संजय साधवानी से संपर्क किया. उन्होंने हमें इस मामले के अदालती आदेश उपलब्ध कराए, जो मीरपुर ख़ास एंटी इन्क्रोचमेंट ट्रिब्यूनल द्वारा 7 दिसम्बर 2022 को ज़ारी किए गए थे. अदालत ने अरुण बनाम पारु मल के इस केस में सरकारी जमीन कब्ज़ा कर बनाए जा रहे मंदिर को तोड़ने का आदेश दिया था. 

कोर्ट आर्डर में मौजूद जानकारी के अनुसार, दरअसल मीठी के खत्री मोहल्ले में रहने वाले अरुण लोहाना नाम के एक शख्स ने पारु मल सहित अन्य 8 व्यक्तियों पर मामला दर्ज कराया था. अरुण ने यह शिकायत की थी कि दूसरे पक्ष के लोग उनके घर के सामने पड़ी सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण कर रहे हैं, जिसकी वजह से उनकी अपनी संपत्ति को भी नुकसान पहुंच रहा है. वहीं, इस मामले में दूसरे पक्ष ने उक्त जमीन को अपने पुरखों की जमीन बताते हुए मंदिर बनाए जाने के दावे को सही ठहराया था. साथ ही उन्होंने यह भी दावा किया था कि उनके पुरखों ने पहले इस जगह पर धर्मशाला, कुआं और मंदिर भी बनाया था.

इस मामले में स्थानीय तहसीलदार ने भी न्यायालय में अपनी रिपोर्ट पेश की थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि “दूसरे पक्ष ने जिस जमीन पर बाउंड्री वाल घेरकर मंदिर बनाने की कोशिश की है, वह सरकारी जमीन है”. जिसके बाद कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद उक्त अवैध संरचना को तोड़ने का आदेश दिया था.

इसके बाद हमने अरुण लोहाना के वकील और उनके पिता हरीश चंदर लोहाना से संपर्क किया. उन्होंने हमें इस पूरे मामले की जानकारी दी. हरीश ने हमें बताया कि “उक्त जमीन आजादी से पहले थारपारकर जिले के उपायुक्त द्वारा दूसरे पक्ष के पुरखे को कुआं बनाने के लिए दी गई थी. यह कुआं कई सालों तक उपयोग में रहा. लेकिन पिछले कुछ सालों में इस्तेमाल ना होने की वजह से यह जर्जर अवस्था में चला गया, जिसके बाद आसपास के लोगों ने उस जमीन पर कचरा फेंकना शुरू कर दिया. जिससे कुआं पूरी तरह भर गया. कुआं भर जाने के बाद भी लोग उस जगह पर कचरा फेंकते रहे. लेकिन साल 2022 में दूसरे पक्ष ने उस जमीन को कब्ज़ा करने की मकसद से उसके चारों तरफ़ दीवार बनाना शुरू कर दिया.

आगे हरीश ने हमें बताया कि “दीवार बनने की वजह से उनके घर के सामने वाली सड़क संकरी हो गई. जिसकी शिकायत उन्होंने राजस्व अधिकारी से की तो अधिकारी ने कार्रवाई करते हुए उस निर्माण को तोड़ दिया. हालांकि, कुछ ही दिन बाद उन लोगों ने दोबारा से निर्माण शुरू कर दिया. पहले तो उन लोगों ने चारों तरफ़ दीवार बनाई और फिर बीच में एक झंडा गाड़कर हिंगलाज माता की तस्वीर रख दी. चूंकि, इस निर्माण से हमें अपने घर जाने में समस्या आ रही थी, इसलिए हमने न्यायालय का रुख किया. जहां न्यायालय ने सरकारी जमीन पर किए जा रहे अवैध निर्माण को तोड़ने का आदेश दिया. अदालत के इस आदेश का पालन करते हुए 23 नवंबर, 2023 को उक्त निर्माण को ढहा दिया गया”.

जांच में हमें हरीश ने उक्त स्थान पर हुए निर्माण से पहले की तस्वीर, 2022 में हुए निर्माण कार्यों की तस्वीर और हाल में ही न्यायालय के आदेश के बाद निर्माण को ढहाए जाने की तस्वीर भी भेजी. इसे आप नीचे देख सकते हैं. निर्माण से पहले की तस्वीरों में उक्त जगह पर पड़े कचरे को देखा जा सकता है, जहां पर मंदिर बनाए जाने की कोशिश की गई.

पड़ताल के दौरान हमें इस मामले को लेकर एसएसपी थारपाकर अली मर्दान खोसो के द्वारा जारी किया गया वीडियो भी मिला. इस वीडियो में एसएसपी थारपाकर यह कहते हुए नज़र आ रहे हैं कि “अरुण कुमार लोहाना नाम के शख्स द्वारा दायर किए गए केस में एंटी इन्क्रोचमेंट ट्रिब्यूनल के आदेश पर अवैध कब्जे को तोड़ने का आदेश दिया गया था. इस मामले में दूसरा पक्ष भी हिंदू ही है और वे खत्री समुदाय से ताल्लुक रखते हैं”. 

Courtesy: FB/thar.police

हमारी अभी तक की जांच में यह तो साफ़ हो गया था कि मीठी में तोड़ा गया हिंगलाज मंदिर कोई ऐतिहासिक मंदिर नहीं है, बल्कि इसे थोड़े समय पहले ही सार्वजनिक जमीन पर बनाना शुरू किया गया था, जबकि ऐतिहासिक हिंगलाज माता मंदिर बलोचिस्तान के लास बेला जिले के हिंगोली नेशनल पार्क में स्थित है, जो सिंध के मिठी शहर से क़रीब 500 किलोमीटर की दूरी पर है.

Courtesy: Google Maps

इसके बाद हमने अपनी जांच को आगे बढ़ाते हुए पाकिस्तान के सिंध प्रांत में मौजूद वैसे स्थलों के बारे में जानकारी हासिल की, जिसे यूनेस्को की लिस्ट में शामिल किया गया है. यूनेस्को की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के अनुसार, सिंध के दो स्थलों मोहनजोदड़ो और थट्टा के माकली के ऐतिहासिक स्मारकों को ही वर्ल्ड हेरिटेज लिस्ट में शामिल किया गया है. 

Courtesy: UNESCO

हमने इस दौरान यह भी पाया कि बलोचिस्तान में स्थित ऐतहासिक हिंगलाज मंदिर अभी यूनेस्को की विचाराधीन लिस्ट में ही मौजूद है और वह वर्ल्ड हेरिटेज लिस्ट में शामिल नहीं है.

Courtesy: UNESCO

बलोचिस्तान में स्थित हिंगलाज माता मंदिर को हिंदुओं के 52 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव की पत्नी सती के आत्मदाह के बाद उनके शरीर का एक हिस्सा यहां भी गिरा था. इस मंदिर को नानी मंदिर के नाम भी जाना जाता है.

जांच में हमने यह जानने की भी कोशिश की कि क्या बलोचिस्तान के ऐतिहासिक हिंगलाज मंदिर में भी कोई तोड़फोड़ की गई है. इसके लिए हमने मंदिर के जनरल सेक्रेटरी वेरसीमल से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि “इस ऐतिहासिक मंदिर में किसी भी प्रकार की तोड़फोड़ नहीं की गई है. जिस हिंगलाज मंदिर को तोड़ा गया है, वह सिंध में है और वह कोई ऐतिहासिक मंदिर नहीं था. जमीन विवाद की वजह से मंदिर को तोड़ा गया है.” 

Conclusion

हमारी जांच में मिले साक्ष्यों से साफ़ है कि सिंध प्रांत में जमीन विवाद की वजह से तोड़ा गया हिंगलाज मंदिर ना तो ऐतिहासिक है और ना ही यूनेस्को की लिस्ट में शामिल है. असल ऐतिहासिक हिंगलाज मंदिर बलोचिस्तान के हिंगोली नेशनल पार्क में स्थित है.

Result: False

Our Sources
Pak Journalist Sanjay Sadhwani X Account: Tweet on 23rd Nov 2023
Mirpurkhas Anti-Encroachment Tribunal Order
Photos of location from Pak Advocate Harish Chander
Tharparkar Police FB Account: Video of SSP on 27th Nov 2023
UNESCO website: Information about sites of Pakistan  
Telephonic Conversation with Pak Advocate Harish Chander
Telephonic Conversation with Hinglaj Temple Balochistan Committee Member Versi Mal

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