सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर कर दावा किया गया कि बाज़ार में बिक रही थर्माेकोल शीट से बनी नकली चीनी। वायरल वीडियो में एक मशीन दिखाई दे रही है, जिससे थर्मोकोल से चीनी जैसा दिखने वाला कोई चमकीला पदार्थ निकलता दिखाई दे रहा है।
एक फेसबुक यूजर ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा, “सभी सावधान हो जाएं, बाज़ार में बिक रही है, थर्माकाॅल सीट्स से बनी हुई नकली शक्कर, वीडियो देखें।”
(उपरोक्त पोस्ट अक्षरश: लिखा गया है।)
वहीं, एक अन्य फेसबुक यूजर ने वी़डियो शेयर करते हुए लिखा, “सभी सावधान हो जाए, बाज़ार में बिक रही है, थर्माकाॅल सीट्स से बनी हुई नकली शक्कर, वीडियो देखें।”
(उपरोक्त पोस्ट अक्षरश: लिखा गया है।)
वीडियो को ट्विटर पर शेयर करते हुए एक यूजर ने लिखा, “थर्मोकोल के रद्दी टुकड़ों से बनी हुई चीनी खाओ ।। ताकि फ़ूड सेफ्टी विभाग चैन से सोया रहे और लोग बेमौत मरते रहें. हिंदू मुस्लिम करने से बेहतर है कि इन मुद्दों को सोशल मीडिया में उठाओ ताकि आने वाली पीढ़ियां बच सकें ।। क्योंकि धर्म तभी बचेगा जब आप बचोगे ।”
(उपरोक्त पोस्ट अक्षरश: लिखा गया है।)
Fact Check / Verification
क्या बाज़ार में बिक रही थर्मोकोल शीट से बनी नकली चीनी? सोशल मीडिया पर इस दावे के साथ शेयर किए जा रहे वीडियो की पड़ताल के लिए हमने inVid टूल की मदद से वीडियो के कुछ कीफ्रेम बनाये। इसके बाद एक कीफ्रेम के साथ गूगल रिवर्स सर्च किया।
इस प्रक्रिया में हमें थर्मोकोल रिसाइक्लिंग व्यवसाय से संबंधित YouTube पर एक वीडियो प्राप्त हुआ। इस वीडियो को 19 अक्टूबर, 2020 को YouTube पर अपलोड किया गया है। इसमें थर्माेकोल व्यवसाय से मुनाफा कमाने के बारे में बताया गया है। वीडियो में माइक्रो गार्टेक्स इंडस्ट्री के मालिक शांतिलाल जैन अपने थर्मोकोल रिसाइक्लिंग प्लांट के बारे में बता रहे हैं कि किस तरह वहां थर्मोकोल रिसाइकल किया जाता है और किस प्रकार इसका व्यवसाय होता है।
न्यूजचेकर ने वायरल वीडियो के संबंध में शांतिलाल जैन से भी बात की। उन्होंने हमें बताया कि “वायरल वीडियो में दिख रही प्रक्रिया में थर्मोकोल से प्लास्टिक के दाने बनाए जा रहे हैं, थर्मोकोल से नकली चीनी बनाए जाने का दावा पूरी तरह भ्रामक है।”
हमने वायरल दावे की पड़ताल के लिए गूगल पर और सर्च किया तो हमें फ़र्स्टपोस्ट वेबसाइट पर जुलाई 2017 में प्रकाशित एक रिपोर्ट प्राप्त हुई। रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय राज्यमंत्री सीआर चौधरी ने प्लास्टिक से चावल और चीनी बनाए जाने के सवाल का उत्तर देते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा प्राधिकरण नेटवर्क (इन्फोसान) द्वारा जारी किए गए अलर्ट के आधार पर, केरल और गुजरात की राज्य सरकारों ने मामले की जांच की है। रिपोर्ट के अनुसार, राज्य सरकारों ने पुष्टि की है कि प्लास्टिक से चावल या चीनी बनाए जाने जैसी कोई घटना नहीं हुई है।
Conclusion
इस तरह हमारी पड़ताल में यह साफ हो गया कि सोशल मीडिया पर वायरल, बाज़ार में बिक रही थर्मोकोल शीट से बनी नकली चीनी का दावा भ्रामक है।
Result : Misleading
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