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Fact Check
सोशल मीडिया पर पीएम मोदी की एक पुरानी तस्वीर तेजी से वायरल हो रही है। तस्वीर में उन्हें कुछ लोगों से मिलते हुए देखा जा सकता है। दावा किया जा रहा है कि यह तस्वीर 31 वर्ष पुरानी है। मोदी बाड़मेर में पाकिस्तान से विस्थापित हिन्दुओं से उनके कैम्प में मिल रहे हैं। दावे के मुताबिक तब नरेंद्र मोदी एक साधारण कार्यकर्ता थे। बता दें कि बाड़मेर राजस्थान का एक जिला है।
वायरल पोस्ट का आर्काइव लिंक यहाँ देखें।
योगी देवनाथ नामक यूज़र द्वारा शेयर किये गए ट्विटर पोस्ट को एक हजार से भी अधिक रीट्वीट तथा तीन हज़ार से ज्यादा लाइक मिल चुके हैं। इसके साथ ही ट्विटर पर इस तस्वीर को कई अन्य यूज़र्स द्वारा भी शेयर किया गया है।
पीएम मोदी की तस्वीर के साथ वायरल हो रहे दावे का सच जानने के लिए, हमने पड़ताल शुरू की। सबसे पहले हमने वायरल तस्वीर को गूगल पर रिवर्स इमेज टूल के माध्यम से खोजना शुरू किया। इस दौरान हमें पीएम मोदी की वायरल तस्वीर FinancialExpress.com नामक वेबसाइट पर 16 सितंबर साल 2017 को छपे एक लेख में मिली।

लेख में, तस्वीर के साथ छपे कैप्शन में जानकारी देते हुए बताया गया है कि 1973 में पीएम मोदी ने नवनिर्माण आंदोलन में हिस्सा लिया था, जिसके चलते गुजरात में कांग्रेस सरकार गिर गयी थी। हालांकि इस कैप्शन से हमें वायरल तस्वीर की कोई ठोस जानकारी नहीं मिली। लिहाजा हमने अपनी पड़ताल जारी रखी।
पड़ताल के दौरान हमें वायरल तस्वीर narendramodi.in की आधिकारिक वेबसाइट पर मिली। वेबसाइट पर तस्वीर के, कैप्शन में जानकारी देते हुए बताया गया है कि नरेंद्र मोदी की यह तस्वीर गुजरात के किसी गांव की है।

वेबसाइट पर बताया गया है कि साल 1977 में पीएम मोदी को आरएसएस का ‘संभाग प्रचारक’ बनाकर दक्षिण और मध्य गुजरात का जिम्मा सौंपा गया था। इससे उन्हें राज्य के हर तालुका और लगभग हर गांव का दौरा करने का मौका मिला। यह अनुभव उनके लिए, एक आयोजक और मुख्यमंत्री दोनों के रूप में बहुत काम आया।
पड़ताल के दौरान उपरोक्त मिले तथ्यों से पता चला कि पीएम मोदी की यह वायरल तस्वीर बाड़मेर में पाकिस्तान से विस्थापित हिन्दुओं से मिलने के दौरान की नहीं है। तस्वीर के साथ किया जा रहा दावा भ्रामक है। दरअसल यह वायरल तस्वीर गुजरात के एक गांव की है।
https://www.narendramodi.in/the-activist-3129
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