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Fact Check: राजस्थान में लोक देवता घास भैरू की परंपरागत पूजा किए जाने का पुराना वीडियो भ्रामक दावे के साथ वायरल

Authors

Since 2011, JP has been a media professional working as a reporter, editor, researcher and mass presenter. His mission to save society from the ill effects of disinformation led him to become a fact-checker. He has an MA in Political Science and Mass Communication.

Claim
राजस्थान में भैरव मंदिर को तोड़कर मूर्ति को ट्रैक्टर से घसीटा गया.
Fact
राजस्थान में मंदिर तोड़े जाने का बताकर शेयर किया जा रहा यह दावा भ्रामक है.

सोशल मीडिया एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें पुलिसकर्मी की मौजूदगी में ट्रैक्टर की मदद से रंग से पुते एक पत्थरनुमा चीज को खींचते हुए देखा जा सकता है. वीडियो को इस दावे से वायरल से किया जा रहा है कि “राजस्थान में भैरव बाबा के मंदिर को तोड़कर मूर्ति को ट्रैक्टर से घसीटते हुए ले जाया जा रहा है”.

हालांकि, हमने अपनी जांच में पाया कि वायरल दावा भ्रामक है. यह वीडियो राजस्थान के कोटा जिले के सिमलिया गांव का है, जहां पत्थर से बने स्थानीय देवता घास भैरू को गांव के चारों तरफ़ घसीटकर ले जाना एक परंपरा का हिस्सा है.

वायरल वीडियो 25 सेकेंड का है, जिसमें ट्रैक्टर की मदद से लाल रंग में पुते एक पत्थर को खींचते हुए ले जाया जा रहा है. इस दौरान ट्रैक्टर के पीछे एक पुलिसकर्मी भी चलते हुए दिखाई दे रहा है.

इस वीडियो को X (पूर्व में ट्विटर) पर कई वेरिफाइड हैंडल से ख़ास कैप्शन के साथ शेयर किया गया है, जिसमें लिखा हुआ है “वीडियो राजस्थान की बताई जा रही है जहां भैरों बाबा के मंदिर को तोड़कर मूर्ति को ट्रैक्टर से घसीटते हुए ले जाया जा रहा है… सवाल – क्या गहलोत सरकार द्वारा कभी किसी अवैध मजार या दरगाह को भी तोड़ा गया है?” 

Courtesy: X/ajaychauhan41

वायरल वीडियो से जुड़े अन्य X पोस्ट आप यहां और यहां देख सकते हैं.

वहीं फ़ेसबुक पर भी इसी तरह के दावे वाले कैप्शन से वायरल वीडियो को शेयर किया गया है, जिसे आप यहां और यहां देख सकते हैं.

Courtesy: Fb/ Vijay Raj Ghatwa

Fact Check/Verification

Newschecker ने दावे की पड़ताल के लिए सबसे पहले वायरल पोस्ट को खंगाला, जिसमें यह वीडियो मौजूद था. इस दौरान हमें ट्वीट के रिप्लाई सेक्शन में @dsjat नाम के एक हैंडल से किया गया रिप्लाई मिला, जिसमें यूजर ने बताया है कि यह मूर्ति घास भैरू की है, जो राजस्थान के हर गांव में होती है और मान्यता के अनुसार लोग बारिश के लिए पूरे गांव के चारों तरफ़ घुमाते हैं.

अब हमने पोस्ट से मिली मिली जानकारी के आधार पर संबंधित कीवर्ड की मदद से फ़ेसबुक सर्च किया. हमें 2021 में कई फ़ेसबुक अकाउंट से शेयर किया गया यह वीडियो मिला. 

इसी दौरान हमें कुलदीप मीणा आदिवासी नाम के एक फ़ेसबुक अकाउंट से 21 मई 2021 को अपलोड किया गया यह वीडियो मिला. पोस्ट में मौजूद कमेंट सेक्शन में उन्होंने इसे सिमलिया गांव का बताया था. 

Courtesy: fb/kuldeepmeena1990

इसके बाद हमने यह पता लगाया कि सिमलिया गांव राजस्थान के किस जिले में आता है, तो हमें पता चला कि यह गांव कोटा जिले में मौजूद है. अब हमने संबंधित कीवर्ड की मदद से न्यूज़ रिपोर्ट खंगाली, लेकिन हमें इससे जुड़ी कोई न्यूज़ रिपोर्ट नहीं मिली. 

इसके बाद हमने सिमलिया थाने से संपर्क किया. वहां के एसएचओ उम्मेद सिंह ने वायरल वीडियो की पुष्टि करते हुए कहा कि यह वीडियो सिमलिया गांव का है और साल 2021 का है. इस दौरान उन्होंने मूर्ति तोड़ने के वायरल दावे का खंडन किया.

एसएचओ उम्मेद सिंह ने Newschecker को बताया, “कोटा संभाग के हर गांव में लोग घास भैरू को मानते हैं, जो मूलतः बड़े आकार के पत्थर से बना होता है. गांव के लोग बारिश या उन्नति के लिए किसी ख़ास दिन घास भैरू की पूजा करते हैं और बाद में उसे बैलगाड़ी या ट्रैक्टर की सहायता से लकड़ियों पर रखकर पूरे गांव में घुमाते हैं. हर साल की तरह 2021 में सिमलिया गांव के लोगों ने इसे मनाने की योजना बनाई, लेकिन कोरोना महामारी होने की वजह से पुलिस ने भीड़ जमा नहीं होने दिया. जिसके बाद तत्कालीन एसएचओ जगदीश राव ने खुद ही ट्रैक्टर की मदद से घास भैरू को पूरे गांव में घुमवाया”.

इस दौरान उन्होंने हमें यह भी बताया कि वीडियो में दिख रहे पुलिसकर्मी तत्कालीन एसएचओ जगदीश राव ही हैं. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि हाल में उनके इलाके में किसी मंदिर या उसकी मूर्ति को तोड़े जाने जैसी कोई घटना नहीं हुई है.

Conclusion

हमारी जांच में मिले साक्ष्यों से यह स्पष्ट है कि वायरल वीडियो के साथ किया जा रहा दावा कि राजस्थान में भैरव मंदिर तोड़ने के बाद मूर्ति को ट्रैक्टर से घसीटकर ले जाया गया, पूरी तरह से भ्रामक है. असल में यह वीडियो राजस्थान के कोटा जिले के सिमलिया गांव का है, जहां पत्थर से बने स्थानीय देवता घास भैरू को गांव के चारों तरफ़ घसीटकर ले जाना एक परंपरा का हिस्सा है.

Result: Missing Context

Our Sources
Facebook Posts From May 2021
Telephonic Conversation With Simliya SHO On September 19, 2023

Authors

Since 2011, JP has been a media professional working as a reporter, editor, researcher and mass presenter. His mission to save society from the ill effects of disinformation led him to become a fact-checker. He has an MA in Political Science and Mass Communication.

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