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Since 2011, JP has been a media professional working as a reporter, editor, researcher and mass presenter. His mission to save society from the ill effects of disinformation led him to become a fact-checker. He has an MA in Political Science and Mass Communication.
सोशल मीडिया पर एक वीडियो के जरिए दावा किया गया कि जमीन पर लेटकर रिपोर्टिंग करता यह व्यक्ति एनडीटीवी का पत्रकार रवीश कुमार है।
सोशल मीडिया पर आये दिन मेनस्ट्रीम मीडिया द्वारा चलाई गई खबरों की समीक्षा की जाती है. अक्सर इन समीक्षाओं के दौरान पत्रकार रवीश कुमार का नाम भी लिया जाता है. कुछ लोग उन्हें पत्रकारिता के मानक को ऊपर उठाने का श्रेय देते हैं तो वहीं कुछ लोग उन्हें पत्रकारिता के मानक को निम्न स्तर पर ले जाने का जिम्मेदार बताते हैं. इसी समीक्षा, प्रशंसा और आलोचनाओं के बीच फेक न्यूज़ भी अपनी जगह बना लेता है. एक ऐसी ही फेक न्यूज़ बीते दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो रही थी जिसमे दावा किया गया कि एनडीटीवी के पत्रकार रविश कुमार, जो मीडिया को रिपोर्टिंग के मसले पर हमेशा ज्ञान देते हैं, वो इस वीडियो में खुद जमीन पर लेटकर पत्रकारिता का मजाक बना रहे हैं. बात अगर वायरल वीडियो की करें तो हाथ में माइक लिए एक व्यक्ति जमीन पर लेटकर करवटें बदलता दिख रहा है. वायरल वीडियो को सोशल मीडिया पर कई अन्य यूजर्स ने भी शेयर किया है.
बता दें, इसी वीडियो के ऊपर टेक्स्ट लिखकर भी इसे शेयर किया जा रहा है.
वायरल दावे की पड़ताल के लिए सबसे पहले इसे कुछ की-फ्रेम्स में तोड़ा और एक की फ्रेम की सहायता से गूगल सर्च किया. गूगल सर्च से प्राप्त परिणामों को देखने पर हमें कोई ठोस जानकारी नहीं मिल पाई. फिर हमने जब इसी की-फ्रेम को “ndtv reporter rolling” कीवर्ड्स के साथ ढूंढा तो पता चला कि वायरल वीडियो NDTV के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर साल 2013 में अपलोड किया गया था.
बता दें कि वायरल वीडियो को NDTV के आधिकारिक चैनल पर रिपोर्टिंग के दौरान हुई जानी अनजानी गलतियों के रूप में अपलोड किया गया है. वीडियो का टाइटल (NDTV Bloopers 2006: Err, rolling?) पढ़ने पर यह पता चलता है कि वायरल वीडियो 2006 में NDTV के रिपोर्टर्स द्वारा रिपोर्टिंग के दौरान की गई गलतियों या अनचाही घटनाओं का है.
गौरतलब है कि वायरल वीडियो में उक्त रिपोर्टर के अलावा भी कई अन्य लोग उपस्थित हैं। लेकिन वीडियो में ना सिर्फ NDTV का रिपोर्टर बल्कि अन्य लोग भी झुकी हुई अवस्था में हैं.
उपरोक्त यूट्यूब वीडियो के कमेंट सेक्शन में यह बताया गया है कि जमीन पर लेटकर रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकार रवीश कुमार नहीं है बल्कि वो कश्मीर के रहने वाले हैं और परवेज बुखारी या ऐसा ही कुछ उनका नाम है. यूट्यूब वीडियो के महत्वपूर्ण कमेंट्स निचे देखे जा सकते हैं.
यूट्यूब वीडियो के कमेंट सेक्शन से हमें यह जानकारी मिली कि उक्त रिपोर्टर रविश कुमार नहीं बल्कि कोई बुखारी हैं जो कि कश्मीर के रहने वाले हैं और किसी हमले के बीच उन्हें रक्षात्मक शैली में रिपोर्टिंग करनी पड़ रही है. इसके बाद जब हमने कुछ कीवर्ड्स की सहायता से गूगल सर्च किया तो हमें पता चला कि वायरल वीडियो में दिख रहे पत्रकार रवीश कुमार नहीं बल्कि फ़याज़ बुखारी हैं. बता दें कि फ़याज़ बुखारी पहले NDTV में कार्यरत थे.
फ़याज़ बुखारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए जब हमने ‘Fayaz Bukhari” गूगल पर सर्च किया तो हमें उनकी फेसबुक प्रोफाइल मिली जहां फ़याज़ ने भी NDTV द्वारा यूट्यूब पर अपलोड किये गए वीडियो से मिलता जुलता एक वीडियो शेयर किया है.
अब हमने NDTV द्वारा यूट्यूब पर अपलोड किये गए ब्लूपर वीडियो के कमेंट सेक्शन से प्राप्त एक अन्य जानकारी का सहारा लेकर हमने “militants attack kashmir in 2006” कीवर्ड्स की सहायता से यूट्यूब सर्च किया जहां हमें समाचार एजेंसी AFP द्वारा 5 साल पहले अपलोडेड एक वीडियो मिला.
AP Archive द्वारा पब्लिश्ड इस यूट्यूब वीडियो में यह जानकारी दी गई है कि कश्मीर में अलगाव वादियों ने एक राजनैतिक रैली पर हमला कर दिया था जिसमे 7 लोगों की मृत्यु हो गई थी और 20 लोग घायल हो गए थे.
यूट्यूब वीडियो को ध्यान से देखने पर हमें वायरल वीडियो के की-फ्रेम्स में और उपरोक्त वीडियो के की-फ्रेम्स में कई सारी समानताएं दिखीं. मसलन दोनों ही वीडियो में रिपोर्टर और कैमरा मैन एक जैसे ही दिखने वाले पुल के पीछे छिपे हुए हैं तथा दोनों ही वीडियो में एक कैमरा मैन को देखा जा सकता है.
इसके बाद Human Rights Watch द्वारा प्रकाशित एक लेख भी मिला जिसमे उक्त घटना को 2006 की बताते हुए इसके बारे में अन्य जानकारी भी दी गई है.
इसके बाद हमने फ़याज़ बुखारी से बात उनसे करके पूरे मामले की तस्दीक की जहां हमसे बात करते हुए फ़याज़ ने यह जानकारी दी कि वायरल वीडियो 2006 की है जब कांग्रेस की एक रैली पर फिदायीन हमला हुआ था. फ़याज़ ने बताया कि वह फिदायीन हमले के खत्म हो जाने के बाद लाइव रिपोर्टिंग कर रहे थे तथा वहां मौजूद लोगों में से किसी को यह जानकारी नहीं थी कि एक अलगाववादी अभी जिंदा है और आसपास छुपा हुआ है. अचानक से गोलीबारी शुरू हो गई और फ़याज़ बिना किसी कवर के रिपोर्टिंग कर रहे थे. फ़याज़ के साथ मौजूद कैमेरपर्सन ने कवर ले ली थी लेकिन फ़याज़ अभी भी गोलीबारी के घेरे में थे और इसी वजह से उन्होंने लेट कर रोल करते हुए कवर लिया. फ़याज़ द्वारा घटना का पूरा विवरण निचे पढ़ा जा सकता है:
“There was a congress rally which came under fidayeen attack in May 2006.
I was doing live after it was over. And no one was knowing that one more militant was alive and was hiding nearby. All of a sudden there was heavy firing and I was in open doing live broadcast without any cover. The camera persons had taken cover and I was the only one who was exposed to fire.
I ducked and rolled to reach behind the other camera persons to get cover from direct fire.
It was from Poloview near city centre Srinagar.”
इस प्रकार हमारी पड़ताल में यह बात साफ़ हो जाती है कि वायरल वीडियो में दिख रहे पत्रकार रवीश कुमार नहीं बल्कि 2006 में NDTV के लिए काम कर चुके फ़याज़ बुखारी हैं.
Result: Misleading
Sources: YouTube video published by NDTV and AP
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Since 2011, JP has been a media professional working as a reporter, editor, researcher and mass presenter. His mission to save society from the ill effects of disinformation led him to become a fact-checker. He has an MA in Political Science and Mass Communication.