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Fact Check
कर्नाटक में चल रहे हिजाब विवाद के बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है. वीडियो के साथ दावा किया जा रहा है कि कर्नाटक के एक कॉलेज में हिंदूवादी छात्रों ने तिरंगा हटाकर भगवा झंडा लहराया.
वीडियो किसी कॉलेज का लग रहा है, जहां एक आदमी खंभे पर चढ़कर भगवा झंडा लगाते हुए देखा जा सकता है. नीचे खड़ी भीड़ जोश में भगवा गमछा लहराते हुए नजर आ रही है.
पोस्ट का आर्काइव यहां देखा जा सकता है.
वीडियो को सोशल मीडिया पर कई वेरीफाइड ट्विटर हैंडल्स द्वारा शेयर किया गया है. कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने भी कल एक ट्वीट करते हुए लिखा कि बीजेपी से मिले हुए कुछ राष्ट्र विरोधी लोगों ने कर्नाटक के शिमोगा के एक कॉलेज में राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया.
इस घटना को लेकर कुछ खबरें भी प्रकाशित हुई हैं, जिनमें इस वीडियो को शिमोगा के ‘गवर्नमेंट फर्स्ट ग्रेड कॉलेज’ का बताया गया है.
इंडिया टुडे की खबर के अनुसार, कर्नाटक में हिजाब विवाद 1 जनवरी को शुरू हुआ जब उडुपी के एक सरकारी कॉलेज में हिजाब पहनकर आईं कुछ मुस्लिम लड़कियों को क्लास रूम में घुसने से मना कर दिया गया. इसके बाद छात्राओं ने हिजाब पर पाबंदी को लेकर प्रदर्शन करना शुरू कर दिया.
इसके जवाब में कर्नाटक के कुछ कॉलेजों में हिंदू छात्र भगवा शॉल पहनकर चले गए. छात्रों ने तर्क दिया कि अगर कॉलेज में हिजाब पहना जा सकता है तो फिर हिंदुओं के लिए भगवा शॉल में क्या परेशानी है.
इसी के साथ ही कर्नाटक में भगवा बनाम हिजाब की लड़ाई शुरू हो गई और कई शैक्षणिक संस्थानों में बवाल देखने को मिला. मामला बढ़ने के बाद कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई को राज्य के स्कूल-कॉलेजों को तीन दिन के लिए बंद करने का आदेश देना पड़ा. इसी कड़ी में 8 फरवरी को शिमोगा के इस कॉलेज में भी भगवा झंडा फहराने की घटना सामने आई.
शिमोगा के ‘गवर्नमेंट फर्स्ट ग्रेड कॉलेज’ में हुई इस घटना को लेकर हमने सबसे पहले संस्थान के प्रिंसिपल ‘धनंजय बी आर’ से बात की. धनंजय ने हमें बताया “यह दावा गलत है कि वीडियो में खंभे पर चढ़े व्यक्ति ने राष्ट्रीय ध्वज हटाकर भगवा झंडा लहराया था. घटना से पहले वीडियो में दिख रहे खंभे पर कोई झंडा मौजूद नहीं था. इस खंबे पर सिर्फ 15 अगस्त और 26 जनवरी को तिरंगा झंडा लहराया जाता है, जिसे थोड़ी देर बाद ही हटा लिया जाता है.”
धनंजय ने यही बयान कुछ मीडिया संस्थाओं को भी दिया है. धनंजय ने हमें कॉलेज के मैदान में लगी इस खंभे की एक फोटो भी भेजी, जिसमें इस पर कोई ध्वज नहीं दिख रहा है. धनंजय का कहना था कि यह फोटो खंभे पर भगवा ध्वज फहरने से पहले पुलिस ने खींची थी.

इसके अलावा हमें गूगल मैप्स पर भी इस कॉलेज की कुछ पुरानी तस्वीरें मिलीं, जिसमें यह खंभा खाली दिख रहा है.

जब यह गलत खबर फैलने लगी तो इसको लेकर शिमोगा के पुलिस अधीक्षक बीएम लक्ष्मी प्रसाद ने भी अपना बयान जारी किया. उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि कॉलेज में राष्ट्रीय ध्वज हटाकर भगवा ध्वज लगाने का यह दावा झूठा है. भगवा झंडे से पहले खंभे पर राष्ट्रीय ध्वज था ही नहीं. इसके साथ ही, भगवा झंडा फहराने के कुछ देर बाद प्रदर्शनकारियों ने इसे खुद ही हटा लिया था.
इस तरह हमारी जांच में यह साबित हो जाता है कि शिमोगा के इस कॉलेज में भगवा झंडा तो सचमुच फहराया गया था. लेकिन यह दावा गलत है कि तिरंगे को हटाकर भगवा झंडा लगाया गया था.
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