Authors
Since 2011, JP has been a media professional working as a reporter, editor, researcher and mass presenter. His mission to save society from the ill effects of disinformation led him to become a fact-checker. He has an MA in Political Science and Mass Communication.
सोशल मीडिया पर एक किसान और कुछ पुलिसकर्मियों के बीच झड़प की एक तस्वीर वायरल हो रही है। दावा किया गया है कि यह मौजूदा किसान आंदोलन की तस्वीर है।
केंद्र सरकार द्वारा बनाये गए नए कृषि कानून के खिलाफ पंजाब सहित देश के कई किसान संगठन दिल्ली की तरफ बढ़ रहे हैं। बीते कुछ दिनों से पंजाब से दिल्ली कूच कर रहे किसानों को रोकने के लिए हरियाणा सरकार द्वारा कई मोर्चों पर पुलिस बैरिकेटिंग के इंतजाम किये गए, लेकिन किसानों के हौसलों को नहीं रोक पाए। इस दौरान कई जगह किसानों पर पानी के कैनन से बौछार मारकर उन्हें पीछे करने का प्रयास किया गया तो वहीं कई जगह आंसू गैस के गोले भी छोड़े गए। इसी बीच सोशल मीडिया पर कई फेक खबरों का भी अम्बार लगा रहा। हमारी टीम ने कुछ ऐसे ही फेक दावों पर फैक्ट चेक किया है। इसी क्रम में एक किसान और पुलिस की झड़प की एक तस्वीर मौजूदा किसान आंदोलन से जोड़कर शेयर की जा रही है। वायरल ट्वीट का आर्काइव यहाँ देखा जा सकता है।
Fact Check/Verification
पुलिसकर्मियों द्वारा एक व्यक्ति के साथ हाथापाई की वायरल तस्वीर का सच जानने के लिए पड़ताल शुरू की। गूगल रिवर्स करने पर कुछ मीडिया रिपोर्ट्स सामने आई। रिपोर्ट्स को पढ़ने के बाद पता चला कि वायरल तस्वीर का मौजूदा किसान आंदोलन से कोई वास्ता नहीं है।
Thesundaypost द्वारा वायरल तस्वीर को इसी साल सितम्बर महीने में प्रकाशित किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक़ हरियाणा के पीपली में किसानों के आंदोलन के समय पुलिस और किसानों में झड़प हो गई थी। इस घटना के बाद विपक्ष ने सरकार की आलोचना भी की थी।
किसान आंदोलन को लेकर वायरल हुए कई अन्य दावों का फैक्ट चेक यहाँ पढ़ा जा सकता है।
पड़ताल के दौरान 10 सितम्बर को कांग्रेस नेता गोविन्द सिंह द्वारा किया गया एक ट्वीट प्राप्त हुआ। इस ट्वीट में उन्होंने कई तस्वीरों को शेयर करते हुए हरियाणा की खट्टर सरकार की आलोचना की है। ट्वीट में वायरल तस्वीर को देखा जा सकता है।
पड़ताल के दौरान timesofindia द्वारा प्रकाशित किया गया एक लेख मिला। इस लेख में भी पीपली में किसानों पर हुए लाठीचार्ज का जिक्र किया गया है। यह रिपोर्ट भी इसी साल सितम्बर माह में प्रकाशित की गई है।
navodayatimes द्वारा भी वायरल तस्वीर को एक लेख में प्रकाशित किया गया है। सितम्बर महीने में प्रकाशित इस रिपोर्ट में भी इस तस्वीर को पीपली का बताया गया है।
Conclusion
हमारी पड़ताल में यह साफ हो गया कि सोशल मीडिया पर शेयर की गई किसान की तस्वीर करीब 3 महीने पुरानी है। इस तस्वीर का मौजूदा किसान आंदोलन से कोई सम्बन्ध नहीं है।
Result- Misleading
Sources
TOI-https://timesofindia.indiatimes.com/city/chandigarh/jjp-apologies-to-farmers-for-pipli-lathicharge/articleshow/78177463.cms
Navoday Times-https://www.navodayatimes.in/news/national/haryana-farmer-protest-goverment-policy-manohar-lal-khattar-sobhnt/156909/
Thesundaypost- https://thesundaypost.in/country/opposition-encircles-government-after-lathicharge-on-farmers-in-haryana/
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Since 2011, JP has been a media professional working as a reporter, editor, researcher and mass presenter. His mission to save society from the ill effects of disinformation led him to become a fact-checker. He has an MA in Political Science and Mass Communication.