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Fact Check
सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर कर यह दावा किया गया कि त्रिपुरा में अल्पसंख्यकों के साथ अत्याचार के खिलाफ मुस्लिम समाज के लोगों द्वारा सड़क पर उतरकर प्रदर्शन किया गया.
पिछले कुछ दिनों से त्रिपुरा में दो समुदायों के बीच हिंसक झड़प, आगजनी एवं तोड़-फोड़ की तमाम घटनायें सामने आयी हैं. हिंसा (Tripura Violence) की जिम्मेदारी को लेकर सोशल मीडिया यूजर्स अपनी-अपनी विचारधारा के अनुसार एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं.
हिंसा एवं आगजनी की इस घटना के बाद से ही राज्य में अशांति का माहौल बन गया है. सांप्रदायिक दंगों से बचने के लिए संवेदनशील इलाकों में भारी पुलिसबल की तैनाती भी की गई है. त्रिपुरा पुलिस ने अपने ताजा बयान में राज्य में कानून व्यवस्था दुरुस्त होने का दावा करते हुए नागरिकों से फेक न्यूज़, भ्रामक जानकारी तथा साम्प्रदायिक कंटेंट ना शेयर करने की अपील की है.
इसी क्रम में सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर कर यह दावा किया गया कि त्रिपुरा में अल्पसंख्यकों के साथ अत्याचार के खिलाफ मुस्लिम समाज के लोगों द्वारा सड़क पर उतरकर प्रदर्शन किया गया.
‘त्रिपुरा में अल्पसंख्यकों के साथ अत्याचार के खिलाफ मुस्लिम समाज के लोगों द्वारा सड़क पर उतरकर प्रदर्शन’ के दावे के साथ शेयर किये जा रहे इस वीडियो की पड़ताल के लिए हमने वीडियो को की-फ्रेम्स में बांटा और एक की-फ्रेम को गूगल पर ढूंढा. हालांकि, वीडियो की गुणवत्ता खराब होने की वजह से इस पूरी प्रक्रिया में हमें कोई ठोस जानकारी प्राप्त नहीं हुई.

हमने वीडियो में दिख रहे दृश्यों की सहायता से ‘मुस्लिम उमड़ी भीड़’ तथा कुछ अन्य कीवर्ड्स को यूट्यूब पर ढूंढा. इस प्रक्रिया में हमें कई ऐसे वीडियो प्राप्त हुए, जिनमे वायरल वीडियो से मिलते-जुलते दृश्य देखे जा सकते हैं.

वायरल वीडियो से मिलते जुलते कई अन्य यूट्यूब वीडियो के साथ शेयर किये गए डिस्क्रिप्शन के अनुसार, यह वीडियो असल में उत्तर प्रदेश के बदायूं का है, जहां 9 मई, 2021 को मुस्लिम धर्मगुरु ‘हजरत अब्दुल हमीद मोहम्मद सालिम उल कादरी’ का निधन होने के बाद हजारों की भीड़ ने उनके जनाजे में शामिल होकर उन्हें अंतिम विदाई दी थी.
‘त्रिपुरा में अल्पसंख्यकों के साथ अत्याचार के खिलाफ मुस्लिम समाज के लोगों द्वारा सड़क पर उतरकर प्रदर्शन’ के दावे के साथ शेयर किये जा रहे इस वीडियो के दृश्यों से मिलते-जुलते दृश्यों के साथ शेयर किये गए अन्य वीडियो को, की-फ्रेम्स में बांटकर एक की-फ्रेम को गूगल पर ढूंढने पर हमें यह जानकारी मिली कि वायरल वीडियो हाल-फिलहाल का नहीं है, बल्कि यह पूर्व में भी अन्य दावों के साथ सोशल मीडिया पर शेयर किया जा चुका है.

Naseem Saaz Mansuri नामक फेसबुक यूजर द्वारा 19 मई, 2021 को शेयर किये गए एक पोस्ट में वायरल वीडियो प्राप्त हुआ, जिसे आजमगढ़ समाचार नामक एक पेज द्वारा पोस्ट किया गया है.

आजमगढ़ समाचार नामक पेज ने 19 मई, 2021 को उक्त वीडियो को शेयर कर लिखा, “नमाज – ए – जनाज़ा मेवात में 18/05/2021 को मॉब लिंचिंग का शिकार हुए आसिफ खान के जनाज़े का मंज़र, अल्लाह आसिफ भाई को जन्नत उल फिरदोस अता फरमाए।”
उक्त फेसबुक वीडियो के माध्यम से यह बात साफ हो जाती है कि वायरल वीडियो त्रिपुरा में हुई हालिया हिंसा से संबंधित नहीं है. अब हमने कुछ अन्य कीवर्ड्स की सहायता से वायरल वीडियो के संबंध में और अधिक जानकारी जुटाने का प्रयास किया. इस प्रक्रिया में हमें एक अन्य यूट्यूब वीडियो प्राप्त हुआ, ‘जिसमे हजरत अब्दुल हमीद मोहम्मद सालिम उल कादरी’ के जनाजे का वह हिस्सा स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है, जिससे वायरल वीडियो को लिया गया है.
पड़ताल के दौरान पता चला कि ‘Madarsa Khanqah Aaliyah Qadriyah Majeediya Budaun Sharif’ के यूट्यूब चैनल ‘SGP Network’ द्वारा 29 सितंबर, 2021 को यह वीडियो ‘Janaza Huzoor Tajdare Ahle Sunnat| Janaza Hazrat Saalim Miyan Qadri Budaun| Janaza Peer Salim Miyan’ टाइटल के साथ शेयर किया गया है. उक्त यूट्यूब वीडियो में 13 सेकंड के बाद वायरल वीडियो को देखा जा सकता है. बता दें कि उक्त चैनल बदायूं स्थित एक मदरसे का है तथा चैनल पर हजरत अब्दुल हमीद मोहम्मद सालिम उल कादरी के निधन से पहले के भी उनके बयानों को प्रकाशित किया गया है, तथा उनके निधन के बाद उनके जनाजे से संबंधित कई वीडियो भी शेयर किये गए हैं.
इस प्रकार हमारी पड़ताल में यह बात साफ हो जाती है कि ‘त्रिपुरा में अल्पसंख्यकों के साथ अत्याचार के खिलाफ मुस्लिम समाज के लोगों द्वारा सड़क पर उतरकर प्रदर्शन किया गया’ दावे के साथ शेयर किया जा रहा यह दावा भ्रामक है. असल में वायरल वीडियो उत्तर प्रदेश के बदायूं का है, जहां 9 मई, 2021 को ‘हजरत अब्दुल हमीद मोहम्मद सालिम उल कादरी’ के निधन के बाद हजारों की भीड़ ने उनके जनाजे में शामिल होकर उन्हें अंतिम विदाई दी थी.
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