शनिवार, नवम्बर 2, 2024
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क्या सच में डायनासोर के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं कुछ लोग? पढ़ें वायरल दावे पर हमारी EXCLUSIVE पड़ताल

Authors

A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

Claim

अब बस इनका ही आना बाक़ी रह गया था 2020 में।

जानिए वायरल दावा

सोशल मीडिया पर चौंका देने वाला एक वीडियो शेयर हो रहा है। वीडियो में एक छोटे आकर का डायनासोर इधर-उधर घूमता हुआ दिख रहा है। दावा किया जा रहा है कि महामारी के इस साल 2020 में अब बस यही देखने को बाक़ी रह गया था।

फैक्ट चेक –

संकट के इस वर्ष 2020 में अब तक हमारा सामना टिड्डी दल, कोरोना वायरस, अम्फान साइक्लोन और भूकंप जैसी तमाम मुश्किलों से हो चुका है। पहली बार पूरे देश में किसी बीमारी के चलते पारित हुए लॉकडाउन से हुई देशबंदी का नज़ारा भी इसी वर्ष देख लिया। ऐसे में सोशल मीडिया पर डायनासोर का एक वीडियो वायरल हो रहा। ट्विटर पर वायरल हुए इस वीडियो को newschecker के एक पाठक ने टैग कर इस वीडियो की प्रमाणिकता जांचने को कहा।

वायरल वीडियो का सच जानने के लिए हमने Google पर वीडियो से संबंधित खबरों को खंगाला। लेकिन हमें वीडियो से संबंधित कोई खबर प्राप्त नहीं हुई।

डायनासोर वायरल वीडियो की खबरों का परिणाम

हालांकि गूगल पर एक-दो लेख ‘डायनासोर’ विषय पर प्रकाशित जरूर मिले लेकिन उनका वायरल वीडियो से कोई संबंध नहीं है।

वायरल डायनासोर के वीडियो की गूगल पर कोई जानकारी नहीं मिली। लिहाजा वीडियो का असली स्रोत पता लगाने के लिए हमने वायरल वीडियो को दोबारा गौर से देखा। इस दौरान हमने पाया कि वीडियो में जिस डायनासोर को दिखाया जा रहा है वह एक जमीन पर जमा हुए पानी पर चल रहा है। साथ ही ये जानवर एक नियमित दूरी तक चलकर वापस आ रहा है। गौर से देखा तो हमने पाया कि डायनासोर पानी पर अपनी छाप छोड़ने में भी असमर्थ है। इसके अलावा वीडियो में देखा जा सकता है कि कुछ लोग डायनासोर पर पानी भी फेंक रहे हैं, लेकिन जानवर बिलकुल भी विचलित नहीं हो रहा है।

उपरोक्त बताये बिंदुओं पर गौर करने के बाद हमें आशंका हुई कि वायरल वीडियो को किसी तकनीक की मदद से बनाया गया है। जिसके बाद हमने गूगल पर ऐसी तकनीक के बारे में खोजना शुरू किया जिससे काल्पनिक चीज़ों को असलियत में देखा जा सकता है।

खोज के दौरान हमें ऑगमेंटेड रियलिटी के बारे में पता चलता है। बता दें कि ऑगमेंटेड रियलिटी एक ऐसी तकनीक है, जिसकी सहायता से आप अपने आसपास के वातावरण जैसी ही एक डिजिटल दुनिया बना सकते है। यह देखने में एकदम वास्तविक लगता है। इसका इस्तेमाल गेंमिग, शिक्षा, सैन्य प्रशिक्षण, इंजीनियरिंग डिज़ाइन, रोबोटिक्स, शॉपिंग, और चिकित्सा के क्षेत्र में किया जा रहा है। ऑगमेंटेड रियलिटी पर अधिक जानकारी के लिए दिए गए लेख को पढ़ें।

पड़ताल के दौरान हमें पता चला कि गूगल में एक ‘एआर सर्च’ नाम का फीचर होता है। जिससे जानवरों को 3डी कैमरे के माध्यम से देखा सकता है। इस दौरान creative blog.com नामक वेबसाइट पर छपे एक लेख से जानकारी मिली कि गूगल ने हाल ही अपने इस फीचर में डायनासोर को जोड़ा है

डायनासोर के ऑग्मेंटेड रियलिटी सर्च परिणाम

प्राप्त लेख में कुछ डायनासोर की तस्वीरें छपी हुई मिली। इस दौरान हमने जाना कि इनमें से एक तस्वीर वायरल वीडियो वाले डायनासोर से मेल खाती है।

वायरल डायनासोर की तुलना

इसके बाद हमने इस तकनीक का इस्तेमाल कैसे किया जाता है, इसका वीडियो भी देखा। जहां हमें यूट्यूब के एक चैनल पर इस तकनीक के ट्यूटोरियल का वीडियो भी मिला। नीचे दिए गए वीडियो में इस तकनीक का इस्तेमाल कैसे करें यह देखा जा सकता है।

यूट्यूब पर प्राप्त इस वीडियो को देखकर हमने भी अपने फ़ोन के कैमरे की मदद से अपने घर पर ही एक वीडियो बनाया है। जिसे नीचे देखा जा सकता है।

पड़ताल के दौरान कई टूल्स और कीवर्ड्स का उपयोग करते हुए हमने वायरल दावे का अध्ययन किया और अपनी पड़ताल में हमने पाया कि वायरल हो रहा दावा गूगल की ऑगमेंटेड रियलिटी नामक एक तकनीक की मदद से बनाया गया है इसका वास्तविकता से कोई संबंध नहीं है।

Tools Used 

  • InVid
  • Reverse Search Image
  • Google Search

Result:Misleading


(किसी संदिग्ध ख़बर की पड़ताल, संशोधन या अन्य सुझावों के लिए हमें WhatsApp करें: 9999499044  या ई-मेल करें: checkthis@newschecker.in)


Authors

A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

Nupendra Singh
A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

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