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A self-taught social media maverick, Saurabh realised the power of social media early on and began following and analysing false narratives and ‘fake news’ even before he entered the field of fact-checking professionally. He is fascinated with the visual medium, technology and politics, and at Newschecker, where he leads social media strategy, he is a jack of all trades. With a burning desire to uncover the truth behind events that capture people's minds and make sense of the facts in the noisy world of social media, he fact checks misinformation in Hindi and English at Newschecker.
सोशल मीडिया पर कई पत्रकारों तथा अन्य ने यह दावा किया है कि किसानों द्वारा 26 जनवरी को आयोजित ट्रैक्टर रैली के दौरान पुलिस की गोली लगने से एक किसान की मौत हो गई.
26 जनवरी, ऐसे तो यह तारीख भारत में गणतंत्र दिवस यानि रिपब्लिक डे के लिए जानी जाती है। लेकिन 26 जनवरी को किसानों के ट्रैक्टर मार्च के दौरान हुई हिंसा के बाद अब इस तारीख को दिल्ली में हुई गणतंत्र दिवस हिंसा और एक किसान के निधन के लिए भी जाना जायेगा. कल के घटनाक्रम को लेकर तमाम सोशल मीडिया यूजर्स ने अपने विचार व्यक्त किये. यूं तो किसान शब्द एक ऐसे पिछड़े तथा आर्थिक रूप से कमजोर जनसमूह का प्रतिनिधित्व करता है जो कि अपने जीविकोपार्जन के लिए कृषि पर निर्भर हैं. एक समुदाय या जनसमूह के तौर पर किसान गैर-राजनैतिक होता है. लेकिन अगर किसी एक किसान या किसान संगठनों की बात करें तो उनकी एक राजनैतिक प्रतिबद्धता हो सकती है, वो किसी विचारधारा विशेष का समर्थन या विरोध कर सकते हैं. फलस्वरूप सोशल मीडिया यूजर्स ने आंदोलन और कल के पूरे घटनाक्रम को लेकर अपनी अपनी विचारधारा के अनुरूप अपने विचार व्यक्त किये. इसी क्रम में कुछ सोशल मीडिया यूजर्स ने यह दावा किया कि प्रदर्शनरत किसानों ने लाल किले से तिरंगे को हटाकर खालिस्तान का झंडा फहराया. यह दावा हमारी पड़ताल में गलत साबित हुआ था. इस विषय पर हमारी पड़ताल यहां पढ़ी जा सकती है. तो वहीं भारतीय किसान यूनियन समेत अन्य ने यह दावा किया कि गणतंत्र दिवस के अवसर पर लाल किले पर निशान साहिब का झंडा लगाने वाले दीप सिद्धू भाजपा के लोकसभा सांसद एवं अभिनेता सनी देओल के प्रतिनिधि हैं. यह दावा भी हमारी पड़ताल में भ्रामक निकला. इस विषय पर हमारी पड़ताल यहां पढ़ी जा सकती है.
कल के घटनाक्रम के दौरान एक किसान की मृत्यु हो गई. इसी को लेकर कई मीडिया संस्थानों, पत्रकारों और सोशल मीडिया यूजर्स ने यह दावा किया कि किसान की मृत्यु पुलिस की गोली से हुई है.
उक्त दावे का आर्काइव वर्जन यहां देखा जा सकता है.
उक्त दावे का आर्काइव वर्जन यहां देखा जा सकता है.
Fact Check/Verification
कल के पूरे घटनाक्रम से संबंधित सर्वाधिक जानकारी आपको सोशल मीडिया विशेषकर ट्विटर पर मिल सकती है, क्योंकि सोशल मीडिया पर हर विचारधारा को मानने वाले लोग संबंधित जानकारी शेयर करते हैं. अतः वायरल दावे की पड़ताल के लिए हमने कुछ कीवर्ड्स की सहायता से ट्विटर एडवांस्ड सर्च फीचर के इस्तेमाल से मामले की तह तक पहुंचने का प्रयास किया. इसी क्रम में हमें NDTV के वरिष्ठ संपादक उमाशंकर सिंह द्वारा किया गया एक ट्वीट प्राप्त हुआ. जिसमें उन्होंने NDTV के एसोसिएट एडिटर मुकेश सिंह सेंगर के हवाले से यह जानकारी दी है कि पुलिस द्वारा जारी किये गए CCTV फुटेज के अनुसार किसान की मौत पुलिस की गोली लगने से नहीं बल्कि ट्रैक्टर पलटने से हुई है.
हालांकि उमाशंकर सिंह ने अपने एक दूसरे ट्वीट में पुलिस द्वारा जारी किये गए CCTV फुटेज को अधूरा बताते हुए दिल्ली पुलिस से पूरा फुटेज जारी करने की मांग की है.
दिल्ली पुलिस ने CCTV फुटेज जारी कर ट्रैक्टर पलटने को बताया किसान के निधन का कारण
इसके बाद हमें समाचार एजेंसी ANI द्वारा ट्विटर पर शेयर किया हुआ एक वीडियो भी प्राप्त हुआ। जिसमे पुलिस द्वारा जारी किये गए CCTV फुटेज को शेयर कर दिल्ली पुलिस के मार्फ़त यह जानकारी दी गई है कि किसान की मृत्यु ट्रैक्टर पलटने से हुई है.
क्या कहती है पोस्टमार्टम रिपोर्ट?
इसके बाद हमें समाचार एजेंसी ANI UP द्वारा किया गया एक ट्वीट मिला जिसमे ADG Bareilly अविनाश चंद्रा ने यह जानकारी दी है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में किसान की मृत्यु का कारण ट्रैक्टर का पलटना बताया गया है. साथ ही साथ यह स्पष्ट भी किया गया है कि किसान कि मृत्यु गोली लगने से नहीं हुई है.
हमारी पड़ताल के दौरान हमें The Print में इस विषय पर प्रकाशित एक लेख मिला जिसमे मृत किसान के मुलाहिजा रिपोर्ट को लेकर विस्तार से जानकारी दी गई है.
इसके बाद हमने पूरे मामले पर अधिक जानकारी के लिए रामपुर पुलिस से संपर्क किया. इसके बाद रामपुर पुलिस ने हमें मृतक किसान के पोस्टमार्टम रिपोर्ट को लेकर पुलिस का आधिकारिक बयान भेजा. गौरतलब है रामपुर पुलिस द्वारा हमें भेजी गई पोस्टमार्टम रिपोर्ट में किसान की मृत्यु का कारण गोली नहीं बल्कि गंभीर चोट बताया गया है. बता दें कि रामपुर पुलिस के अनुसार पोस्टमार्टम की इस पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी हुई है.
मृतक के निवास स्थान को लेकर फैला भ्रम
गौरतलब है कि The Caravan ने अपने एक ट्वीट में यह भी दावा किया था कि मृत किसान उत्तराखंड का निवासी है जो कि गलत है. रामपुर पुलिस द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक मृतक नवरीत सिंह पुत्र विकरीत सिंह उर्फ साहब सिंह उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले के ग्राम डिबडिबा थाना बिलासपुर के निवासी थे.
Conclusion
इस तरह हमारी पड़ताल में यह बात साफ हो जाती है कि 26 जनवरी को आयोजित ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई किसान की मौत गोली लगने से नहीं बल्कि ट्रैक्टर पलटने के बाद गंभीर चोट आने से हुई थी तथा इस विषय पर The Caravan समेत तमाम पत्रकारों तथा सोशल मीडिया यूजर्स द्वारा किया गया दावा भ्रामक है.
Result: Misleading
Sources:
Postmortem report released by Rampur Police
CCTV footage released by Delhi Police
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