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Fact Check
अयोध्या पुलिस पर धर्म विशेष के युवकों ने नहीं चलाई गोली, मॉकड्रिल की क्लिप गलत दावे के साथ वायरल
उत्तरप्रदेश के फैजाबाद स्थित चौरे बाजार में खाकी वर्दी पर दिनदहाड़े गोलियां दागते हुए जेहादी देशद्रोही गद्दार कठमुल्ले।। खाकी सुरक्षित नही है तो आम जनता का क्या।।

एक तरफ जहां पूरी दुनिया कोरोना से कराह रही है तो वहीं इसकी आड़ में कई गलत दावे सोशल मीडिया में बेतहाशा शेयर किए जा रहे हैं। तब्लीगी जमात में शामिल लोगों को इस वायरस को फैलाने का जहां सबसे बड़ा जिम्मेदार माना जा रहा है। इसी बीच सोशल मीडिया में एक वीडियो क्लिप वायरल हो रही है। कैप्शन में दावा किया गया है कि अयोध्या के चौरे बाज़ार में कुछ कठमुल्लों ने पुलिस पर फायरिंग की है। वीडियो में कुछ पुलिस वाले सामने से आ रही सफ़ेद गाड़ी से निकले एक नकाबपोश पर फायरिंग कर रहे हैं।

फैक्ट चेक:
यूपी में आये दिन कई ऐसे मामले सामने आते हैं जहां पुलिस की अपराधियों के साथ मुठभेड़ हो ही जाती है। हालांकि इन दिनों कोरोना वायरस की वजह से बंदी के चलते इस तरह के मामलों में काफी कमी देखी गई है। बात अयोध्या की करें तो यह विश्व पटल पर हमेशा ही धार्मिक रूप से अतिसंवेदनशील केंद्र के रूप में जाना जाता रहा है। एक तरफ जहां पूरा देश कोरोना नामक महामारी से लड़ाई में जुटा है तो दूसरी तरफ पुलिस पर धर्म विशेष के लोगों द्वारा फायरिंग की घटना वायरल हो गई।
वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि सड़क पर पुलिस बैरिकेटिंग तोड़ते हुए एक सफ़ेद रंग की कार सड़क पार करने की कोशिश करती है। मामला धर्म विशेष द्वारा पुलिस पर फायरिंग का है लिहाज़ा इसकी सत्यता जानना बेहद जरुरी हो जाता है। वजह साफ़ है कि ऐसे कोई भी दावे सामाजिक सौहार्द बिगाड़ सकते हैं। सबसे पहले कुछ कीवर्ड्स की मदद से वायरल दावे को खोजने की कोशिश किया। इस दौरान आये गूगल परिणामों से वायरल दावे का सच पता नहीं चल सका।

दावे का सच जानने के लिए वायरल क्लिप को invid टूल की मदद से कई कीफ्रेम में बदला। गूगल रिवर्स इमेज की मदद से वायरल दावे को ढूंढने पर कुछ ख़ास हाथ नहीं लगा।

रिवर्स इमेज की सहायता से गूगल में वायरल दावे में से कुछ कीवर्ड डालने पर कुछ Youtube लिंक्स सामने आए। लेकिन इन क्लिप्स में घटना को मॉकड्रिल बताया गया है।
क्या वायरल वीडियो में दिख रही मुठभेड़ वाकई पुलिस का एक अभ्यास है इसकी सत्यता जानने के लिए अयोध्या अंतर्गत बीकापुर के उप पुलिस अधीक्षक (DSP) से फ़ोन पर वार्ता की। फ़ोन पर बातचीत में उन्होंने वायरल दावे को सिरे से नकार दिया। उन्होंने कहा कि पुलिस महकमे की तरफ से बीते 2 अप्रैल को आतंक रोधी गतिविधियों के तहत एक अभ्यास किया गया था जिसे कुछ लोगों ने साम्प्रदायिक एंगल के साथ शेयर कर दिया।
तथ्यों का बारीकी से अध्ययन करने पर साफ़ हो कि जिस वीडियो को साम्प्रदायिक एंगल के साथ शेयर किया जा रहा है असल में वह पुलिस की मॉकड्रिल है।
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