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भूतपूर्व इराकी राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन ने नहीं किया था कोरोना वायरस का जिक्र, एडिटेड वीडियो क्लिप वायरल

Authors

After completing his post-graduation, Yash worked with some of the most renowned newspapers such as like Lokmat, Dainik Bhaskar & Navbharat for the past 6 years. To make sure that no incorrect news reaches people and to maintain peace and harmony in society, he chose to become a fact-checker.

Claim

इराक के पूर्व प्रेसिडेंट सद्दाम हुसैन ने कहा था कि अमेरिका ने 1990 में कोरोनावायरस की धमकी दी थी। Covid-19 अमेरिका का जैविक हथियार है। 

दावे का संक्षिप्त विवरण-
सोशल मीडिया मे इराक के पूर्व नेता सद्दाम हुसैन का एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो को लेकर दावा किया जा रहा है कि वीडियो में हुसैन ने कहा है कि 1990 में अमेरिका ने इराक को कोरोना वायरस की धमकी दी थी। उनका दावा था कि कोरोनावायरस अमेरिका का जैविक हथियार है।
Verification
हमनें सद्दाम हुसैन की वायरल वीडियो क्लिप को लेकर पड़ताल शुरु की तो सोशल मीडिया प्लैटफार्म ट्विटर पर कई यूजर्स द्वारा इस इस वीडियो को शेयर किये जाने की जानकारी मिली।
फेसबुक पर भी इस वीडियो को लेकर कई पोस्ट देखने को मिले।
हमने सद्दाम हुसैन के इस वायरल वीडियो में से कुछ स्क्रीनशाॅट्स निकाले और यांडेक्स इमेज की मदद से खोज की। इस दौरान हमें एसोशिएट प्रेस का यूट्यूब वीडियो मिला। बारीकी से फ्रेम टू फ्रेम देखने पर पता चला कि यही वायरल वीडियो है।
दोनो वीडियो को गौर से सुनने के बाद पता चला कि मूल वीडियो की ऑडियो चेंज कर दी गई है। गौर से सुनने के बाद पता चलता है कि दोनों ऑडियो अलग-अलग है। साथ ही वीडियो का कुछ हिस्सा दोबारा चलाकर वीडियो को 2 मिनट 3 सेकंड का बनाया गया है।
हमने वीडियो के डिस्क्रिप्शन को भी बारीकी से पढ़ा लेकिन इसमें कहीं पर भी कोरोना वायरस का उल्लेख नहीं है।
इससे स्पष्ट होता है कि इराक के भूतपूर्व राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन ने अपने वीडियो में कोरोना वायरस का उल्लेख नहीं किया था और ना ही इसे अमेरिका का जैविक हथियार बताया था। उनके वीडियो की ऑडियो चेंज कर सोशल मीडिया में भ्रामक दावे के साथ वायरल किया जा रहा है।
Sources
Twitter Advanced Search
Google Search
Yandex
Facebook Search
Result- False 
(किसी संदिग्ध ख़बर की पड़तालसंशोधन या अन्य सुझावों के लिए हमें WhatsApp करें: 9999499044 या ई-मेल करें: checkthis@newschecker.in)

Authors

After completing his post-graduation, Yash worked with some of the most renowned newspapers such as like Lokmat, Dainik Bhaskar & Navbharat for the past 6 years. To make sure that no incorrect news reaches people and to maintain peace and harmony in society, he chose to become a fact-checker.

Yash Kshirsagar
After completing his post-graduation, Yash worked with some of the most renowned newspapers such as like Lokmat, Dainik Bhaskar & Navbharat for the past 6 years. To make sure that no incorrect news reaches people and to maintain peace and harmony in society, he chose to become a fact-checker.

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