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क्या पुलिस हिरासत में दिख रहा व्यक्ति असम की कांग्रेस इकाई का नेता है?

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A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

सोशल मीडिया पर दो तस्वीरें वायरल हो रही हैं, इसमें से एक तस्वीर में एक मुस्लिम युवक को पुलिस की हिरासत में देखा जा सकता है तो वहीं दूसरी तस्वीर में सेब की पेटी के साथ कुछ गोलाबारूद को जमीन पर पड़े हुए देखा जा सकता है। तस्वीर शेयर करने वाले यूज़र का दावा है कि पुलिस की हिरासत में दिख रहा मुस्लिम युवक असम की कांग्रेस इकाई का नेता (अमजाद अली) हैं, जिसे सेब की पेटी में हथियार ले जाते हुए पकड़ा गया है।

वायरल तस्वीर मुस्लिम पुलिस

Fact check / Verification

फ्रांस में मुस्लिम समुदाय को लेकर शुरू हुए विवाद के बाद सोशल मीडिया पर एक बार फिर सांप्रदायिक दावे शेयर किए जा रहे हैं। इसी बीच ट्विटर पर उपरोक्त दो तस्वीरें उक्त दावे के साथ वायरल हो रही हैं।

वायरल तस्वीर में पुलिस की हिरासत में दिख रहे मुस्लिम युवक को असम का नेता बताया जा रहा था। चूँकि युवक के बगल में खड़े पुलिसकर्मियों की पोशाक भारतीय पुलिस से मेल नहीं खा रही थी, इसलिए हमें वायरल दावे के गलत होने की आशंका हुई। जिसके बाद हमने वायरल दावे का सच जानने के लिए पड़ताल शुरू की।

पड़ताल के दौरान सबसे पहले दोनों तस्वीरों को एक-एक कर गूगल पर रिवर्स इमेज टूल की मदद से खोजना शुरू किया।

पहली तस्वीर

वायरल तस्वीर मुस्लिम पुलिस

पहली तस्वीर की पड़ताल के दौरान हमें वायरल तस्वीर एक बंगाली भाषा की वेबसाइट के लेख में 6 मई साल 2018 को छपी मिली। लेख को समझने के लिए अपनी टीम से बंगाली भाषा की सहयोगी की सहायता ली।

वायरल तस्वीर मुस्लिम पुलिस

इस दौरान पता चला कि तस्वीर में दिखने वाला मुस्लिम व्यक्ति बांग्लादेश के एक मदरसे का शिक्षक है। जिसे 13 साल की बच्ची का यौन शोषण करने के जुर्म में बांग्लादेश पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया था। बता दें, बाद में उस बच्ची ने आत्महत्या कर ली थी।

वायरल तस्वीर पर उपरोक्त मिले तथ्य की जानकारी के लिए हमने गूगल पर बारीकी से खोजना शुरू किया। इस दौरान The daily star नाम की वेबसाइट पर भी 6 मई साल 2018 को प्रकाशित एक लेख मिला। जहां से उपरोक्त मिले तथ्य की पुष्टि की गयी है।

वायरल तस्वीर मुस्लिम पुलिस

इसके बाद हमने दूसरी तस्वीर को भी गूगल पर रिवर्स इमेज टूल के माध्यम से खोजना शुरू किया।

दूसरी तस्वीर

वायरल तस्वीर मुस्लिम पुलिस

खोज के दौरान हमें दूसरी वायरल तस्वीर FreePresskashmir.com नाम की वेबसाइट पर 29 अक्टूबर साल 2018 को छपे एक लेख में मिली। जहां यह जानकारी दी गयी है कि साल 2018 में जम्मू के श्रीनगर में तीन आतंकवादियों को गिरफ्तार किया गया था, जिनके पास से वायरल तस्वीर वाला गोला बारूद बरामद हुआ था।

वायरल तस्वीर मुस्लिम पुलिस

पड़ताल के दौरान हमें J&K पुलिस के ट्विटर हैंडल से भी तीन आतंवादियों के गोलाबारूद के साथ गिरफ्तार होने वाले मामले की जानकारी मिली। जहां उक्त मामले को लेकर पुलिस द्वारा ट्विटर पर साल 2018 में ट्वीट कर इसकी जानकारी दी गयी है।

Conclusion

वायरल तस्वीरों की पड़ताल के दौरान मिले तथ्यों से हमें पता चला कि तस्वीरों के साथ शेयर हो रहा दावा गलत है। असल में वायरल तस्वीरें हाल की नहीं बल्कि साल 2018 की हैं। साथ ही यह तस्वीरें दो अलग-अलग घटनाओं की हैं इनका असम के किसी भी कांग्रेस नेता से कोई संबंध नहीं है।

Result – Misleading

Our sources

https://freepresskashmir.news/2018/10/29/3-militants-arrested-after-shootout-in-srinagar-outskirts-arms-and-ammunition-recovered/

https://www.thedailystar.net/city/harassed-madrasa-teacher-schoolgirl-commits-suicide-1572112

https://eaibangla.blogspot.com/2018/05/blog-post_14.html

Authors

A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

Nupendra Singh
A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

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