शुक्रवार, नवम्बर 22, 2024
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अफगानिस्तान में छह साल पहले हुई लिंचिंग की तस्वीर को गलत दावे के साथ किया गया शेयर

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से काबुल समेत अलग-अलग शहरों में अफरा-तफरी का माहौल बन गया है। वहां के लोग बहुत जल्द अफगानिस्तान को छोड़ना चाहते हैं। बताते चलें कि तालिबान ने अमेरिका को चेतावनी देते हुए 11 सितंबर तक अफगानिस्तान छोड़ने के लिए कहा है। गौरतलब है कि अभी भी अफगानिस्तान में अमेरिका के 10 हजार सैनिक मौजूद हैं। 

इसी बीच सोशल मीडिया पर खून से लथपथ एक लड़की की तस्वीर वायरल हो रही है। देखा जा सकता है कि वायरल तस्वीर में कुछ लोगों ने लड़की को घेरा हुआ है, जिनमें से एक युवक के हाथ में पत्थर भी नज़र आ रहा है। इस तस्वीर को शेयर करते हुए लोग दावा कर रहे हैं, “साफिया फिरोज़ी अफगानी सेना में शामिल चार महिला पायलटों में से एक हैं, जिन्हें आज मार दिया गया है। वाह रे आजादी की जंग। तालिबानी से ज्यादा घातक वो हैं जो उनका समर्थन कर रहे हैं।” अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा होने के बाद से सोशल मीडिया पर कई वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिसको हालिया घटनाक्रम का बताकर शेयर किया गया जा रहा है। हमारी टीम द्वारा डिबंक किए गए दावों के फैक्ट चैक को यहां पढ़ा जा सकता है।    

आर्टिकल लिखे जाने तक उपरोक्त ट्वीट को 30 से ज़्यादा लोग रिट्वीट और 85 से ज़्यादा लोग लाइक कर चुके हैं। 

देखा जा सकता है कि इस दावे को फेसबुक और ट्विटर पर अलग-अलग यूज़र्स द्वारा शेयर किया जा रहा है।

हमारे आधिकारिक WhatsApp नंबर (9999499044) पर भी वायरल दावे की सत्यता जानने की अपील की गई थी।

Crowd Tangle टूल पर किए गए विश्लेषण से पता चलता है कि वायरल दावे को सोशल मीडिया पर कई यूज़र्स द्वारा शेयर किया गया है।

अफगानिस्तान में छह साल पहले हुई लिंचिंग
अफगानिस्तान में छह साल पहले हुई लिंचिंग

वायरल पोस्ट के आर्काइव वर्ज़न को यहां और यहां देखा जा सकता है।

Fact Check/Verification

सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीर का सच जानने के लिए हमने पड़ताल शुरू की। तस्वीर को Google Reverse Image Search की मदद से खंगालने पर हमें 7 मई 2015 को The Times द्वारा प्रकाशित की गई एक रिपोर्ट मिली। बतौर रिपोर्ट, तस्वीर में नज़र आ रही महिला का नाम फरखंदा मलिकज़ादा (Farkhunda) है, जो अफगानिस्तान में मॉब लिंचिंग का शिकार हुईं थी। दरअसल फरखंदा पर कुरान जलाने का झूठा आरोप लगाया गया था। जिसके बाद गुस्साई भीड़ ने उन्हें पत्थरों से मारा था और उनके शरीर को कार के नीचे कुचलकर जला दिया था। 

अफगानिस्तान में छह साल पहले हुई लिंचिंग
अफगानिस्तान में छह साल पहले हुई लिंचिंग

पड़ताल के दौरान हमें 26 दिसंबर 2015 को The New york Times द्वारा प्रकाशित की गई एक रिपोर्ट मिली। इसके मुताबिक, 27 साल की मुस्लिम महिला फरखुंदा मलिकज़ादा (Farkhunda) को कुरान जलाने के मामले में कुछ लोगों द्वारा बेरहमी से पीटकर हत्या कर दी गई थी। लेकिन बाद में फरखंदा पर लगाया गया आरोप झूठा साबित हुआ था।   

देखा जा सकता है कि मीडिया रिपोर्ट में प्रकाशित फोटो और सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीर दिखने में बिल्कुल एक जैसी है।

अफगानिस्तान में छह साल पहले हुई लिंचिंग
अफगानिस्तान में छह साल पहले हुई लिंचिंग

अधिक खोजने पर हमें 19 मार्च 2016 को BBC द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट मिली। रिपोर्ट में मिली जानकारी के मुताबिक, इस मामले में तीन पुरूषों को 20 साल की और आठ लोगों को 16 साल की सजा सुनाई गई थी। इस मामले में एक नाबालिग भी था, जिसको 10 साल कैद की सजा सुनाई गई थी। फरखुंदा को सुरक्षा नहीं दे पाने के मामले में 11 पुलिसकर्मियों को भी 1-1 साल की सजा सुनाई गई थी। 

अफगानिस्तान में छह साल पहले हुई लिंचिंग
अफगानिस्तान में छह साल पहले हुई लिंचिंग

जानिए कौन हैं साफिया फिरोज़ी?

The Hindustan Times द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, साफिया फिरोज़ी को अफगानिस्तान की दूसरी महिला पायलट के नाम से जाना जाता है। 2016 में वो अफगानिस्तान की वायुसेना में शामिल हुईं थी। तालिबान के आतंक की वज़ह से उनका परिवार साल 1990 में काबुल छोड़कर पाकिस्तान चला गया था। अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता खत्म होने के बाद उनका परिवार वापस लौटा था।

अफगानिस्तान में छह साल पहले हुई लिंचिंग

बता दें कि खोज के दौरान हमें ऐसी कोई विश्वसनीय रिपोर्ट नहीं मिली, जिसमें साफिया फिरोज़ी की मौत का ज़िक्र किया गया हो। लेकिन वायरल हो रही तस्वीर उनकी नहीं है।

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Conclusion

हमारी पड़ताल में पता चला कि फरखुंदा मलिकज़ादा की मॉब लिंचिंग की 6 साल पुरानी तस्वीर को गलत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है। वायरल तस्वीर का अफगानिस्तान में हुए तालिबानी कब्जे से कोई लेना-देना नहीं है। 


Result: False


Our Sources

The Times

The New york Times

BBC

The Hindustan Times


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