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ट्विटर पर 7 अक्टूबर 2021 को ‘राजस्थान में जंगलराज’ ट्रेंड कर रहा था। ऐसे में सोशल मीडिया पर राजस्थान के नाम से एक तस्वीर वायरल हो रही है, जिसमें एक युवक को अस्पताल के बिस्तर पर आग से झुलसा (Third Degree Burn Injury) हुआ देखा जा सकता है। इस तस्वीर को शेयर करते हुए दावा किया जा रहा है कि फोटो में नज़र आ रहा व्यक्ति एक पुजारी है, जिसे राजस्थान के करौली जिले में कुछ लोगों द्वारा आग के हवाले कर दिया गया है। तस्वीर के साथ दावा किया गया है कि राजस्थान भारत की अपराध राजधानी बन चुका है।
आर्टिकल लिखे जाने तक उपरोक्त ट्वीट को 85 से ज्यादा लोग रिट्वीट और 90 से ज्यादा लोग लाइक कर चुके हैं।
वायरल तस्वीर को फेसबुक और ट्विटर पर कई अन्य यूज़र्स द्वारा भी शेयर किया गया है।
वायरल दावे के आर्काइव वर्ज़न को यहां देखा जा सकता है।
Fact Check/Verification
क्या राजस्थान के करौली जिले में किसी पुजारी को जिंदा जलाया गया? इस दावे का सच जानने के लिए हमने वायरल तस्वीर को Google Reverse Image Search की मदद से खंगाला। इस दौरान हमने पाया कि वायरल तस्वीर को 9 अक्टूबर, 2020 को Shefali Vaidya ने भी अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट करते हुए वही दावा किया था, जो इस समय वायरल है।
पड़ताल के अगले चरण में हमने कुछ अलग-अलग कीवर्ड्स की मदद से Google पर सर्च किया, तो इस दौरान हमें 9 अक्टूर 2020 को The Indian Express और NDTV द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट्स मिली। रिपोर्ट्स के मुताबिक, राजस्थान के करौली जिले के सपोटरा इलाके में बाबूलाल वैष्णव नामक पुजारी को कुछ लोगों ने पेट्रोल छिड़ककर इसलिए जिंदा जला दिया था, क्योंकि वो लोग मंदिर परिसर की ज़मीन पर कब्ज़ा करना चाहते थे। गंभीर हालत में पुजारी को अस्पताल ले जाया गया था, लेकिन इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई थी। पुलिस ने इस मामले में मुख्य आरोपी कैलाश मीणा को गिरफ्तार कर लिया था। बता दें कि उस समय इस घटना को लेकर राज्य में काफी बवाल भी हुआ था।
वायरल दावे की तह तक जाने के लिए हमने करौली के एडिशनल एसपी प्रकाश चंद (Additional SP of Karauli, Prakash Chand) से संपर्क किया। Newschecker से बातचीत में उन्होंने बताया, “यह घटना पिछले साल अक्टूबर 2020 की है और यह कोई ताज़ा मामला नहीं है। इस मामले में मुख्य आरोपी सहित कुछ अन्य आरोपियों को भी गिरफ्तार कर लिया गया था। इसके साथ-साथ मामले में चार्जशीट दाखिल कर दी गई है और कानूनी कार्रवाई भी चल रही है।”
Conclusion
हमारी पड़ताल में साफ होता है कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीर पिछले साल अक्टूबर 2020 की है। बता दें कि एक साल पुरानी घटना को हाल फिलहाल का बताकर सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है।
Result: Misleading
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