After completing his post-graduation, Yash worked with some of the most renowned newspapers such as like Lokmat, Dainik Bhaskar & Navbharat for the past 6 years. To make sure that no incorrect news reaches people and to maintain peace and harmony in society, he chose to become a fact-checker.
Claim–
चीन में हाईवे पर कोरोना वायरस के मरीज ऐसे पकड़े जा रहे हैं।
दावे का संक्षिप्त विवरण- सोशल मीडिया में कोरोना वायरस को लेकर कई पोस्ट वायरल हो रहे हैं। ऐसा ही एक वीडियो सोशल मीडिया में शेयर हो रहा है। जिसको लेकर दावा किया जा रहा है कि चीन में हाईवे पर कोरोना वायरस के मरीज को कैसे पकड़ा जाता है। इस वीडियो में पुलिस कार से उतरे एक मास्क लगाए हुए शख्स को खुंखार अपराधी की तरह पकड़ती है और इलाज के लिए ले जाती है।
Verification-
वायरल वीडियो की पड़ताल शुरु की तो फेसबुक पर यह वीडियो इसी दावे के साथ कई यूजर्स द्वारा शेयर किए जाने की जानकारी सामने आई। सभी पोस्ट में यही बताया गया है कि चीन में हाईवे पर ऐसे कोरोना वायरस के मरीजों को पकड़ा जाता है।
यूट्यूब पर भी हमें यह वीडियो मिला, जिसमें दावा किया जा रहा है कि चीन में कोरोना वायरस का मरीज कैसे पकड़ा जा रहा है।
इस बारे में हमनें पड़ताल को आगे बढ़ाया। वायरल वीडियो में से कुछ स्क्रीनशाॅट्स निकाले और रिवर्स इमेज टूल की मदद से खोज की तो हमें वाशिंग्टन पोस्ट की बिजिंग ब्यूरो प्रमुख एना फायफिल्ड का एक ट्विट मिला। उन्होंने अपने ट्विट में लिखा है कि यह सिर्फ चीन में ही हो सकता है। मेडिकल स्वात टीम कुत्ते पकड़ने वाली जाली से करोना वायरस के मरीजों को पकड़ रही है।
वहीं हमें एक और ट्विट मिला जिसमें बताया गया है कि यह कोरोना वायरस के मरीजों को पकड़ने की माॅक ड्रील है।
कुछ कीवर्ड्स की मदद से खोज को आगे बढ़ाया तो हमें दी टेलिग्राफ के यूट्यूब चैनल पर यह वीडियो मिला। इस वीडियो के बारे में बताया गया है कि हेनान प्रांत के टोंगबाई मेें SWAT टीम को कोरोना मरीज पकड़ने का प्रशिक्षण दिया गया।
स्काईन्यूज नामक वेबसाईट पर भी इस मॉकड्रिल की जानकारी दी गई है।
पड़ताल के दौरान कई टूल्स और कीवर्ड्स का उपयोग करते हुए तथ्यों का बारीकी से अध्ययन किया। इस दौरान पता चला कि यह वीडियो कोरोना वायरस के मरीजों को पकड़े जाने का नहीं बल्कि स्वात टीम को दिए गए प्रशिक्षण और माॅकड्रिल का है। इससे स्पष्ट होता है कि सोशल मीडिया में वीडियो को लेकर किया जा रहा दावा भ्रामक है।
Tools Used
Google Search
Facebook Search
YouTube Search
Reverse Image Search
Result- Misleading
(किसी संदिग्ध ख़बर की पड़ताल, संशोधन या अन्य सुझावों के लिए हमें WhatsApp करें: 9999499044 या ई-मेल करें: checkthis@newschecker.in)
After completing his post-graduation, Yash worked with some of the most renowned newspapers such as like Lokmat, Dainik Bhaskar & Navbharat for the past 6 years. To make sure that no incorrect news reaches people and to maintain peace and harmony in society, he chose to become a fact-checker.