Claim
रामायण के दोहा नंबर 120 में लिखा है कि जब पृथ्वी पर निंदा बढ़ जाएगी, तब चमगादड़ अवतरित होंगे और चारों ओर उनसे संबंधित बीमारी फैल जाएगी और लोग मरेंगे. दोहा नंबर 121 में लिखा है- एक बीमारी जिसमें नर मरेंगे, उसकी सिर्फ एक दवा है प्रभुभजन, दान और समाधि में रहना यानि लॉकडाउन।
तुलसीदास कृत रामचरित मानस की कुछ चौपाइयाँ वायरल हो रही हैं। दुनियाभर में फैले खूनी कोरोना वायरस से जहां जनजीवन भयक्रांत है तो इससे जुड़ी कई कहानियां भी सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी हुई है। रामचरित मानस की चौपाइयों के सहारे दावा किया जा रहा है कि तुलसीदास ने सैकड़ों साल पहले ही कोरोना वायरस के बारे में दुनिया को आगाह कर दिया था। एक चौपाई के सहारे यह भी लिखा गया है कि कोरोना रोग चमगादड़ ही फैलाएंगे और दुनिया अपने घरों में कैद होकर रह जायेगी .
फैक्ट चेक:
पूरी दुनिया जहाँ कोरोना वायरस के खौफ में जीने पर मजबूर है तो वहीं इससे जुड़े कई दावे तेजी से वायरल होते देखे जा सकते हैं। सदियों पहले लिखी किताब रामचरित मानस की कुछ चौपाइयों को चमगादड़ से जोड़कर कहा जा रहा है कि कोरोना वायरस दुनिया में तहलका मचाएगा यह बात पहले ही लिखी जा चुकी थी। देखने पर पता चलता है कि चौपाई में चमगादड़ का जिक्र किया गया है। दावे की पड़ताल के दौरान पता चला कि इस चौपाई को बड़ी तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल किया जा रहा है।
दावे का सच जानने के दौरान पता चला कि वायरल हो रही चौपाइयां रामचरित मानस के उत्तरकाण्ड अध्याय से ली गई हैं। इस दौरान कुछ समाचार माध्यमों के लेख भी मिले जो दावे की सत्यता की तस्दीक करते नज़र आये।
पत्रिका द्वारा धर्म के कालम में प्रकाशित लेख द्वारा इस दावे की लगभग पुष्टि ही कर दी गई है।
इन दिनों हिंदुस्तान सहित पूरी दुनिया COVID-19 (कोरोना वायरस) महामारी से जूझ रही है। दुनिया के हजारों लोगों को कोरोना महामारी ने असमय ही अपना ग्रास बना लिया। इस कोरोना वायरस के बारे में सदियों पहले ही गोस्वामी तुलसीदास जी ने परम पवित्र ग्रंथ रामायण में लिख दिया था। रामचरित
वायरल चौपाई, ‘सब कै निंदा जे जड़ करहीं। ते चमगादुर होइ अवतरहीं॥
सुनहु तात अब मानस रोगा। जिन्ह ते दुख पावहिं सब लोगा॥’ वायरल चौपाई की सत्यता जानने के लिए राम चरित मानस ग्रन्थ को पढ़ना आरम्भ किया। इस दौरान पता चला कि रामचरित मानस के उत्तरकाण्ड में लिखी गई ये चौपाइयां गरुण और काकभुशुण्डि द्वारा प्रश्नोत्तर के सम्बन्ध में है।
चौपाई का अर्थ है कि, ‘जो मूर्ख मनुष्य सब की निंदा करते हैं, वे चमगादड़ होकर जन्म लेते हैं। हे तात! अब मानस रोग सुनिए, जिनसे सब लोग दुःख पाया करते हैं।
दूसरी चौपाई, मोह सकल ब्याधिन्ह कर मूला। तिन्ह ते पुनि उपजहिं बहु सूला॥
काम बात कफ लोभ अपारा। क्रोध पित्त नित छाती जारा।।
इस चौपाई का भावार्थ है, ‘सब रोगों की जड़ मोह अथवा अज्ञानता है। उन रोगों से फिर और बहुत सी तकलीफें पैदा होती हैं। काम-लोभ से कफ और क्रोध से सदैव पित्त बढ़ जाता है जो सदा सीने में जलन बनाये रखता है।
अब बारी उस दोहे की थी जो वायरल हो रहा है। यह कुछ इस प्रकार है, ‘एक ब्याधि बस नर मरहिं ए असाधि बहु ब्याधि। पीड़हिं संतत जीव कहुँ सो किमि लहै समाधि।’
दोहे का अर्थ है कि, एक ही रोग होने पर मनुष्य मर जाते हैं, फिर काम, क्रोध, मोह, लोभ सहित कई असाध्य रोग हैं। ये जीव को हमेशा कष्ट देते रहते हैं, ऐसी दशा में वह शांति को कैसे प्राप्त कर सकता है?
इन चौपाइयों का सटीक अर्थ जानने के लिए अयोध्या निवासी रामायण के एक विद्वान विष्णु पाण्डेय से बात की। उन्होंने भी साफ़ किया कि रामायण के इस अंश ‘रामचरित मानस’ की चौपाइयों में कोरोना वायरस के संदर्भ में कोई बात नहीं कही गई है।
पड़ताल के दौरान वायरल दावे को झुठलाता एक यूट्यूब वीडियो प्राप्त हुआ। इस वीडियो में भी क्रमवद्ध तरीके से समझाया गया है कि वायरल दावा झूठा है।
हमारी पड़ताल में यह साफ हो गया कि रामचरित मानस की जिस चौपाई को कोरोना वायरस के सन्दर्भ में शेयर किया जा रहा है असल में वह दावा झूठा है।
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