Tuesday, March 25, 2025
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Fact Check: ‘कंधार हाईजैक’ वेब सीरीज़ में आतंकियों के नाम बदले जाने के वायरल दावे का यहां जानें सच

Written By Kushel Madhusoodan, Translated By Komal Singh, Edited By JP Tripathi
Sep 3, 2024
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Claim
‘IC 814: द कंधार हाईजैक’ सीरीज़ के निर्माताओं ने आतंकवादियों की मुस्लिम पहचान छिपाकर हिंदू नामों का इस्तेमाल किया।
Fact
यह दावा भ्रामक है। सीरीज़ में अपहरणकर्ताओं द्वारा हाईजैक के दौरान इस्तेमाल किए गए वास्तविक उपनाम/नकली नाम दिखाए गए हैं।

29 अगस्त 2024 को फिल्म निर्माता अनुभव सिन्हा निर्देशित ‘आईसी 814: द कंधार हाईजैक’ सीरीज़ नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हुई है। यह सीरीज 24 दिसंबर, 1999 को काठमांडू, नेपाल से भारतीय एयरलाइंस के उड़ान के बाद हुए हाइजैक पर आधारित है। सीरीज़ के रिलीज़ होने के बाद से एक ऑनलाइन विवाद खड़ा हो गया है। दावा किया जा रहा है कि IC 814: द कंधार हाईजैक’, सीरीज़ के निर्माताओं ने दो आतंकवादियों की मुस्लिम पहचान छिपाकर हिंदू नामों का इस्तेमाल किया है।

सोशल मीडिया यूजर्स इस सीरीज़ के जरिये हिंदुओं को निशाना बनाने का आरोप लगाते हुए सीरीज़ के बहिष्कार की बात कर रहे हैं। सीरीज में आतंकवादियों के नाम भोला, शंकर, डॉक्टर, बर्गर और चीफ बताए गए हैं, जिनमें भोला और शंकर नाम से लोगों में भारी आक्रोश है। हालांकि, जांच में हमने पाया कि सीरीज़ में अपहरणकर्ताओं द्वारा हाईजैक के दौरान इस्तेमाल किए गए वास्तविक उपनाम ही दिखाए गए हैं।

2 सितम्बर 2024 को एक एक्स पोस्ट (आर्काइव) में ‘आईसी 814: द कंधार हाईजैक’ सीरीज का पोस्टर शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा है, “मुस्लिम आतंकियों ने विमान हाईजैक किया था जबकि, वेब सिरीज में विमान हाईजैक करने वालों के नाम भोला और शंकर बताए गए हैं। हिन्दू को बदनाम करने की कोशिश हो रही है कडी करवाई होनी चाहिए”

Courtesy: X/@Rashmi7020

ज्ञात हो कि 24 दिसंबर, 1999 को पांच आतंकवादियों ने काठमांडू के त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ान भरने के 40 मिनट बाद एक भारतीय विमान को हाईजैक कर लिया था। यह विमान दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए रवाना हुआ था। अपहरणकर्ताओं ने विमान को अमृतसर, लाहौर और दुबई में उतरने का निर्देश दिया था और अंत में तालिबान के नियंत्रण वाले कंधार, अफगानिस्तान में उतारा था। इस हाईजैक का मुख्य उद्देश्य भारत में हिरासत में लिए गए कई इस्लामी आतंकवादियों की रिहाई थी। आठ दिन तक चला यह गतिरोध आतंकवादी मसूद अजहर, उमर शेख और मुश्ताक अहमद जरगर को रिहा किए जाने के बाद समाप्त हुआ था।

Fact Check/Verification

दावे की पड़ताल के लिए हमने संबंधित की-वर्ड्स सर्च से इस हाईजैक से जुड़ी जानकारी खोजी। 6 जनवरी 2000 को हाईजैक के संबंध में तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा दिए गए स्टेटमेंट में अपहरणकर्ताओं की पहचान : इब्राहिम अतहर, बहावलपुर; शाहिद अख्तर सईद, गुलशन इकबाल, कराची; सनी अहमद काजी, डिफेंस एरिया, कराची; मिस्त्री जहूर इब्राहिम, अख्तर कॉलोनी, कराची; और शाकिर, सुक्कुर शहर, बताई गई थी। इस बयान से यह भी जानकारी मिलती है कि यह हाईजैक आईएसआई का एक ऑपरेशन था, जिसे आतंकवादी संगठन हरकत-उल-अंसार की सहायता से अंजाम दिया गया था, जिसके सभी पांच अपहरणकर्ता पाकिस्तानी थे।

इस आधिकारिक बयान में आगे कहा गया है कि “अपहृत स्थान के यात्रियों के लिए ये अपहरणकर्ता क्रमशः (1) चीफ, (2) डॉक्टर, (3) बर्गर, (4) भोला और (5) शंकर के नाम से जाने जाते थे। इन्हीं नामों से अपहरणकर्ता हमेशा एक-दूसरे को संबोधित करते थे।”

2 जनवरी 2000 के लॉस एंजिल्स टाइम्स द्वारा प्रकाशित लेख में दिए गए यात्रियों के बयान से भी यह जानकारी मिलती है कि पांच अपहरणकर्ताओं के कोड नाम चीफ, भोला, शंकर, डॉक्टर और बर्गर थे।

जांच के दौरान हमें 31 अगस्त 2024 को पत्रकार और “173 ऑवर्स इन कैप्टिविटी: द हाईजैकिंग ऑफ आईसी 814” के लेखक नीलेश मिस्रा द्वारा किया गया एक एक्स पोस्ट मिला। पोस्ट में उन्होंने बताया है कि सभी अपहरणकर्ताओं ने अपने झूठे नाम रखे थे (शंकर, भोला, बर्गर, डॉक्टर और चीफ)। अपहरण के दौरान वे एक-दूसरे को इन्हीं नामों से संबोधित करते थे और यात्री भी उन्हें इसी नाम से संबोधित करते थे।

जांच में हमने पाया कि इस विवाद के बाद सीरीज़ के कास्टिंग निर्देशक मुकेश छाबड़ा ने भी एक्स पर स्पष्ट किया था कि आतंकवादियों ने हाईजैक के दौरान एक-दूसरे को संबोधित करने के लिए “उपनाम या नकली नामों” का इस्तेमाल किया था। इस पर प्रकाशित रिपोर्ट्स को यहांयहांयहां और यहां देखा जा सकता है।

Conclusion

जांच से हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि ‘IC 814: द कंधार हाईजैक’ पर आधारित सीरीज़ के निर्माताओं द्वारा आतंकवादियों की मुस्लिम पहचान छिपाने का दावा भ्रामक है।

Result: Missing Context

Sources
MEA statement, January 6, 2000
Los Angeles Times article, January 2, 2000
Tweet, Neelesh Misra, August 31, 2024

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