Authors
After completing his post-graduation, Yash worked with some of the most renowned newspapers such as like Lokmat, Dainik Bhaskar & Navbharat for the past 6 years. To make sure that no incorrect news reaches people and to maintain peace and harmony in society, he chose to become a fact-checker.
Claim
कैंसर को जड से खत्म करने वाला घरेलू रामबाण उपाय – How To Cure Cancer Naturally
Verification
यूट्यूब पर Gharelu Nuskhe नामक चैनल पर अपलोड किया है। इस चैनल के 10 लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर है। वहीं कैंसर को जड़ से खत्म करने का दावा करने वाले इस वीडियो को पोस्ट लिखे जाने तक 1 करोड़ से ज्यादा बार देखा जा चुका था। इस वीडियो में दावा किया जा रहा है कि हर रोज़ तीन टाइम करेले का जूस पीने से किसी भी स्टेज का कैंसर जड़ से ख़त्म हो जाता है। हमने इस दावे की सच्चाई पता लगाने के लिए अपनी पड़ताल शुरू की। गूगल पर कैंसर को मात दे सकता है करेला कीवर्ड्स सर्च करने पर हमें हिमाचल दस्तक वेबसाइट का एक लेख मिला। इस लेख में भी करेला खाने से कैंसर का इलाज होने का दावा किया गया है।
हमने अपनी पड़ताल आगे जारी रखी तो गूगल पर ऐसे कई आर्टिकल मिले जिसमें कैंसर की रोकथाम के लिए करेला कारगर साबित होने का दावा किया गया था।
ऐसी ही एक खबर दैनिक जागरण में छपी मिली। इस खबर में बताया गया है कि करेले में पाए जाने वाले गैलिक एसिड व क्लोरोजेनिक, सेल्स को डैमेज होने से रोकते हैं। ये एसिड्स विभिन्न प्रकार के कैंसर होने की संभावना को कम करते हैं। यही नहीं करेले में मौजूद अन्य रसायनिक तत्व कैंसरयुक्त कोशिकाओं को ग्लूकोज का इस्तेमाल करने से रोकते हैं।
इस खबर में अमेरिका की सेंटलुईस यूनिवर्सिटी में हुए एक शोध का हवाला दिया गया है। लेकिन यह नहीं कहा गया कि करेले के जूस के सेवन से कैंसर जड़ से खत्म होगा।
गूगल सर्च के बाद हमने पुणे स्थित फेमस सह्याद्री हाॅस्पिटल में बतौर कैंसर स्पेशालिस्ट डाॅ. शोभा नाग से बातचीत की। डाॅ. नाग के मुताबिक करेला जूस सेवन से किसी भी स्तर का कैंसर ठीक नहीं हो सकता। उन्होंने यह भी बताया कि इससे पहले भी कई भ्रामक खबरें वायरल हुई है। कभी नारियल का पानी तो कभी करेला का जूस पीने से कैंसर खत्म होेने का दावा किया जाता है इन सारे दावों को उन्होंने भ्रामक बताया।
Tools Used
- Youtube
- Tineye
- Aminesty
Result: Misleading
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After completing his post-graduation, Yash worked with some of the most renowned newspapers such as like Lokmat, Dainik Bhaskar & Navbharat for the past 6 years. To make sure that no incorrect news reaches people and to maintain peace and harmony in society, he chose to become a fact-checker.