Claim
दाल खराब यादव का नामांकन रद्द करने वाले चुनाव अधिकारी का नाम सुरेंद्र सिंह यादव है। समाजवादियों को अब ना खाते बन रहा है ना ही थूकते।
वाराणसी से मोदी को चुनौती देने वाले बर्खास्त BSF सिपाही तेज बहादुर यादव के बारे में सोशल मीडिया में कुछ ऐसा प्रचार किया जा रहा है।
Verification
सीमा सुरक्षा बल के बर्खास्त सिपाही तेजबहादुर यादव मोदी के खिलाफ चुनावी मैदान में थे। चुनाव में उनका समर्थन यूपी के सपा-बसपा गठबंधन ने किया था। तेज बहादुर का नामांकन ख़ारिज होने के बाद कई तरह के सन्देश सोशल मीडिया में तेजी से प्रचारित होते दिख रहे हैं। यहां यह जानना जरुरी है कि तेज बहादुर यादव ने अपने ही अधिकारियों के खिलाफ सोशल मीडिया में आवाज बुलंद की थी जिसके बाद उनको बर्खास्त कर दिया गया था।
तेजबहादुर यादव का नामांकन क्यों ख़ारिज हुआ इस बाबत जब पड़ताल शुरू की तो पता चला कि उन्होंने कई दस्तावेज़, पर्चा भरते समय दाखिल नहीं किए थे। निर्वाचन अधिकारी के मुताबिक़ यादव ने BSF से बर्खास्तगी को लेकर दोनों नामांकनों में अलग-अलग दावे किए थे। बर्खास्तगी पर NOC जमा करने को कहा गया था लेकिन वो निर्धारित समय में आवश्यक दस्तावेज पेश नहीं कर सके। जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 9 और धारा 33 के तहत उनसे दस्तावेज मांगे गए थे। कानून के मुताबिक़ धारा 9 के तहत देश के प्रति निष्ठा नहीं रखने या भ्रष्टाचार के लिए पिछले 5 वर्षों के भीतर केंद्र या राज्य सरकार की नौकरी से बर्खास्त होने वाले व्यक्ति को चुनाव लड़ने से रोका जाता है। धारा 33 में उम्मीदवार को चुनाव आयोग से एक सर्टिफिकेट पेश करने की आवश्यकता होती है कि पिछले 5 वर्षों में इन आरोपों के चलते बर्खास्त नहीं किया गया है। ज्यादा जानकारी नीचे दिए लिंक पर क्लिक कर पढ़ा जा सकता है।
वायरल हो रहे ट्वीट में यह दावा किया गया था कि वाराणसी के निर्वाचन अधिकारी यादव जाति के हैं। अब हमने इस बाबत पड़ताल करना शुरू किया। बनारस की आधिकारिक वेबसाइट (https://varanasi.nic.in/) पर खोजने के बाद हमें साफ़तौर पर यह दिखाई दिया कि वहां के जिलाधिकारी का नाम सुरेंद्र सिंह है और उन्होंने अपने नाम के आगे यादव सरनेम नहीं लगाया है। इसके अलावा हमें जिलाधिकारी सुरेंद्र सिंह की फेसबुक प्रोफाइल भी प्राप्त हुई जिसमें उनके कई रिश्तेदार और मित्र जुड़े हुए हैं लेकिन कहीं भी यादव नाम का जिक्र नहीं दिखा है।
सुरेंद्र सिंह की फेसबुक प्रोफाइल:
पड़ताल के दौरान हमें डीएम सुरेंद्र सिंह की पूरी बायोग्राफ़ी मिल गई पत्रिका में छपे एक लेख के मुताबिक़ सुरेंद्र सिंह मथुरा में जन्में जरूर लेकिन कहीं भी उन्होंने अपने सरनेम के आगे यादव नही लगाया है। नीचे दिए लिंक को पढ़कर पूरी जानकारी ली जा सकती है।
साल 2014 में वाराणसी के तत्कालीन जिलाधिकारी प्रांजल यादव ने मोदी की रैली को इजाजत नहीं दी थी जिसपर बड़ा बवाल हुआ था। हो सकता है वायरल हो रही खबर वही से हेरफेर कर बनाई गई हो। ज्यादा जानकारी के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक कर सकते हैं।
हमारी पड़ताल में वायरल हो रही खबर झूठी साबित हो गई।
Result: False