शुक्रवार, नवम्बर 22, 2024
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श्रीलंकाई सैनिक ने किया था राजीव गांधी पर हमला

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विदेश में हुई थी राजीव गांधी की पिटाई

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हमारे एक पाठक ने हमें ये वीडियो भेजकर इसकी पड़ताल करने का आग्रह किया है। पड़ताल से पहले हम आपको बता दें कि देश के युवा प्रधानमंत्री रहे राजीव गांधी, इंदिरा गांधी की मौत के बाद 1984 से 1989 तक देश के छठे प्रधानमंत्री रहे और उस दौरान उन्होंने श्रीलंका में तमिल समस्या और शांति के लिए बहुत काम भी किया है। आपको हैरानी होगी जानकर कि श्रीलंका के लिए इतना काम कर रहे राजीव गांधी पर श्रीलंका में ही हमला हुआ था। खबर की पड़ताल के दौरान हमें ABP न्यूज़ का वो वीडियो मिला जिसमें इस घटना का जिक्र किया गया था। 

30 जुलाई 1987 यह वो तारीख है जो इतिहास के पन्नों में राजीव गांधी पर हुए हमले को लेकर दर्ज है। इस दिन राजीव इंडो-श्रीलंका शांति समझौते के लिए कौलंबो गए थे। वहीं जब राजीव गांधी को राष्ट्पति भवन में गार्ड ऑफ ऑनर दिया जा रहा था उसी दौरान नौसेना के सैनिक विजिथा रोहन विजेनमुनी ने राजीव गांधी पर बंदूक की बट से हमला कर दिया लेकिन राजीव सही समय पर नीचे हुए और बच गए। हमले के फौरन बाद राजीव गांधी के गार्ड्स ने उन्हें चारों ओर से घेर लिया था। राजीव गांधी पर हमला करने वाले विजेमुनी को गिरफ्तार कर 6 साल की सजा सुनाई गई थी। लेकिन सजा के ढाई साल बाद श्रीलंका के राष्ट्रपति आर प्रेमदासा ने उनकी सजा माफ कर दी थी। जिसके बाद विजेमुनी एक ज्योतिषी बन गया और लोगों का भविष्य बताने लगा। 

ज्योतिषी बनने के बाद विजेमुनी ने पिछले साल पीएम मोदी के श्रीलंका दौरे से पहले धमकी देते हुए कहा था कि पीएम नरेंद्र मोदी को श्रीलंका के घरेलू मामलों से दूर रहना चाहिए और घरेलू मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। इतना ही नहीं, उसने यह भी कहा कि “मैं मोदी जी को पसंद करता हूं और मुझे खुशी है कि वो हमारे देश के दौरे पर आए हैं”। वह अच्छे इंसान हैं। आजतक के एक लेख में इसका उल्लेख भी किया गया है।

दैनिक भास्कर के लेख के मुताबिक श्रीलंका में तमिलों और सेना के बीच युद्ध चल रहा था। यह युद्ध बौद्ध धर्म मानने वाले सिंहला और हिंदू तमिलों के बीच था। श्रीलंका की सेना और तमिल संगठन के लोग आपस में लड़ रहे थे। जिसमें हजारों श्रीलंकाई सेैनिक मारे गए थे। वहीं इस युद्ध को शांत कराने के लिए राजीव गांधी ने सेना भेजी, लेकिन भारतीय सेना युद्ध में फंस गई थी। श्रीलंकाई हजारों सैनिकों के साथ-साथ 1500 भारतीय सैनिकों को भी इस युद्ध में अपनी जान गंवानी पड़ी। इसी से नाराज रोहन विजेमुनी ने राजीव गांधी पर हमला किया। 

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