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कोई भी सामान स्वदेशी है या विदेशी क्या बारकोड से की जा सकती है पहचान? जानिए क्या है वायरल दावे का सच

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A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

Claim

भारतीय रहो और भारतीय उत्पाद खरीदो, आप कैसे पता करेंगे कि आपके द्वारा ख़रीदी गयी वस्तु स्वदेशी है या विदेशी और उस वस्तु के लिए खर्च किये गए पैसे भारत में रहेंगे या विदेश जायेंगे? यह पता करने के लिए आप वस्तुओं पर अंकित बारकोड और उनके साथ दिए गए अंकों को देखें। पहले के तीन नंबर बताएंगे कि प्रॉडक्ट किस देश का बना है। 

  • 890 –                  भारत 
  • 690, 691, 692 –   चीन 
  • 00-09 –                यूएसए और कनाडा 
  • 40-44 –                जर्मनी 
  • 471    –                ताइवान 
  • 50      –                जापान 
  • 49      –                यूके 

जानिए वायरल दावा – 

सोशल मीडिया में एक स्क्रीनशॉट वायरल हो रहा है, जहां बाजार में बिकने वाले उत्पादों पर छपे बारकोड का जिक्र किया गया है। स्क्रीनशॉट में दावा किया जा रहा है कि बारकोड के साथ छपने वाले कुछ अंकों से यह पता लगाया जा सकता है कि किसी भी उत्पाद का उत्पादन किस देश में हुआ है

Verification- 

कोरोना काल के दौरान हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भरता और आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था की बात कही है। जिसके बाद से ‘आत्मनिर्भरता’ देश में चर्चा का विषय बन गया है। ऐसे में WhatsApp पर एक स्क्रीनशॉट वायरल हो रहा है। जहाँ भारतीय होने और भारतीय उत्पाद खरीदने की बात कही जा रही है। साथ ही यह बताया जा रहा है कि किसी भी उत्पाद के स्वदेशी व विदेशी होने का पता उस पर छपे बारकोड के साथ दिए गए अंकों से लगाया जा सकता है। 

इसके साथ हमें ट्विटर पर भी यह दावा तेजी से वायरल होता हुआ दिखाई दिया। 

https://twitter.com/AnnieBeachwood/status/1253146613293494278
https://twitter.com/deblong5/status/1252997706064310272https://twitter.com/Stevenehumphrey/status/1252399024004460546

स्क्रीनशॉट में वायरल हो रहे दावे की पुष्टि के लिए की गई पड़ताल के दौरान हमें सबसे पहले जागरण जोश की वेबसाइट पर प्रकाशित एक लेख प्राप्त हुआ। लेख में वायरल हो रहा दावा प्राप्त हुआ जहाँ वायरल स्क्रीनशॉट वाली जानकारी दी गयी है।

वायरल दावे की सत्यता जानने के लिए हमने अपनी पड़ताल जारी रखी। पड़ताल के दौरान हमें बारकोड आवंटन करने वाली nationworldwidebarcode.com नामक एक वेबसाइट प्राप्त हुई। वेबसाइट पर ऐसे ही एक वायरल संदेश पर फैक्ट चेक कर इस बात कि जानकारी दी गयी है कि बारकोड दो प्रकार के होते हैं। पहले EAN (European Article Number) और दूसरा UPC(Universal product code) यह दोनो ही बारकोड GS1 से आवंटित होते हैं। साथ ही यह भी बताया गया कि GS1 कोई सरकारी संस्था नहीं बल्कि एक व्यापार संघ है।

वेबसाइट में आगे जानकारी दी गयी है कि किसी भी उत्पाद पर दिए गए बारकोड से सिर्फ यह पता लगाया जा सकता है कि उत्पाद पर दिए कोड अंक किस देश में आवंटित हुए हैं। प्रॉडक्ट का उत्पादन किस देश में हो रहा है इसका पता बारकोड के पहले तीन अंकों से नहीं लगाया जा सकता है।

भारत में आवंटित होने वाले बार कोड की जानकारी दिए गए इस लिंक में देखी जा सकती है। मामले की पड़ताल के लिए हमने बारीकी से गूगल पर खोजा। खोज के दौरान हमें गूगल पर GS1 की वेबसाइट प्राप्त हुई। जहां हमें वेबसाइट के F&Q भाग में इस बात की जानकारी प्राप्त हुई कि बारकोड से हम सिर्फ यह पता कर सकते है कि कौन से GS1 की सदस्य संस्था ने कोड के यह अंक आवंटित करवाए हैं। कंपनी की जानकारी प्राप्त करने के लिए 13 अंकों के कोड को GEPIR सिस्टम में डालकर देखा जा सकता है। 

पड़ताल के दौरान कई टूल्स और कीवर्ड्स का उपयोग करते हुए वायरल दावे का बारीकी से अध्ययन करने पर हमें पता चला कि वायरल बारकोड के अंकों वाला दावा भ्रामक है।  

Tools Used 

Google Search

Result– Misleading  

(किसी संदिग्ध ख़बर की पड़ताल, संशोधन या अन्य सुझावों के लिए हमें WhatsApp करें: 9999499044  या ई-मेल करें: checkthis@newschecker.in)

Authors

A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

Nupendra Singh
A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

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