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Fact Check
Claim:
गौतम अडानी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मित्र होने के कारण जयपुर एयरपोर्ट की डील में जीएसटी नहीं देना पड़ेगा।
Fact:
अडानी समूह को जयपुर एयरपोर्ट के संचालन सौदे में जीएसटी से मिली छूट को भ्रामक दावे के साथ सोशल मीडिया पर शेयर किया गया है।
सोशल मीडिया पर कई यूजर्स यह दावा कर रहे हैं कि “आम जनता से हर छोटी सी छोटी चीज पर जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) लेनी वाली सरकार,” अडानी समूह को मिले एयरपोर्ट्स के पट्टे पर जीएसटी नहीं लेगी। साथ ही यह इशारा किया जा रहा है कि अडानी की पीएम नरेंद्र मोदी के साथ मित्रता के कारण उन्हें जीएसटी में यह छूट मिली है।
इस दावे की सच्चाई जानने के लिए हमने कुछ कीवर्ड की मदद से गूगल सर्च किया। हमें एबीपी न्यूज की वेबसाइट पर तीन दिन पहले प्रकाशित एक रिपोर्ट मिली। रिपोर्ट के अनुसार, उद्योगपति गौतम अडानी की कंपनी को जयपुर एयरपोर्ट के साथ हुई डील पर जीएसटी नहीं देना होगा। जीएसटी से जुड़े मामलों का निपटारा करने वाली संस्था एएआर यानी एडवांस रूलिंग अथॉरिटी ने इस मामले में एक फैसले में कहा है कि एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के द्वारा जयपुर अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे का परिचालन अडानी समूह को सौंपने के सौदे पर जीएसटी लागू नहीं है।
हमने इसकी मदद लेते हुए जीएसटी काउंसिल की वेबसाइट पर एएआर सेक्शन में खंगालना शुरू किया। हमें एएआर द्वारा अडानी मामले में दिए फैसले की अपलोडेड कॉपी वेबसाइट पर मिली। इसके अनुसार, अडानी और जयपुर एयरपोर्ट के बीच यह सौदा ‘गोइंग कंसर्न’ के तहत हुआ है।
यह व्यापार जगत की दुनिया में इस्तेमाल होने वाला शब्द है, जिसका मतलब है कि जब किसी चलते हुए बिजनेस को पूरी तरह से किसी दूसरे व्यक्ति को सौंप दिए जाए तो ये डील गोइंग कंसर्न कहलाती है। चार्टेंड अकाउंंटेट एक्सपर्ट मनीष गुप्ता ने हमें बताया, “ कोई बिजनेस एंटटी जब एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को ट्रांसफर की जाती है जिसमें उसका बिजनेस जैसा चल रहा है वैसे चलता रहेगा, ऐसी स्थिति में ये गोइंग कंसर्न के तहत डील होती है। इसमें बिजनेस को सामान की तरह नहीं बेचा जाता, बल्कि उसे पूरे ऐसेट और लाइबिलटी के साथ ट्रांसफर किया जाता है।”
एएआर की राजस्थान पीठ ने अपने फैसले में बताया कि अडानी-जयपुर एयरपोर्ट डील, गोइंग कसंर्न के तहत हुआ है और ऐसे में इस सौदे पर जीएसटी लागू नहीं है। इस दौरान एएआर ने यूपी और गुजरात पीठ के फैसलों का भी हवाला दिया। जिसके मुताबिक, एएआई और स्पेशल पर्पज वेहिक्ल के बीच होने वाले बिजनेस ट्रांसफर गोइंग कंसर्न के तहत आते हैं।
हमने इस मामले को समझने के लिए कॉरपोरेट लॉ के जानकार एम के गांधी से बात की। उन्होंने बताया कि गोइंग कंसर्न के केस में जीएसटी नहीं लगता है। उन्होंने कहा, ‘इस तरह के बिजनेस ट्रांसफर ‘टैक्स छूट अधिसूचना’ की एंट्री नंबर-2 के तहत आते हैं, जिस कारण इन पर जीएसटी नहीं लगता है।” उन्होंने कहा कि ये देश के सभी राज्यों पर लागू होता है और ये प्रक्रिया जीएसटी नियमों के तहत जब से यह कानून बना है तब से लागू है।
बता दें, इससे पहले भी गोइंग कंसर्न के तहत हुए समझौते में कंपनियों को जीएसटी में छूट मिली है। इकॉनामिक टाइम्स (Economic Times) की एक रिपोर्ट के अनुसार, एएआर की कर्नाटक पीठ ने साल 2018 ने राजश्री ग्रुप के एक आवेदन पर सुनवाई करते हुए फैसला दिया था कि गोइंग कंसर्न के तहत होने वाली डील में कोई जीएसटी नहीं लगेगी।
गौरतलब है कि साल 2021 में अडानी समूह ने जयपुर एयरपोर्ट का संचालन और प्रबंधन अपने हाथों में ले लिया था। सीएनबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, एआईआर द्वारा जारी की गई नीलामी प्रक्रिया में अडानी समूह को अहमदाबाद, तिरुवनंतपुरम, लखनऊ, मेंगलुरु और जयपुर एयरपोर्ट के संचालन की जिम्मेदारी मिली है। अडानी समूह को एयरपोर्ट के संचालन और विकास की जिम्मेदारी 50 साल की लीज पर मिली है।
इस तरह हमारी पड़ताल में स्पष्ट है कि अडानी समूह को जयपुर एयरपोर्ट के संचालन सौदे में ‘गोइंग कंसर्न’ की प्रक्रिया के तहत जीएसटी में छूट मिली है जिसे भ्रामक दावे के साथ सोशल मीडिया पर शेयर किया गया है।
Report Published at ABP News on April 23, 2023
GST Council Website
Report Published by The Economic Times in 2018
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