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23 मार्च को हर साल हमारे देश में शहीद दिवस मनाया जाता है। इसी दिन 1931 में पाकिस्तान की लाहौर सेंट्रल जेल में भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी पर चढ़ाया गया था। ट्विटर पर शहीद भगत सिंह की शव यात्रा के नाम पर एक तस्वीर शेयर की जा रही है। वायरल हुई ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीर में सैकड़ों लोगों को किसी अंतिम संस्कार में शामिल होते देखा जा सकता है। इस तस्वीर को शेयर करते हुए दावा किया जा रहा है कि यह तस्वीर शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की शव यात्रा की है।
देखा जा सकता है कि इस दावे को फेसबुक और ट्विटर पर अलग-अलग यूज़र्स द्वारा शेयर किया जा रहा है।
देखा जा सकता है कि इस तस्वीर को ट्विटर पर इसी दावे के साथ पिछले कई सालों से शेयर किया जा रहा है।
वायरल पोस्ट के आर्काइव वर्ज़न को यहां, यहां और यहां देखा जा सकता है।
Fact Check/Verification
शहीद भगत सिंह की शव यात्रा को लेकर वायरल हो रही तस्वीर की सत्यता जानने के लिए हमने पड़ताल शुरू की। Google Reverse Image Search की मदद से खंगालने पर हमें Panthic और Discoversikhism.com नामक वेबसाइट पर कुछ आर्टिकल्स मिले। इन रिपोर्ट्स के मुताबिक यह तस्वीर 1978 में अमृतसर में बैसाखी के दिन हुई एक घटना की है। इस घटना के दौरान 13 सिखों की मौत हो गई थी।
कुछ अलग-अलग कीवर्ड्स की मदद से हमने यह जानने का प्रयास किया कि आखिर 1978 में अमृतसर में क्या हुआ था? पड़ताल के दौरान हमें 19 नवंबर, 2018 को आज तक द्वारा प्रकाशित की गई एक रिपोर्ट मिली। इसके मुताबिक 13 अप्रैल 1978 को अमृतसर में निरंकारियों और सिखों के बीच झड़प हुई थी। उस झड़प के दौरान 13 सिखों की मौत हो गई थी। यह तस्वीर उन 13 सिखों की शव यात्रा की है।
क्या शहीद भगत सिंह की शव यात्रा की है वायरल तस्वीर?
पड़ताल के दौरान हमें news.drgurbani.com नामक वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिपोर्ट मिली। इसके मुताबिक अमृतसर के श्री रामसर साहिब गुरुद्वारे के सामने इन 13 सिखों का अंतिम संस्कार किया गया था।
पड़ताल के दौरान हमें 28 सितंबर 2018 को The Lallantop द्वारा प्रकाशित की गई एक रिपोर्ट मिली। इस रिपोर्ट के मुताबिक अंग्रेजों ने भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू को तय तारीख से एक दिन पहले ही फांसी पर लटका दिया था। पूरे देश में इन तीनों की फांसी के खिलाफ प्रदर्शन चल रहा था। अंग्रेजों को डर था कि कहीं कुछ बवाल ना हो जाए इसलिए उन्हें तय दिन से एक दिन पहले ही फांसी पर चढ़ा दिया था। इसके बाद गुपचुप तरीके से सतलुज नदी के किनारे इनके शवों को जला दिया गया था। लेकिन लोगों के आक्रोश के डर से तीनों शवों को जलने से पहले ही नदी में प्रवाहित कर दिया गया था। स्थानीय लोगों ने मौके पर पहुंचकर तीनों स्वतंत्रता सेनानियों का विधिवत अंतिम संस्कार किया था। इससे पता लगता है कि वायरल तस्वीर शहीद भगत सिंह के शव यात्रा की नहीं है।
खोज के दौरान हमने पाया कि Bold Sky और Sanskar Tutorials नामक वेबसाइट पर प्रकाशित की गई रिपोर्ट्स में वायरल तस्वीर का इस्तेमाल किया गया है। इन रिपोर्ट्स में इस तस्वीर को राजगुरु, सुखदेव और शहीद भगत सिंह की शव यात्रा का बताया गया है।
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Conclusion
सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीर का बारीकी से अध्ययन करने पर हमने पाया कि यह तस्वीर शहीद भगत सिंह की शव यात्रा के दौरान की नहीं है। पड़ताल में हमने पाया कि यह तस्वीर उस दौरान की है जब 1978 में अमृतसर में सिखों और निरंकारियों के बीच झड़प हो गई थी। इस घटना में 13 सिखों की मौत हो गई। इस तस्वीर का स्वतंत्रता सेनानियों की शव यात्रा से कोई लेना-देना नहीं है।
Result: False
Claim Review: शहीद भगत सिंह की शव यात्रा की दुर्लभ तस्वीर Claimed By: Viral Social Media Post Fact Check: False |
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