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क्या उत्तर प्रदेश में बुलडोज़र से ध्वस्त किये गए सभी मकान मालिकों को मिलेगा 25 लाख मुआवजा? जानें सच

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Since 2011, JP has been a media professional working as a reporter, editor, researcher and mass presenter. His mission to save society from the ill effects of disinformation led him to become a fact-checker. He has an MA in Political Science and Mass Communication.

Claim
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के फैसले पर जिसका भी घर बुलडोजर से टूटा है, उसे सरकार द्वारा 25 लाख रुपये का मुआवजा दिया जायेगा।
Fact
यह दावा भ्रामक है। सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश साल 2019 में महराजगंज जिले में अवैध रूप से हुई बुलडोजर कार्रवाई को लेकर है।

सोशल मीडिया पर यह दावा वायरल हो रहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को फटकार लगाते हुए यह आदेश दिया है कि योगी सरकार के फैसले पर जिसका भी घर बुलडोजर से टूटा है उसे सरकार द्वारा 25 लाख रुपये का मुआवजा दिया जायेगा। हालांकि, जांच में हमने पाया कि यह दावा भ्रामक है।

6 नवंबर 2024 को एक एक्स पोस्ट (आर्काइव) में कहा गया है, “आज सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार को उसकी असली औकात दिखाया,और बताया कि देश मनुवाद से नहीं संविधान से चलेगा। दरअसल पिछले आठ सालों में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने न जाने कितने मासूम परिवारों का आशियाना छीना, अपने चंद वोटरों को खुश करने मीडिया की वाहवाही लूटने के लिए बुलडोजर एक्शन चलाया। आज उसी फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने लताड़ लगाते हुए कहा जिसका भी घर बुलडोजर से टूटा है उसे सरकार द्वारा 25 लाख रुपया का मुआवजा देने को कहा।

Courtesy: X/@VermarajuRaju

Fact Check/Verification

दावे की पड़ताल के लिए हमने संबंधित की-वर्ड्स को गूगल सर्च किया। इस दौरान मिली मीडिया रिपोर्ट्स से हमें यह जानकारी मिलती है कि 6 नवंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को एक पांच साल पुराने मामले में फटकार लगाई है। साल 2019 में महराजगंज जिले में सड़क चौड़ीकरण योजना के लिए आवासीय घरों को अवैध रूप से बुलडोजर से ध्वस्त किया गया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने अराजक बताया है। इस मामले में मनोज टिबड़ेवाल आकाश की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पाया कि आकाश के पैतृक घर को अवैध रूप से ध्वस्त किया गया था। इस मामले में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को आदेश दिया है कि वे पीड़ित को 25 लाख रूपए का मुआवजा दें।

इस मामले पर प्रकाशित अन्य मीडिया रिपोर्ट्स यहाँ, यहाँ और यहाँ पढ़ें।

7 नवंबर 2024 को आज तक द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया है कि ‘उत्तर प्रदेश के महाराजगंज में हाईवे के किनारे बने एक घर को बिना किसी तय प्रक्रिया का पालन किए बुलडोजर से जमींदोज किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने सड़क चौड़ीकरण के नाम पर अवैध तरीके से मकान ध्वस्त करने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ विभागीय और प्रशासनिक के साथ कानूनी कार्रवाई करने को कहा है।’

क्या था पूरा मामला?

13 सितंबर 2019 को महराजगंज हाईवे चौड़ीकरण परियोजना के लिये पत्रकार मनोज टिबड़ेवाल आकाश का पैतृक घर बुलडोज़र से तोड़ दिया गया था। जिसके बाद आकाश ने सुप्रीम कोर्ट को पत्र याचिका भेजी थी। पत्र याचिका के मुताबिक, नेशनल हाईवे ऑथोरिटी ऑफ इंडिया और जिला प्रशासन ने बिना किसी नोटिस के उनके घर का 3.7 मीटर हिस्सा हाई-वे की जमीन बताते हुए पीली लाइन खींच दी थी। याचिकाकर्ता ने कोर्ट को साबित किया कि उनके घर का यह हिस्सा उन्होंने खुद ही ध्वस्त करा दिया था। लेकिन डेढ़ घंटे के अंदर पुलिस और प्रशासन ने अपनी निगरानी में सिर्फ मुनादी की औपचारिकता कर बुलडोजर से पूरा घर ध्वस्त करवा दिया। इस दौरान उन्हें घर खाली करने का मौका भी नहीं दिया गया था।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने सुनवाई के दौरान राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की रिपोर्ट को विचार में लेते हुए अधिकारियों के आचरण पर नाराजगी जताई और उनपर अनुशासनिक करवाई के आदेश दिए। साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार को आदेश दिया है कि वे पीड़ित को 25 लाख रूपए का मुआवजा दें। सुनवाई के दौरान बेंच को बताया गया कि सिर्फ यही नहीं, आसपास के 123 अन्य निर्माण भी ध्वस्त कर दिए गए थे।

हमने मनोज टिबड़ेवाल आकाश से इस विषय पर बात की। फ़ोन पर हुई बातचीत में उन्होंने बताया कि यह फैसला पांच साल की कानूनी लड़ाई के बाद आया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि महराजगंज जिले में अवैध रूप से हुई बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ उन्होंने ही याचिका दायर की थी। जिसके फैसले में कोर्ट ने उन्हें 25 लाख रुपए का मुआवजा दिए जाने के आदेश दिए हैं। उन्होंने आगे बताया कि 2019 में उस दौरान 123 अन्य लोगों ने स्वयं ही प्रशासन के डर से अपने घर का वह हिस्सा तोड़ दिया था, जिसे सड़क परियोजना के अंतर्गत हाईवे की जगह बताया गया था। मनोज टिबड़ेवाल ने कहा कि वे लोग भी अब इस फैसले के आधार पर कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं।

Conclusion

जांच से हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि वायरल दावा भ्रामक है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा मुआवजे का यह आदेश, पांच साल पहले महराजगंज प्रशासन द्वारा एक व्यक्ति का घर गिराए जाने पर हुई सुनवाई के दौरान दिया गया है। बुलडोजर से गिराए गए सभी मकान मालिकों को मुआवजा मिलने की बात बेबुनियाद है।

Result: Partly False

Sources
Report published by Aaj Tak on 7th November 2024.
Video shared by UP Tak on 7th November 2024.
Phonic Conversation with Manoj Tibrewal Akash.

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