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सोशल मीडिया पर एक तस्वीर को शेयर कर दावा किया गया है कि उत्तर प्रदेश में 34 मुस्लिम परिवारों ने हिन्दू धर्म में घर वापसी की है।
एक यूजर ने सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीर को शेयर करते हुए लिखा, ‘वसीम रिजवी जी के सनातन धर्म में घर वापसी के बाद मुस्लिमों का डर खुल रहा है और वो स्वेच्छा से घर वापसी कर रहे हैं, यूपी में 34 मुस्लिम परिवारों ने की सनातन हिन्दू धर्म में वापसी।’
उपरोक्त फेसबुक पोस्ट को यहां देखा जा सकता है।
उपरोक्त फेसबुक पोस्ट के आर्काइव को यहां देखा जा सकता है।
उपरोक्त फेसबुक पोस्ट को यहां देखा जा सकता है।
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Crowdtangle टूल की सहायता से किये गए विश्लेषण के अनुसार, इस वीडियो को पिछले तीन दिनों में फेसबुक पर कुल 145 बार पोस्ट किया गया है, जहां कुल 23499 इंटरैक्शन (रिएक्शन, कमेंट, शेयर) हैं।
उपरोक्त दावे को ट्विटर पर भी शेयर किया गया है।
Livehindustan.com द्वारा प्रकाशित एक लेख के मुताबिक, उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी ने बीते 6 दिसम्बर को डासना मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती की मौजूदगी में इस्लाम धर्म छोड़कर हिंदू धर्म अपना लिया। उपरोक्त लेख के मुताबिक, हिन्दू धर्म अपनाने के बाद वसीम रिजवी को जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी के नाम से जाना जाएगा। बतौर लेख, वसीम रिजवी ने धर्म परिवर्तन के बाद कहा कि ‘सनातन धर्म दुनिया का सबसे पवित्र धर्म है। इसमें बहुत सारी खूबियां हैं।’
वसीम रिजवी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका देकर कुरान में मौजूद 26 आयतों को हटाने की मांग की थी। इसके बाद से मुस्लिम संगठनों ने यह ऐलान कर दिया था कि वसीम रिजवी को किसी भी कब्रिस्तान में दफनाने नहीं देंगे। 15 नवम्बर 2021 को इस पर प्रतिक्रिया देते हुए वसीम रिजवी ने एक वसीयतनाम लिखा कि “मेरे मरने के बाद मुझे दफनाया नहीं जाए, मुझे जलाया जाए।” इसके बाद उन्होंने 6 दिसम्बर 2021 को धर्म परिवर्तन कर हिन्दू धर्म अपना लिया।
इसी बीच सोशल मीडिया पर एक तस्वीर को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में 34 मुस्लिम परिवारों ने हिन्दू धर्म में घर वापसी की है।
Fact Check/Verification
क्या उत्तर प्रदेश में 34 मुस्लिम परिवारों ने हिन्दू धर्म में घर वापसी की है? सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीर के साथ शेयर किए गए दावे का सच जानने के लिए हमने इसे गूगल रिवर्स इमेज की मदद से खोजना शुरू किया।
इस प्रक्रिया में हमें 24 सितंबर 2016 को अमर उजाला द्वारा प्रकाशित एक लेख प्राप्त हुआ। लेख में वायरल तस्वीर भी मौजूद थी। लेख के मुताबिक, इमाम मुहम्मद उमर कादरी और महामंडलेश्वर नवल गिरि की पहल पर 2016 में हुए उरी हमले का विरोध करने के लिए, मुस्लिम समुदाय के लोग मथुरा दरवाजा स्थित शाही जामा मस्जिद के बाहर एकत्रित हुए थे।
इसके बाद हमने कुछ कीवर्ड्स का प्रयोग करते हुए गूगल पर खोजना शुरू किया। इस दौरान हमें 24 सितंबर 2016 को अमर उजाला की वेबसाइट पर अपलोड किया हुआ एक वीडियो प्राप्त हुआ। वीडियो को देखने के बाद पता चला कि वायरल हो रही तस्वीर इसी वीडियो की है। प्राप्त वीडियो में मुस्लिम समुदाय के लोग आतंकवाद मुर्दाबाद और पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगा रहे हैं।
इसके बाद हमने कुछ कीवर्ड्स का प्रयोग करते हुए फेसबुक पर खोजना शुरू किया, इस प्रक्रिया में हमें साल 2018 का एक फेसबुक पोस्ट प्राप्त हुआ। इस सोशल मीडिया यूजर ने अमर उजाला के लेख को को शेयर करते हुए लिखा था, ‘इन्सानियत के दुश्मन एकता की घटनाएं नहीं दिखाते।
जैसे कि महामंडलेश्वर नवल गिरि महाराज ने कहा कि जिस प्रकार वृंदावन में हिंदू-मुसलमान मिलकर ईद और दीवाली मनाते आए हैं उसी प्रकार देश के दुश्मनों के खिलाफ भी मिलकर लड़ेंगे। जुमे की नमाज के दौरान नमाजियों ने देश में अमन शांति के साथ जम्मू कश्मीर के उरी में आतंकी हमले में शहीद हुए सैनिकों की आत्मा की शांति के लिए दुआ मांगी।’
उपरोक्त फेसबुक पोस्ट को यहां देखा जा सकता है।
Timesofindia के एक लेख के मुताबिक, 18 सितंबर 2016 को सुबह 5.30 बजे, जम्मू-कश्मीर के उरी स्थित भारतीय सेना के ब्रिगेड हेडक्वॉटर्स पर जैश-ए-मोहम्मद के चार आतंकवादियों ने हमला कर दिया था। इस आतंकी हमले में सेना के 18 जवान शहीद हो गए थे। इस घटना के बाद सेना ने चार आतंकियों को ढेर कर दिया था।
Conclusion
इस तरह हमारी पड़ताल में यह साफ़ हो गया कि उत्तर प्रदेश में 34 मुस्लिम परिवारों ने हिन्दू धर्म में घर वापसी की है दावे के साथ वायरल हो रही तस्वीर, साल 2016 में हुए उरी हमले का विरोध कर रहे लोगों की है। अब इस तस्वीर के साथ भ्रामक दावा शेयर किया जा रहा है।
Result: False
Our Sources
अमर उजाला : https://www.amarujala.com/uttar-pradesh/mathura/muslim-speak-against-pakistan
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