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हरियाणा विधानसभा में मनोहर लाल खट्टर के खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव गिर गया है। खट्टर सरकार के पक्ष में 55 विधायकों ने वोट दिया जबकि अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 32 विधायक थे। ऐसे में सोशल मीडिया पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की एक तस्वीर वायरल हो रही है। वायरल तस्वीर में मनोहर लाल खट्टर, पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा सहित एक अन्य व्यक्ति को एक साथ खड़े हुए देखा जा सकता है। इस तस्वीर को शेयर करते हुए दावा किया जा रहा है कि, ‘यह तस्वीर बता रही है कि कौन किससे मिला हुआ है।’ तस्वीर को शेयर करते हुए दावा किया जा रहा है कि यह तस्वीर उस दौरान की है जब हरियाणा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था।
वायरल पोस्ट के आर्काइव वर्ज़न को यहां और यहां देखा जा सकता है।
देखा जा सकता है कि इस दावे को फेसबुक और ट्विटर पर अलग-अलग यूज़र्स द्वारा शेयर किया जा रहा है।
Fact Check/Verification
वायरल हो रही तस्वीर की सत्यता जानने के लिए हमने पड़ताल शुरू की। Google Reverse Image Search की मदद से खंगालने पर हमें 26 नवंबर, 2019 को Deccan Herald द्वारा प्रकाशित की गई एक रिपोर्ट मिली। इस रिपोर्ट के मुताबिक यह तस्वीर चंडीगढ़ में खींची गई थी। यह तस्वीर उस दौरान की है जब हरियाणा में बीजेपी विधायक रणबीर सिंह गंगवा प्रजापति को राज्य विधानसभा का डिप्टी स्पीकर चुना गया था।
अलग-अलग कीवर्ड्स की मदद से खोजने पर हमें Outlook की फोटो गैलरी मिली। यहां पर भी वायरल तस्वीर का इस्तेमाल किया गया है। इस तस्वीर के साथ कैप्शन में बताया गया है कि यह तस्वीर उस दौरान की जब बीजेपी विधायक रणबीर सिंह गंगवा प्रजापति को राज्य विधानसभा का डिप्टी स्पीकर चुना गया था। यह तस्वीर न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के फोटोग्राफर द्वारा खींची गई थी।
तस्वीर की पड़ताल के दौरान हमें 26 नवंबर, 2019 को Live Hindustan द्वारा प्रकाशित की गई एक रिपोर्ट मिली। इस रिपोर्ट में भी वायरल तस्वीर का इस्तेमाल किया गया है। यह तस्वीर उस दौरान की है जब भाजपा विधायक रणबीर गंगवा को हरियाणा विधानसभा का उपाध्यक्ष चुना गया था।
Conclusion
सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीर का बारीकी से अध्ययन करने पर हमने पाया कि लगभग एक साल पुरानी तस्वीर को भ्रामक दावे के साथ शेयर किया जा रहा है। पड़ताल में हमने पाया कि यह तस्वीर साल 2019 की है। इस तस्वीर का हरियाणा सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव से कोई लेना-देना नहीं है।
Result: Misleading
Our Sources
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