Authors
Believing in the notion of 'live and let live’, Preeti feels it's important to counter and check misinformation and prevent people from falling for propaganda, hoaxes, and fake information. She holds a Master’s degree in Mass Communication from Guru Jambeshawar University and has been a journalist & producer for 10 years.
Claim
तस्वीर में दिख रहे शब्द 100 में से 55 लोग ही पढ़ पाते हैं
Verification
पिछले कई सालों से इस तरह के मैसेज सोशल मीडिया पर आए दिन देखने को मिलते हैं जिसे लाखों लोग लाइक करते हैं शेयर करते हैं और इसे पढ़ पाने में खुद को सक्षम पाकर खुश होते हैं।
I read this with ease and everybody I asked could read this with ease as well. It says only 55 out of 100 can read it. Can you? pic.twitter.com/O4HpNgwGH5
— Daymond John (@TheSharkDaymond) March 31, 2019
Retweet if you can read it! pic.twitter.com/cfTP6oQ7Kn
— Joel Comm (@joelcomm) May 17, 2019
View this post on InstagramOnly 55 out of 100 people can read this. Can you? I can, but I’m also a pager code scholar, so…
पर क्या वाकई ये 55 लोग कुछ अलग या खास हैं? इस सवाल की तलाश में हमारी टीम ने इंटरनेट पर मौजूद कई लेख, रिसर्च और दावों को खंगाला।
वायरल मैसेज दावा करता है कि कैंब्रिज युनिवर्सिटी द्वारा की गई एक रिसर्च के मुताबिक एक शब्द में अक्षर किस क्रम में लिखे गए हैं इससे फर्क नहीं पड़ता बशर्ते पहला और आखिरी अक्षर सही जगह पर हो, फिर चाहे बीच के अक्षर इधर–उधर ही क्यों न हों शब्दों को पढ़ने में कोई परेशानी नहीं होती। रिसर्च के मुताबिक ऐसा इसलिए होता है कि इंसानी दिमाग हर अक्षर पढ़ने की बजाए पूरे शब्द को ही पढ़ता है।
हालांकि इस मैसेज के अंत में लिखी लाइन इससे विपरीत है जो कहती है कि ऐसा 100 में से केवल 55 लोग ही कर पाते हैं।
हमने इसकी सच्चाई जानने के लिए कैंब्रिज युनिवर्सिटी की वेबसाइट को खंगाला लेकिन इस तरह की कोई रिसर्च हमें नहीं मिली। पर इससे जुड़ा एक लेख हमें जरूर मिला जिसमें बताया गया है कि इस तरह की कोई भी रिसर्च कैंब्रिज युनिवर्सिटी द्वारा की ही नहीं गई है।
इस लेख में इस मैसेज में लिखी हर बात पर सवाल उठाए गए हैं जिन्हें पढ़ने के बाद पता चलता है कि इस तरह के मैसेज केवल लाइक्स और शेयर बढ़ाने के लिए डाले जाते हैं। लेख में ये भी कहा गया है कि इस मैसेज ने विशेषज्ञों को रिसर्च के लिए अच्छा विषय दे दिया है।
इस खोज के दौरान हमें ऐसी कई वेबसाइट मिली जो शब्दों के अक्षर को इस तरह से आगे पीछे कर देते हैं कि इन शब्दों को आसानी से पढ़ा जाए।
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Believing in the notion of 'live and let live’, Preeti feels it's important to counter and check misinformation and prevent people from falling for propaganda, hoaxes, and fake information. She holds a Master’s degree in Mass Communication from Guru Jambeshawar University and has been a journalist & producer for 10 years.