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क्या इंदिरा गांधी ने संसद का घेराव कर रहे गौरक्षकों पर चलवाईं थी गोलियां?

Authors

Since 2011, JP has been a media professional working as a reporter, editor, researcher and mass presenter. His mission to save society from the ill effects of disinformation led him to become a fact-checker. He has an MA in Political Science and Mass Communication.

Claim

साल 1966 में संसद का घेराव कर गौहत्या रोकने की मांग करने वाली एक हिन्दू भीड़ पर इंदिरा गांंधी ने गोलियां चलवाई थी। इस गोलीकांड में करीब 5000 लोगों को जीवन से हाथ धोना पड़ा था। इसी तरह की एक वायरल ख़बर सोशल मीडिया में चर्चा का विषय बनी हुई है।

Verification
कांग्रेस को लेकर सोशल मीडिया में लोगों के कई तरह के मत देखने को मिल रहे हैं। कोई साल 1984 के सिख दंगों की बात करता है तो कोई साल 1966 की याद दिलाता नजर आता है। खबर की पड़ताल के दौरान प्रारंभिक नतीजे आप नीचे देख सकते हैं

सोशल मीडिया में कई ट्वीट दिखाई दिए जिन्होंने वायरल हो रही खबर को शेयर किया है।

खोज के दौरान लगभग इस खबर की पुष्टि करता एक लेख प्राप्त हुआ। ‘1966 का वह गो-हत्‍या बंदी आंदोलन, जिसमें हजारों साधुओं को इंदिरा गांधी ने गोलियों से भुनवा दिया था’ शीर्षक के साथ कई तथ्यों को सामने रखा गया है।
इस लेख को गोरक्षा समिति के पदाधिकारी सोहन लाल शास्त्री की आँखों देखी के मुताबिक लिखा गया है। सोहन लाल के मुताबिक़ उस दिन संसद का घेराव करने में करीब 20000 महिलाएं भी शामिल थीं। पुलिसकर्मी पहले से ही लाठी-बंदूक के साथ तैनात थे। पुलिस ने लाठी और अश्रुगैस चलाना शुरू कर दिया। भीड़ और आक्रामक हो गई। इतने में अंदर से गोली चलाने का आदेश हुआ और पुलिस ने भीड़ पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। संसद के सामने की पूरी सड़क खून से लाल हो गई। लोग मर रहे थे, एक-दूसरे के शरीर पर गिर रहे थे और पुलिस की गोलीबारी जारी थी। नहीं भी तो कम से कम, 10 हजार लोग उस गोलीबारी में मारे गए थे।”

हमारी खोज के दौरान मिंट समाचार का एक विस्तृत लेख प्राप्त हुआ जिसने 7 नवम्बर 1966 के उस वाकये का जिक्र किया है जब गौरक्षकों पर गोलियां चलाई गई थी। पूरी जानकारी नीचे दिए लिंक से ली जा सकती है। बारीकी से खोजने पर Scroll.in का एक लेख प्राप्त हुआ जिसमें पूरी कहानी का वर्णन किया गया है।

गूगल खंगालने के दौरान हमें पोस्टकार्ड वेबसाइट की खबर दिखी जिसमें साल 1966 में संसद पर गौरक्षकों द्वारा कब्जा करने और गोलीबारी का जिक्र किया गया है।

पड़ताल के अगले पड़ाव पर हमें जनसत्ता का एक लेख प्राप्त हुआ। जिसमें बताया गया है कि इस आंदोलन के दौरान हुई पुलिस फायरिंग में 7 लोग मारे गए थे और कई घायल हुए थे। लेख एन गोविंदाचार्य द्वारा 2016 में किए स्मृति दिवस के बारे में है, जिसमें गोविंदाचार्य का वो बयान भी छपा है जिसमें उन्होंने 200 लोगों के मारे जाने का दावा किया है।

हमने पड़ताल के दौरान कई अख़बारों और वेबसाइट्स की खबर को खंगाला। इस दौरान कोई इसे पहला संसद हमला करार देता है तो कोई 10 हजार से अधिक निहत्थे गौ रक्षकों को मरवा देने की बात करता है। कोई कहता है कि इस गोलीबारी में महज 7 से 10 लोग मारे गए। हालाँकि इस वाकये के बाद देश के तत्कालीन गृहमंत्री गुलज़ारीलाल नंदा ने पद से त्यागपत्र दे दिया था। कुल मिलाकर वास्तविक स्थिति इसलिए भी साफ़ नहीं हो पाती क्योंकि उस समय सरकार द्वारा एडवाइजरी जारी कर किसी भी तरह की निजी कवरेज पर रोक लगाई गई थी और सरकार द्वारा जारी किए गए प्रेस रिलीज को ही छापने के निर्देश दिए गए थे।

Tools Used

  • InVID
  • Google Reverse Image Research
  • Keywords

Result-Misleading

Authors

Since 2011, JP has been a media professional working as a reporter, editor, researcher and mass presenter. His mission to save society from the ill effects of disinformation led him to become a fact-checker. He has an MA in Political Science and Mass Communication.

JP Tripathi
JP Tripathi
Since 2011, JP has been a media professional working as a reporter, editor, researcher and mass presenter. His mission to save society from the ill effects of disinformation led him to become a fact-checker. He has an MA in Political Science and Mass Communication.

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