Claim
भीम आर्मी के नेता चंद्रशेखर रावण का असली नाम नसीमुद्दीन खान है
Verification
दलितों के हक़ की लड़ाई लड़ने की छवि से मशहूर भीम आर्मी के नेता चंद्रशेखर रावण के बारे में सोशल मीडिया में एक चर्चा काफी सुर्ख़ियों में है। कई सोशल मीडिया यूजर्स उनका नाम नसीमुद्दीन खान बता रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में दलितों की लड़ाई सड़क पर लड़ने को लेकर चर्चा में आए चंद्रशेखर रावण क्या सच में नसीमुद्दीन खान है? इस बाबत हमने पड़ताल शुरू की। खोज के दौरान उनकी जीवनी के तौर पर न्यूज़ 18 का एक लेख मिला। इस समाचार ने अपने शीर्षक ‘जानिए कौन है भीम आर्मी का मुखिया चंद्रशेखर रावण’ के हवाले से कई रोचक जानकारियां साझा की है।
लेख के मुताबिक़ चंद्रशेखर यूपी के सहारनपुर जिलान्तर्गत घडकौली गाँव के रहने वाले हैं। साल 2015 में लॉ की पढ़ाई समाप्त करने के बाद उन्होंने अपने गाँव के रास्ते में एक बोर्ड लगाया था। बोर्ड में लिखा था कि ‘घडकौली वेलकम यू द ग्रेट चमार्स’ इस घटना के बाद आसपास के राजपूतों ने इसका विरोध किया था
इस घटना के बाद चंद्रशेखर ने सोशल मीडिया में खूब सुर्खियां बटोरी और उसके माध्यम से भीम आर्मी को स्थापित करने का काम किया।
भीम आर्मी की स्थापना की बात करें तो यह एक बहुजन संगठन है। इसे
भारत एकता मिशन के नाम से भी जाना जाता है। दलित चिंतक सतीश कुमार के निर्देशन में साल 2014 में चंद्रशेखर और विनय रतन आर्य ने इसकी नीव रखी थी। विस्तृत रिपोर्ट
यहाँ पढ़ सकते हैं।
एक समय ऐसा भी आया जब दलित वोटों के ध्रुवीकरण से यूपी की सत्ता हथियाने वाली
बसपा प्रमुख मायावती को भी भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर से डर लगने लगा। यह स्थिति उस समय सामने आई जब चंद्रशेखर के एक इशारे पर दिल्ली के रामलीला मैदान में हजारों लोगों ने प्रदर्शन किया था।
NDTV ने अपने लेख में चंद्रशेखर के बारे में विस्तार से लिखा है।
अमेरिका में पढ़ने की हसरत रखने वाले चंद्रशेखर की कहानी बड़ी रोचक है। अपने नाम के आगे रावण लगाने के पीछे क्या कारण था इसकी पूरी जानकारी
आजतक समाचार के एक लेख से जाना जा सकता है। अपने नाम के साथ रावण लगाने के पीछे उनका कहना है कि रावण ने अपनी बहन शूर्पनखा के अपमान का बदला लेने के लिए सीता हरण किया था। इसके बावजूद उसने सीता को पर्याप्त सम्मान दिया इसलिए वह रावण उसके लिए आदर्श हैं।
पेशे से वकील और दलित चिंतक चंद्रशेखर का नाम नसीमुद्दीन खान है इस बात की कहीं भी पुष्टि नहीं होती। सोशल मीडिया पर किये जा रहे दावे महज अफवाह हैं।
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Result- False