After completing his post-graduation, Yash worked with some of the most renowned newspapers such as like Lokmat, Dainik Bhaskar & Navbharat for the past 6 years. To make sure that no incorrect news reaches people and to maintain peace and harmony in society, he chose to become a fact-checker.
Claim– जामिया मिल्लिया में घायल स्टूडेंट के हाथ में खून नहीं केचअप लगा था। कम से कम केचअप की बोतल तो ठीक से छिपाते।
Verification– दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया में एक युवक ने एनरसी और सीएए के विरोध में
निकले मार्च के दौरान गोलियां चलाई। इस हमले में एक स्टूडेंट घायल हुआ। उसकी फोटो सोशल मीडिया में काफी वायरल हो रही है। कई पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि स्टूडेंट के हाथ में गोली नहीं लगी थी इसलिए खून नहीं बहा बल्कि युवक के हाथ में केचअप लगा था।
इस बारे में हमनें पड़ताल शुरू की तो हमें कई खबरें देखने को मिली जिसमें बताया गया था कि युवक द्वारा की गई गोलीबारी में एक स्टूडेंट घायल हुआ है।
वहीं हमें दैनिक भास्कर की वेबसाइट पर प्रकाशित खबर मिली, जिसमें बताया गया है कि हमलावर युवक का नाम गोपाल है और हमले में शाबाद फारुख नामक स्टूडेंट घायल हुआ है। जामिया वाइस चांसलर द्वारा देर रात घायल स्टूडेंट से हाॅस्पिटल में मुलाकात की खबर भी है। लेकिन किसी भी खबर में कहीं पर लिखा नहीं है कि स्टूडेंट ने केचअप लगाकर घायल होने का नाटक किया था।
इसके अलावा हमें सोशल मीडिया में घायल स्टूडेंट ले जाते हुए एक तस्वीर मिली जिसमें साफ दिख रहा है। स्टूडेंट को पकडकर ले जा रही लेडी के हाथ में लाल रंग की वाटर बोतल है। यह बोतल के ढक्कन की लेस से साफ दिखता है।
घायल छात्र को पहले जामिया मिल्लिया के पास ही होली फैमिली हाॅस्पिटल में भर्ती किया गया था। यह जानकारी हमें न्यूज डी की खबर में मिली।
इसके बाद उसे एम्स के ट्रामा सेंटर रेफर किया गया। विशेष पुलिस कमिश्नर प्रवीण रंजन उसे एम्स मिलने गए थे। इसकी जानकारी हमें एनएआई के ट्विट से मिली।
पुलिस ने भी कहीं पर भी दावा नहीं किया है कि स्टूडेंट ने केचअप की बोतल लाकर कोई ड्रामा किया है। इससे स्पष्ट होता है कि सोशल मीडिया में जामिया मिल्लिया के पास गोलीबारी में घायल स्टूडेंट को लेकर भ्रामक दावा वायरल किया जा रहा है। स्टूडेंट के हाथ से खून बह रहा था, उसने घायल होने का नाटक नहीं किया था।
Sources
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Result- False
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After completing his post-graduation, Yash worked with some of the most renowned newspapers such as like Lokmat, Dainik Bhaskar & Navbharat for the past 6 years. To make sure that no incorrect news reaches people and to maintain peace and harmony in society, he chose to become a fact-checker.