शनिवार, नवम्बर 2, 2024
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सिर्फ लीची नहीं है मुजफ्फरपुर में बच्चों की मौत का कारण

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Believing in the notion of 'live and let live’, Preeti feels it's important to counter and check misinformation and prevent people from falling for propaganda, hoaxes, and fake information. She holds a Master’s degree in Mass Communication from Guru Jambeshawar University and has been a journalist & producer for 10 years.

Claim

लीची खाने से होता है AES (Acute Encephalitis Syndrome) यानि चमकी बुखार

Verification

बिहार के मुजफ्फरपुर में एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम यानि चमकी बुखार से मरने वाले बच्चों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। तो दूसरी तरफ देश के अन्य राज्यों में लीची को लेकर लोगों में डर पैदा हो गया है। कई तरह की खबरें सोशल मीडिया पर शेयर हो रही हैं तो इन अफवाहों को हवा देने का काम कर रही हैं।

बिहार में हर दिन बच्चे इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। कोई सवाल अस्पताल पर खड़े कर रहा है, कोई डॉक्टरों पर आरोप लगा रहा है। लेकिन इस सब के बीच सबसे पहले हमारा ये जानना जरूरी है कि AES (Acute Encephalitis Syndrome) यानि चमकी बुखार होता क्या है?

क्या है चमकी बुखार (Acute Encephalitis Syndrome) ?

ये बीमारी आम तौर पर गर्मी और उमस वाले मौसम के दौरान 15 साल से कम उम्र वाले बच्चों को अपनी चपेट में लेती है। खास बात ये है कि ये बीमारी ज्यादातर उन बच्चों को अपनी चपेट में लेती है जो कुपोषित होते हैं। बताया जाता है कि चमकी या दिमागी बुखार होने पर बच्चों में शूगर और सोडियम की कमी हो जाती है। इस बीमारी में बच्चों को तेज़ बुखार, सिर दर्द, उल्टी और भ्रम होने लगते हैं। हालांकि दिमागी बुखार का सही कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है। अमेरिकी National Centre for Biotechnology Information ने इस बीमारी के बारे में विस्तार से लिखा है।

लीची खाने से क्यों बीमार पड़े मुजफ्फरपुर में बच्चे ?

लीची में हाईपोग्लाइसिन ए नामक टोक्सिन पाया जाता है जो रात के समय खून में शूगर की मात्रा को कम कर देता है जिसके कारण हाइपोग्लाइसीमिया यानि अल्पशर्करारक्तता हो जाती है। जैसा कि मुजफ्फरपुर में हुआ कि लीची खाने के अगले दिन बच्चों में तेज़ बुखार और मानसिक विचलन और दौरे जैसे लक्षण देखे गए।

भारतीय बाल चिकित्सा के अरुण शाह के The Guardian को दिए इंटरव्यू के मुताबिक मुजफ्फरपुर में इस बीमारी की चपेट में आने वाले वही बच्चे हैं जो कुपोषित हैं। अरुण शाह और उनके साथियों ने अपनी रिसर्च में पाया कि इस बीमारी से जूझ रहे गांवों के बच्चे दिन में लीची खाकर बिना रात का खाना खाए सो जाते हैं और हाइपोग्लाइसीमिया का शिकार बनते हैं।

चमकी बुखार या दीमागी बुखार से बचने के लिए अस्पतालों को तो बेहतर करने की जरूरत है ही साथ ही सरकार को कुपोषण से भी लड़ना होगा।

Result- False

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Believing in the notion of 'live and let live’, Preeti feels it's important to counter and check misinformation and prevent people from falling for propaganda, hoaxes, and fake information. She holds a Master’s degree in Mass Communication from Guru Jambeshawar University and has been a journalist & producer for 10 years.

Preeti Chauhan
Believing in the notion of 'live and let live’, Preeti feels it's important to counter and check misinformation and prevent people from falling for propaganda, hoaxes, and fake information. She holds a Master’s degree in Mass Communication from Guru Jambeshawar University and has been a journalist & producer for 10 years.

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