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Fact Check
Claim
लीची खाने से होता है AES (Acute Encephalitis Syndrome) यानि चमकी बुखार
Verification
बिहार के मुजफ्फरपुर में एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम यानि चमकी बुखार से मरने वाले बच्चों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। तो दूसरी तरफ देश के अन्य राज्यों में लीची को लेकर लोगों में डर पैदा हो गया है। कई तरह की खबरें सोशल मीडिया पर शेयर हो रही हैं तो इन अफवाहों को हवा देने का काम कर रही हैं।


Dear @narendramodi please have attn. here; https://t.co/oAiTIozxsm
— Rajeev Raj (@rajeev2322) June 20, 2019
As cases of #AES at the government-run Shri Krishna Medical College and Hospital in #Muzaffarpur increases, families offer harrowing tales of lack of drinking water and space at the hospital.
By @sanashakil_TNIE #EncephalitisDeathshttps://t.co/anVRvNzyw1— The New Indian Express (@NewIndianXpress) June 21, 2019
बिहार में हर दिन बच्चे इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। कोई सवाल अस्पताल पर खड़े कर रहा है, कोई डॉक्टरों पर आरोप लगा रहा है। लेकिन इस सब के बीच सबसे पहले हमारा ये जानना जरूरी है कि AES (Acute Encephalitis Syndrome) यानि चमकी बुखार होता क्या है?
क्या है चमकी बुखार (Acute Encephalitis Syndrome) ?
ये बीमारी आम तौर पर गर्मी और उमस वाले मौसम के दौरान 15 साल से कम उम्र वाले बच्चों को अपनी चपेट में लेती है। खास बात ये है कि ये बीमारी ज्यादातर उन बच्चों को अपनी चपेट में लेती है जो कुपोषित होते हैं। बताया जाता है कि चमकी या दिमागी बुखार होने पर बच्चों में शूगर और सोडियम की कमी हो जाती है। इस बीमारी में बच्चों को तेज़ बुखार, सिर दर्द, उल्टी और भ्रम होने लगते हैं। हालांकि दिमागी बुखार का सही कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है। अमेरिकी National Centre for Biotechnology Information ने इस बीमारी के बारे में विस्तार से लिखा है।
लीची खाने से क्यों बीमार पड़े मुजफ्फरपुर में बच्चे ?
लीची में हाईपोग्लाइसिन ए नामक टोक्सिन पाया जाता है जो रात के समय खून में शूगर की मात्रा को कम कर देता है जिसके कारण हाइपोग्लाइसीमिया यानि अल्पशर्करारक्तता हो जाती है। जैसा कि मुजफ्फरपुर में हुआ कि लीची खाने के अगले दिन बच्चों में तेज़ बुखार और मानसिक विचलन और दौरे जैसे लक्षण देखे गए।
भारतीय बाल चिकित्सा के अरुण शाह के The Guardian को दिए इंटरव्यू के मुताबिक मुजफ्फरपुर में इस बीमारी की चपेट में आने वाले वही बच्चे हैं जो कुपोषित हैं। अरुण शाह और उनके साथियों ने अपनी रिसर्च में पाया कि इस बीमारी से जूझ रहे गांवों के बच्चे दिन में लीची खाकर बिना रात का खाना खाए सो जाते हैं और हाइपोग्लाइसीमिया का शिकार बनते हैं।
चमकी बुखार या दीमागी बुखार से बचने के लिए अस्पतालों को तो बेहतर करने की जरूरत है ही साथ ही सरकार को कुपोषण से भी लड़ना होगा।
Result- False
Runjay Kumar
October 8, 2025
JP Tripathi
October 8, 2025
Salman
October 7, 2025