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Fact Check
Claim- यह तस्वीर महाकुंभ मेले में पकड़े गए आतंकी अयूब की है।
Fact- यह दावा फर्जी है। वायरल तस्वीर AI की मदद से बनाई गई है।
पूरे देश में प्रयागराज के महाकुंभ मेले की धूम है. हर रोज लाखों की संख्या में श्रद्धालु पवित्र संगम में स्नान कर रहे हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस मेले में अब तक 10 करोड़ से ज्यादा लोग आस्था की डुबकी लगा चुके हैं। इतनी भारी भीड़ को देखते हुए पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियां सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सतर्क हैं। इसी बीच सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है। तस्वीर में दो पुलिस वाले एक साधु को पकड़े दिख रहे हैं। साधु का हाथ रस्सी से बंधा हुआ है। इस तस्वीर को शेयर करते हुए दावा किया गया है कि महाकुंभ में आतंकी अयूब खान गिरफ्तार हुआ है.
पोस्ट के कैप्शन में लिखा है, “उत्तर प्रदेश के कुंभ मेले में आतंकवादी “अयूब खान” को गिरफ्तार किया। वह एक साधु के रूप में आया और हमारे साधुओं से घुलमिल गया। उसने सबसे बड़ा अपराध करने की साजिश रची थी जो उसका मज़हब सिखाता है। भगवान की कृपा से हमारे साधुओं ने इस आतंकवादी की हरकतों को देख लिया और उसे पुलिस को सौंप दिया।“

दावे की पड़ताल के लिए सबसे पहले वायरल तस्वीर को गूगल लेंस की मदद से सर्च किया. इस दौरान हमें कोई विश्वसनीय मीडिया रिपोर्ट नहीं मिली, जहां वायरल तस्वीर को प्रकाशित किया गया हो.
अपनी पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए हमने ‘महाकुंभ में अयूब खान’ कीवर्ड को गूगल सर्च किया. इस दौरान हमें नवभारत टाइम्स और हिंदुस्तान द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट्स मिलीं. 15 जनवरी, 2025 को प्रकाशित इन रिपोर्ट्स के अनुसार, 14 जनवरी की सुबह जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर और डासना मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद गिरी के महाकुंभ कैंप के बाहर से पुलिस ने अयूब नाम के एक संदिग्ध युवक को पकड़ा था. दरअसल यह युवक मेला परिसर में घूम रहा था, तभी कुछ संतो को इसपर शक हुआ. जब उन्होंने उससे पूछताछ की तो युवक ने अपना नाम आयुष बताया. हालांकि, जब पुलिस ने कड़ाई से पूछताछ की तो युवक ने अपना नाम अयूब बताया.
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, “पूछताछ में पकड़े गए युवक ने कबूला कि उसका नाम अयूब अली है और वह एटा के अलीगंज का रहने वाला है।”

बतौर रिपोर्ट, अलीगंज पुलिस ने अपनी जांच में यह पाया कि पकड़े गए युवक अयूब का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। हालांकि, वह नशे का आदी है। पुलिस ने जब युवक के रिश्तेदारों से पूछताछ की तो पता चला कि उसके पिता सहित पूरा परिवार सालों पहले जयपुर चले गए थे।
हालांकि, अपनी पड़ताल में हमने यह पाया कि वायरल पोस्ट में जिस साधु को अयूब बताया जा रहा है, असल में वह अयूब नहीं है। प्रकाशित रिपोर्ट्स में दिख रहा आरोपी एक युवक है, जबकि वायरल तस्वीर में नज़र आ रहा व्यक्ति एक बुजुर्ग.

वायरल तस्वीर को हमने अलग-अलग ओपन AI टूल्स AI Image Detector, Is It AI? और Hive.ai पर जांचा। इस दौरान हमने पाया कि यह फोटो असल नहीं, बल्कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से बनाई गई है।
AI Image Detector टूल द्वारा तस्वीर की जांच का परिणाम नीचे देखें–

Is It AI टूल द्वारा तस्वीर की जांच का परिणाम नीचे देखें–

Hive.ai टूल द्वारा तस्वीर की जांच का परिणाम नीचे देखें-

इस घटना के संबंध में अधिक जानकारी के लिए हमने डीआईजी प्रयागराज के कार्यालय से संपर्क किया. डीआईजी के पीआरओ ने बातचीत के दौरान हमें बताया कि “मेला परिसर से किसी आतंकी को नहीं पकड़ा गया है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा दावा गलत है।”
इस तरह हमारी पड़ताल में यह स्पष्ट होता है कि वायरल तस्वीर AI जेनरेटेड है।
Our Sources
Telephone Conversation with PRO-DIG Prayagraj
Media reports by Navbharat Times, Dainik Bhaskar and Hindustan
Analysis by AI Image Detector, Is It AI and Hive.ai.
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