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Fact Check
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद, जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 वापस लाने का मुद्दा फिर से गर्मा गया है। जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने केंद्र सरकार पर तालिबान के बहाने निशाना साधते हुए कहा है, “तालिबान के सब्र का इम्तेहान टूटने पर उसने अफगानिस्तान से अमेरिका को भागने पर मजबूर कर दिया। उसी तरह आप हमारे सब्र का इम्तेहान मत लीजिये, जिस दिन ये टूटेगा आप सह नहीं पाएगें, मिट जाएगें। जम्मू कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा वापस कीजिए।”
महबूबा मुफ्ती के इस विवादित बयान के बीच उनकी और उमर अब्दुल्ला की गिरफ्तारी की खबरें तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। दावा किया जा रहा है कि महबूबा मुफ्ती के बयान के बाद, उन्हें और ‘नेशनल कांफ्रेंस’ के नेता उमर अब्दुल्ला को PSA लगाकर गिरफ्तार कर लिया गया है।
Crowdtangle की सहायता से किए गए विश्लेषण के मुताबिक, इस वीडियो को सैकड़ों लोगों ने सोशल मीडिया पर शेयर किया है। फेसबुक पर Kalyani Tribedi की पोस्ट को सबसे शेयर और लाइक मिले हैं। लेख लिखे जाने तक इस पोस्ट पर 449 शेयर और 9.2k लाइक थे।
पोस्ट से जुड़े आर्काइव लिंक को यहां पर देखा जा सकता है।
वायरल दावे का सच जानने के लिए हमने गूगल पर कई कीवर्ड्स के जरिए सर्च किया। लेकिन हमें ऐसी कोई मीडिया रिपोर्ट नहीं मिली, जिसमें ये बताया गया हो कि हाल ही में दोनों नेताओं की गिरफ्तारी हुई है। अगर ये दावा सच होता तो यह खबर मीडिया जरूर कवर करता।
पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए हमने कई अन्य कीवर्ड्स के जरिए एक बार फिर से गूगल पर सर्च किया। इस दौरान हमें 7 फरवरी 2020 को Jansatta द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट मिली। रिपोर्ट में दी गई जानकारी के मुताबिक, केंद्र सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को जब अनुच्छेद 370 हटाया था, उस समय कश्मीर में दंगे रोकने के लिए मुहबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला समेत कई नेताओं को हिरासत में लिया गया था। उसके बाद कई नेताओं को 370 के खिलाफ प्रदर्शन न करने की गारंटी का बॉन्ड साइन कराकर रिहा कर दिया गया था। लेकिन महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला और फारूक अब्दुल्ला ने इस बॉन्ड पर साइन करने से मना कर दिया था। जिसके बाद इन नेताओं पर ‘पब्लिक सेफ्टी एक्ट’ यानी PSA लगाया गया था और नजरबन्द किया गया था। 14 महीने तक नजरबन्द रहने के बाद 13 अक्टूबर, 2020 को महबूबा मुफ्ती को रिहा कर दिया गया था।
महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला की गिरफ्तारी के बारे में अधिक जानकारी जानने के लिए, हमने उनके सोशल मीडिया अकाउंट्स खंगालना शुरू किया। इस दौरान पता चला कि महबूबा मुफ्ती ने कल यानी 24 अगस्त, 2021 को ‘गुपकार पार्टी (PAGD) के नेताओं के साथ बैठक की थी। इस बैठक की कुछ तस्वीरें जम्मू कश्मीर नेशनल फॉन्फ्रेंस (JKNC) के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट द्वारा भी शेयर की गई थी।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पब्लिक सेफ्टी एक्ट यानी सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम कश्मीर का एक ऐसा कानून है, जिसके तहत बिना मुकदमे के किसी भी व्यक्ति को दो साल तक गिरफ्तारी या फिर नजरबंदी में रखा जा सकता है। पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला के पिता शेख अब्दुल्ला ने इस कानून को 1970 में लकड़ी के तस्करों को रोकने के लिए लागू किया था।
हमारी पड़ताल में मिले तथ्यों के मुताबिक, महबूबा मुफ्ती को लेकर किया जा रहा दावा गलत है। उन्हें ‘पब्लिक सेफ्टी एक्ट’ के तहत गिरफ्तार नहीं किया गया है। वायरल खबर तकरीबन एक साल पुरानी है, जिसे अब गलत दावों के साथ सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है।
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Claim Review: तालिबान पर बयान देने के बाद महबूबा मुफ्ती की हुई गिरफ्तारी। Claimed By: Viral social media post Fact Check: Misleading |
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Runjay Kumar
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Runjay Kumar
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Shubham Singh
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