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Fact Check: क्या न्यूयॉर्क टाइम्स ने पीएम मोदी को बताया दुनिया की आखिरी उम्मीद? यहां जानें सच

Authors

A self-taught social media maverick, Saurabh realised the power of social media early on and began following and analysing false narratives and ‘fake news’ even before he entered the field of fact-checking professionally. He is fascinated with the visual medium, technology and politics, and at Newschecker, where he leads social media strategy, he is a jack of all trades. With a burning desire to uncover the truth behind events that capture people's minds and make sense of the facts in the noisy world of social media, he fact checks misinformation in Hindi and English at Newschecker.

Since 2011, JP has been a media professional working as a reporter, editor, researcher and mass presenter. His mission to save society from the ill effects of disinformation led him to become a fact-checker. He has an MA in Political Science and Mass Communication.

Claim
न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपने लेख में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दुनिया की आखिरी उम्मीद बताया है.
Fact
यह दावा गलत है. The New York Times ने ऐसा कोई लेख प्रकाशित नहीं किया है.

सोशल मीडिया तथा मैसेजिंग ऐप्स पर यह दावा किया जा रहा है कि न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपने लेख में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दुनिया की आखिरी उम्मीद बताया है.

न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपने लेख में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दुनिया की आखिरी उम्मीद बताया है.
वायरल दावा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका दौरे पर हैं. इस दौरान उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रमों में हिस्सा लेने के साथ ही राजनैतिक, सामाजिक एवं आर्थिक जगत से जुड़े प्रभावशाली लोगो से मुलाकात भी किया है. भाजपा समर्थक अक्सर पश्चिमी देशों के मीडिया संस्थानों पर भारत विरोधी रवैया अपनाने का आरोप लगाते हैं. ऐसे में कई भाजपा समर्थकों द्वारा यह दावा किया जा रहा है कि न्यू यॉर्क टाइम्स ने अपने लेख में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दुनिया की आखिरी उम्मीद बताया है.

Newschecker की टिपलाइन पर प्राप्त दावा

Fact Check/Verification

न्यूयॉर्क टाइम्स द्वारा अपने लेख में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दुनिया की आखिरी उम्मीद बताने के नाम पर शेयर किया जा रहा यह दावा कोरोना संक्रमण के दौरान भी खासा वायरल हुआ था. जिसके बाद Newschecker ने 27 सितंबर, 2021 को वायरल दावे की पड़ताल कर इसका सच बताया था. बता दें कि अखबार की इस वायरल कतरन पर 26 सितंबर, 2021 की तारीख का उल्लेख है. हालांकि, हमारी पड़ताल के अनुसार न्यू यॉर्क टाइम्स के तत्कालीन संस्करणों में प्रथम या किसी अन्य पृष्ठ पर यह खबर प्रकाशित नहीं हुई थी.

न्यूयॉर्क टाइम्स के 26 सितंबर, 2021 को प्रकाशित संस्करण का मुख्या पृष्ठ

इसके अतिरिक्त हमने न्यूयॉर्क टाइम्स की वेबसाइट पर ‘Last, Best Hope of Earth’ कीवर्ड्स को ढूंढा, लेकिन इस प्रक्रिया में हमें संस्था द्वारा इस शीर्षक के साथ प्रकाशित कोई भी लेख प्राप्त नहीं हुआ.

वायरल कतरन का विश्लेषण करने पर हमने यह भी पाया कि इसमें कई व्याकरणीय और संपादकीय गलतियां हैं. उदाहरण के लिए इसमें ‘September’ की वर्तनी ‘Setpember’ लिखी हुई है तथा इसमें प्रधानमंत्री की तस्वीर के नीचे ‘His Highness, Modiji is signing on a blank a4 paper to bless our country… har har Modi’ लिखा हुआ है, जो कि संपादकीय मानकों के विपरीत है. बता दें कि न्यूयॉर्क टाइम्स के एक संस्करण का दाम साल 26 सितंबर, 2021 को छः डॉलर था, ना कि ढाई डॉलर.

उक्त कतरन के वायरल होने पर 29 सितंबर, 2021 को न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट शेयर कर इस दावे को गलत बताया है.

अगर वायरल कतरन में मौजूद प्रधानमंत्री के तस्वीर की बात करें तो इसे गूगल पर ढूंढने पर यह जानकारी मिलती है कि इसे उनकी निजी वेबसाइट (narendramodi.in) से लिया गया है.

Conclusion

इस प्रकार हमारी पड़ताल में यह बात साफ हो जाती है कि न्यूयॉर्क टाइम्स द्वारा अपने लेख में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दुनिया की आखिरी उम्मीद बताने के नाम पर शेयर किया जा रहा यह दावा गलत है. संस्था ने इस तरह की कोई खबर प्रकाशित नहीं की है.

Result: False

Our Sources
Archive of the New York Times front page, dated 26 September, 2021
Tweet shared by The New York Times on 29 September, 2021
Newschecker analysis

किसी संदिग्ध ख़बर की पड़ताल, संशोधन या अन्य सुझावों के लिए हमें WhatsApp करें: 9999499044  या ई-मेल करें: checkthis@newschecker.in

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A self-taught social media maverick, Saurabh realised the power of social media early on and began following and analysing false narratives and ‘fake news’ even before he entered the field of fact-checking professionally. He is fascinated with the visual medium, technology and politics, and at Newschecker, where he leads social media strategy, he is a jack of all trades. With a burning desire to uncover the truth behind events that capture people's minds and make sense of the facts in the noisy world of social media, he fact checks misinformation in Hindi and English at Newschecker.

Since 2011, JP has been a media professional working as a reporter, editor, researcher and mass presenter. His mission to save society from the ill effects of disinformation led him to become a fact-checker. He has an MA in Political Science and Mass Communication.

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