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Fact Check
सोशल मीडिया पर एक तस्वीर शेयर कर यह दावा किया गया कि राजस्थान में गहलोत सरकार द्वारा मस्जिद और मदरसे के संरक्षण के लिए नए और कठोर कानून बनाये गए हैं।
भारत के राजनीतिक दल एक-दूसरे पर विभिन्न समुदायों के तुष्टीकरण का आरोप लगाते रहते हैं और इन दलों के समर्थक भी पार्टी लाइन के आधार पर तुष्टीकरण के इन तमाम दावों को और बढ़ावा देते हैं।
इसी क्रम में सोशल मीडिया पर एक तस्वीर शेयर की गई जिसके अनुसार, मस्जिदों या मदरसों में दुर्व्यवहार, सम्पत्ति के नुकसान या उनके स्टाफ के काम में बाधा डालने पर “सजा हो सकती है।” इस वायरल तस्वीर को नीचे देखा जा सकता है:
इस तस्वीर को शेयर कर यह दावा किया गया कि कांग्रेस शासित राजस्थान में गहलोत सरकार मुस्लिमों की पक्षधर है इसीलिए सरकार द्वारा मस्जिद और मदरसे के संरक्षण के लिए नए और कठोर कानून बनाये गए हैं।
यह दावा फेसबुक पर भी ख़ासा वायरल है जिसे यहां देखा जा सकता है।
इस तस्वीर की पड़ताल के लिए हमने सबसे पहले “मस्जिद और मदरसा की सुरक्षा के लिए राजस्थान सरकार ने उठाये बड़े कदम” कीवर्ड्स को Google पर ढूंढा। लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में हमें ऐसी कोई मीडिया रिपोर्ट नहीं मिली जो वायरल दावे का समर्थन करती हो। हमें राजस्थान सरकार द्वारा ऐसे किसी बदलाव को लेकर भी कोई मीडिया रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई।
वायरल दावे को लेकर राजस्थान सरकार का पक्ष जानने के लिए हमने कुछ अन्य कीवर्ड्स के साथ Google Search किया जिसमें हमें नवभारत टाइम्स द्वारा प्रकाशित एक लेख प्राप्त हुआ। लेख के मुताबिक गहलोत सरकार द्वारा मस्जिद और मदरसा के संरक्षण के लिए कठोर कानून बनाये जाने के दावे को झूठा बताया गया है।
नवभारत टाइम्स द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के आधार पर कुछ कीवर्ड्स की सहायता से किये गए एक Twitter सर्च के दौरान हमें राजस्थान पुलिस, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के O.S.D (ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी), लोकेश शर्मा तथा उदयपुर पुलिस समेत कई अन्य अधिकारियों के ट्वीट्स प्राप्त हुए। राजस्थान सरकार से जुड़े इन सभी ट्विटर हैंडल्स ने वायरल दावे को फर्जी बताया है।
राजस्थान पुलिस ने वायरल दावे को ‘शरारती तत्वों द्वारा आमजन को गुमराह करने के उद्देश्य से शेयर किया गया भ्रामक मैसेज’ बताते हुए लोगों से ‘ऐसे किसी भी मैसेज को आगे फॉरवर्ड ना करने की अपील’ की है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के OSD, लोकेश शर्मा ने भी अपने ट्वीट में इस दावे को फर्जी बताया है।
उदयपुर पुलिस ने भी इस दावे को भ्रामक बताते हुए इसपर भरोसा ना करने की अपील की है।
आईपीसी की धारा 427 के बारे में LatestLaws.com द्वारा प्रकाशित लेख के अनुसार, “जो भी ऐसी कोई कुचेष्टा करेगा और जिससे पचास रुपए या उससे अधिक की हानि या नुकसान हो, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा जिसे दो वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है या आर्थिक दंड या दोनों से दंडित किया जाएगा।”
लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम, 1984 के बारे में विधि और न्याय मंत्रालय के विधायी विभाग के अनुसार, “परिभाषाएँ इस अधिनियम में, जब तक कि संदर्भ मे अन्यथा अपेक्षित न हो
(क) “रिष्टि” का वही अर्थ होगा जो भारतीय दंड संहिता (1860 का 45) की धारा 425 में है;
(ख) “लोक संपत्ति” से अभिप्रेत है ऐसी कोई संपति, चाहे वह स्थावर हो या जंगम (जिसके अन्तर्गत कोई मशीनरी है), जो निम्नलिखित के स्वामित्व या कब्जे में या नियंत्रण के अधीन है:
(i) केन्द्रीय सरकार; या
(ii) राज्य सरकार; या
(iii) स्थानीय प्राधिकारी; या
(iv) किसी केन्द्रीय प्रांतीय या राज्य अधिनियम द्वारा या उसके अधीन स्थापित निगम; या
(v) कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) की धारा 617 में परिभाषित कम्पनी; या
(vi) ऐसी संस्था, समुत्थान या उपक्रम, जिसे केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा इस निमित्त विनिर्दिष्ट करे;
परन्तु केन्द्रीय सरकार इस उपखण्ड के अधीन किसी संस्था, समुत्थान या उपक्रम को सभी विनिर्दिष्ट करेगी जब ऐसी संस्था, समुत्थान या उपक्रम का केन्द्रीय सरकार द्वारा अथवा एक या अधिक राज्य सरकारों द्वारा अथवा भागतः केन्द्रीय सरकार द्वारा और भागत: एक या अधिक राज्य सरकारों द्वारा प्रत्यक्षतः या अप्रत्यक्षतः उपबन्धित निधियों द्वारा पूर्णतः या पर्याप्ततः वित्तपोषण किया जाता है।”
Newschecker की पड़ताल में यह बात साफ हो जाती है कि राजस्थान की गहलोत सरकार द्वारा मस्जिद और मदरसे के संरक्षण के लिए नए और कठोर कानून बनाये जाने के नाम पर शेयर किया जा रहा यह दावा गलत है।
Claim Review: राजस्थान सरकार ने मस्जिद और मदरसे के संरक्षण के लिए नए और कठोर कानून बनाए। Claimed By: Viral Social Media Post Fact Check: Misleading |
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Media Reports
Tweets made by Rajasthan Police, Lokesh Sharma and Udaipur Police
India Code
Legislative Department (Ministry of Law and Justice)
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