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Fact Check
राजस्थान के अलवर में शिव मंदिर को तोड़ने पर मची सियासत के बीच सोशल मीडिया पर एक फोटो काफी वायरल हो रही है. फोटो में देखा जा सकता है कि एक क्रेन मशीन से किसी हिंदू धार्मिक स्थल को तोड़ा जा रहा है. इस फोटो को अलवर में तोड़े गए “300 साल” पुराने शिव मंदिर वाले मामले से जोड़ा जा रहा है. कुछ लोगों का कहना है कि ये अलवर की फोटो है जहां “हिंदू विरोधी” गहलोत सरकार ने वर्षों पुराने शिव मंदिर को तोड़ दिया.
इस ट्वीट का आर्काइव यहां देखा जा सकता है.
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वायरल तस्वीर को रिवर्स सर्च करने पर हमें जुलाई 2015 की इंडिया टुडे की एक खबर मिली. इस खबर के अनुसार, ये फोटो जयपुर में 2015 में ली गई थी जब शहर में मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए छोटे-बड़े तकरीबन 100 मंदिरों को तोड़ा गया था. यहां गौर करने वाली बात ये है कि 2015 में राजस्थान में बीजेपी की सरकार थी और सीएम वसुन्धरा राजे थीं. मंदिरों के तोड़े जाने को लेकर उस समय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने राजस्थान सरकार पर नाराजगी भी जाहिर की थी.
इस बारे में जुलाई 2015 में हिन्दुस्तान टाइम्स सहित कई मीडिया संस्थाओं ने खबरें प्रकाशित की थीं. फोटो में दिख रहा धार्मिक स्थल रोजगारेश्वर महादेव मंदिर था जिसे गिरा दिया गया था. खबरों के अनुसार, ये मंदिर 250 साल पुराना था. अलवर में हाल ही में जो मंदिर गिराया गया है उसका वीडियो भी इंटरनेट पर मौजूद है.
दरअसल, 17 अप्रैल को अलवर के राजगढ़ में मास्टर प्लान के तहत अतिक्रमण को हटाया गया था. इसमें कुछ मकान और तीन मंदिर शामिल थे. इनमें से एक सालों पुराना मंदिर था जिसके तोड़े जाने पर काफी बवाल देखने को मिला. मामले पर बीजेपी, गहलोत सरकार पर जमकर हमलावर हुई और उन्हें हिंदू विरोधी कहा. वहीं कांग्रेस का कहना था कि अतिक्रमण और मंदिर बीजेपी पार्षद और चेयरमैन के आदेश पर तोड़े गए थे. इस मामले को लेकर अभी भी खींचतान जारी है. इसी के मद्देनज़र सोशल मीडिया पर ये तस्वीर वायरल हो रही है जिसे अलवर में मंदिर तोड़े जाने वाले मामले से जोड़ा जा रहा है.
यहां निष्कर्ष निकलता है कि सात साल पहले जयपुर में तोड़े गए मंदिर को अलवर का बताकर गहलोत सरकार पर निशाना साधा जा रहा है. वायरल फोटो में जो मंदिर नजर आ रहा है उसे राजस्थान में बीजेपी की सरकार के रहते हुए गिराया गया था.
Our Sources
Report of India Today, published on July 7, 2015
Report of Hindustan Times, published on July 7, 2015
Report of AmarUjala, published on July 23, 2015
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Komal Singh
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Komal Singh
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