Authors
An enthusiastic journalist, researcher and fact-checker, Shubham believes in maintaining the sanctity of facts and wants to create awareness about misinformation and its perils. Shubham has studied Mathematics at the Banaras Hindu University and holds a diploma in Hindi Journalism from the Indian Institute of Mass Communication. He has worked in The Print, UNI and Inshorts before joining Newschecker.
सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर कर दावा किया गया है कि दिल्ली पुलिस भगवा दंगाई के साथ मिलकर एक समुदाय विशेष के खिलाफ पत्थरबाजी कर रही है। वायरल वीडियो में पुलिसकर्मियों के बगल में खड़े लोग पत्थरबाजी करते नज़र आ रहे हैं।
एक ट्विटर यूजर ने वायरल वीडियो शेयर करते हुए इसे दिल्ली का बताया है।
(ऊपरोक्त ट्वीट का आर्काइव लिंक)
वहीं, पत्रकार राणा अयूब ने भी 25 अप्रैल 2022 को वायरल वीडियो अपने इंस्टाग्राम हैंडल से शेयर किया था, जिसे बााद में उन्होंने डिलीट कर दिया।
इसके अलावा एक अन्य फेसबुक यूजर ने भी वायरल वीडियो शेयर करते हुए इसे दिल्ली का बताया है।
दरअसल, बीते दिनों हनुमान जयंती के अवसर पर शोभायात्रा निकालने के दौरान दिल्ली के जहांगीरपुरी में दो समुदायों के बीच हिंसक झड़प हो गई थी। इस झड़प में आठ पुलिसकर्मियों समेत कुल नौ लोग घायल हो गए। हिंसा के तीन दिन बाद उत्तरी नगर निगम ने जहांगीरपुरी में अवैध निर्माण गिराने की कार्रवाई शुरू की, लेकिन कार्रवाई शुरू होने के एक घंटे के भीतर ही सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी। फिलहाल कोर्ट ने दो सप्ताह तक यथा-स्थिति बराकरार रखने का आदेश दिया है। इस दौरान जहांगीरपुरी में हुई हिंसा को लेकर सोशल मीडिया पर कई वीडियो वायरल हुए। उनमें से कई वीडियो Newschecker की पड़ताल में भ्रामक साबित हुए। इस बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर कर दावा किया गया है कि दिल्ली पुलिस भगवा दंगाई के साथ मिलकर एक समुदाय विशेष के खिलाफ पत्थरबाजी कर रही है।
Fact Check/Verification
क्या दिल्ली पुलिस भगवा दंगाई के साथ मिलकर एक समुदाय विशेष के खिलाफ पत्थरबाजी कर रही है? वायरल वीडियो inVID टूल की मदद से कई कीफ्रेम्स में तोड़ते हुए स्क्रीनशॉट को हमने गूगल रिवर्स इमेज के माध्यम से खोजना शुरू किया। इस दौरान हमें Khurraminc नामक ट्विटर हैंडल द्वारा 4 जनवरी 2020 को किया गया एक ट्वीट प्राप्त हुआ। ट्वीट में लिखे कैप्शन के अनुसार, “पुलिस के साथ मिलकर #भगवा_आतंकी शांति से चल रहे पोटैसट पर पत्थर मार रहे है। ये वीडियो #उत्तरप्रदेश के फ़िरोज़ाबाद का है, इस तरह की बहुत सी वीडियो, फ़ोटो और चश्मदीद गवाह हैं जो बताते हैं कि शांतिपूर्वक प्रदर्शन अचानक हिंसात्मक कैसे हो गए, और पुलिस के साथ सादे कपड़ों में ये कौन लोग हैं।” Khurraminc द्वारा किए गए ट्वीट में सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो संलग्न है।
पड़ताल के दौरान हमने ‘फिरोजाबाद सीएए एनआरसी प्रदर्शन’ कीवर्ड डालकर गूगल पर सर्च करना शुरू किया। इस दौरान हमें अग्रेंजी अखबार Times of India द्वारा 01 जनवरी 2020 को प्रकाशित एक रिपोर्ट प्राप्त हुई। रिपोर्ट के अनुसार, यूपी में आगरा रेंज के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी द्वारा किया गया था कि 20 दिसंबर 2019 को सीएए और एनआरसी प्रदर्शन के दौरान कोई गोली नहीं चली थी जिसके बाद फिरोजाबाद से कम से कम चार वीडियो सामने आए हैं। इन वीडियों में पुलिस न केवल प्रदर्शनकारी भीड़ पर कथित तौर पर गोलीबारी कर रही है, बल्कि अज्ञात नागरिकों को इस काम में पुलिस की मदद करते हुए देखा जा सकता है।
Times of India में ये रिपोर्ट लिखने वाले पत्रकार अरविंद चौहान ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल द्वारा 01 जनवरी 2020 को एक थ्रेड ट्वीट किया जिसमें सोशल मीडिया पर अभी वायरल हो रहा वीडियो देखा जा सकता है।
Conclusion
इस तरह हमारी पड़ताल में स्पष्ट है कि दिल्ली पुलिस भगवा दंगाई के साथ मिलकर एक समुदाय विशेष के खिलाफ पत्थरबाजी कर रही हैं, दावे के साथ सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो दो साल पुराना है। वायरल वीडियो यूपी के फिरोजाबाद का है जिस वक्त वहां सीएए-एनआरसी आंदोलन के विरुद्ध प्रदर्शन चल रहा था।
Result: Misleading
Our Sources
Tweet by Twitter Handle Khurraminc on 04 January 2020
Tweet by TOI Journalist Arvind Chauhan on 01 January 2020
Report by Times of India on 01 January 2020
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