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अल्जीरियाई राष्ट्रपति के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन का पुराना वीडियो, फ्रांस में हुई हालिया हिंसा से जोड़कर किया गया शेयर

Authors

An enthusiastic journalist, researcher and fact-checker, Shubham believes in maintaining the sanctity of facts and wants to create awareness about misinformation and its perils. Shubham has studied Mathematics at the Banaras Hindu University and holds a diploma in Hindi Journalism from the Indian Institute of Mass Communication. He has worked in The Print, UNI and Inshorts before joining Newschecker.

Since 2011, JP has been a media professional working as a reporter, editor, researcher and mass presenter. His mission to save society from the ill effects of disinformation led him to become a fact-checker. He has an MA in Political Science and Mass Communication.

Claim:
यह वीडियो फ्रांस में हो रही हालिया हिंसा से जुड़ा है, जहां रिपब्लिक स्क्वायर पर शरणार्थियों ने कब्जा कर लिया है।
Fact:
यह दावा भ्रामक है। वीडियो चार साल पहले से इंटरनेट पर मौजूद है। 

सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल है, जिसमें एक इमारत के पास बड़ी संख्या में मौजूद लोग हाथों में झंडा लिए नारेबाजी करते हुए नज़र आ रहे हैं। वीडियो को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि ये फ्रांस की राजधानी पेरिस स्थित रिपब्लिक स्क्वायर है, जहां शरणार्थियों द्वारा हालिया किए गए विरोध प्रदर्शन के आगे फ्रांस की सत्ता ने घुटने टेक दिए। 

Courtesy:Twitter@MajorPoonia

(आर्काइव लिंक)

दरअसल, बीते दिनों फ्रांस की राजधानी पेरिस में 17 साल के युवक नाहेल की मौत के बाद वहां दंगे भड़क गए। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यह फ्रांस में पिछले एक दशक का सबसे बड़ा दंगा बताया जा रहा है। फ्रांस में दंगे रोकने के लिए लगभग 50 हजार पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है। 

Fact Check/Verification

दावे की सत्यता जानने के लिए हमने Invid टूल की मदद से कुछ कीफ्रेम बनाए। इसके बाद एक कीफ्रेम को रिवर्स सर्च किया। हमें Selina Skyes नामक एक ट्विटर हैंडल द्वारा मार्च 2019 में किया गया एक ट्वीट मिला। इसमें वायरल वीडियो मौजूद है। ट्वीट के कैप्शन के मुताबिक, वीडियो पेरिस के प्लेस डे ला रिपब्लिका का है, जहां फ्रांस में रहने वाले अल्जीरियाई लोग विरोध प्रदर्शन करते नज़र आ रहे हैं। ये प्रदर्शन अल्जीरिया के तत्कालीन राष्ट्रपति बुउटफ्लिका के पांचवे कार्यकाल को लेकर किया जा रहा था। 

इसके अलावा, इस विरोध प्रदर्शन से जुड़े कई और ट्वीट भी मिले, जिसे मार्च 2019 में पोस्ट किया गया था। इनमें वायरल वीडियो का अंश देखा जा सकता है। 

हमें फेसबुक पर कुछ कीवर्ड सर्च करने के दौरान Josephharry ochieng नाम के एक यूजर द्वारा मार्च 2019 में किया गया एक पोस्ट मिला। इसमें वायरल वीडियो का एक स्क्रीनग्रैब मौजूद है। पोस्ट के साथ दी गई जानकारी के अनुसार, फ्रांस में रहने वाले अल्जीरियाई लोगों ने राष्ट्रपति बुउटफ्लिका के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।

पड़ताल के दौरान हमें ‘Voanews’ की वेबसाइट पर चार मार्च 2019 को प्रकाशित एक रिपोर्ट मिली। इसमें वायरल वीडियो से मिलते-जुलते दृश्य मौजूद है। रिपोर्ट के मुताबिक, वीडियो फ्रांस के पेरिस का है। जहां लोगों ने अल्जीरिया के राष्ट्रपति अब्देलअज़ीज़ बुउटफ्लिका के पांचवे कार्यकाल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किए। इस विरोध प्रदर्शन में बड़ी संख्या में अल्जीरियाई लोगों ने हिस्सा लिया था। फ्रांस की मीडिया वेबसाइट Radio France Internationale ने भी अपनी वेबसाइट पर इस विरोध प्रदर्शन को लेकर मार्च 2019 में रिपोर्ट प्रकाशित की थी। 

यह भी पढ़ें: Fact Check: फ्रांस में हुई हालिया हिंसा का नहीं है यह वायरल वीडियो, यहां जानें सच

Conclusion

इस तरह हमारी पड़ताल में स्पष्ट है कि पेरिस के रिपब्लिक स्क्वायर पर चार साल पहले हुए विरोध प्रदर्शन का वीडियो हालिया हिंसा का बताकर भ्रामक दावे के साथ शेयर किया गया है। 

Result:False

Our Sources
Tweet by Selina Sykes in March 2019
Facebook Post by Josephharry ochieng in March 2019
Report Published by ‘Voanews in March 2019

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An enthusiastic journalist, researcher and fact-checker, Shubham believes in maintaining the sanctity of facts and wants to create awareness about misinformation and its perils. Shubham has studied Mathematics at the Banaras Hindu University and holds a diploma in Hindi Journalism from the Indian Institute of Mass Communication. He has worked in The Print, UNI and Inshorts before joining Newschecker.

Since 2011, JP has been a media professional working as a reporter, editor, researcher and mass presenter. His mission to save society from the ill effects of disinformation led him to become a fact-checker. He has an MA in Political Science and Mass Communication.

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