Authors
Claim
दिल्ली के कनॉट प्लेस में वक्फ बोर्ड संशोधन बिल के खिलाफ मुसलमानों ने किया प्रदर्शन।
Fact
नहीं, यह दावा फर्जी है।
8 अगस्त, 2024 को दो विधेयक वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 और मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक, 2024, लोकसभा में पेश किए गए थे। इस बिल के खिलाफ देश में कई मुस्लिम संगठनों ने आवाज उठाई। इसी से जोड़कर एक वीडियो वायरल है। दावा है कि वक्फ बोर्ड संशोधन बिल के खिलाफ दिल्ली के कनॉट प्लेस में मुसलमानों ने सड़क जाम करके विरोध प्रदर्शन किया। एक मिनट के इस वीडियो में कनॉट प्लेस की सड़क पर भीड़ नजर आ रही है।
24 सितंबर 2024 के एक एक्स पोस्ट (आर्काइव) में लिखा गया है, “BBA… यह बांग्लादेश, पश्चिम बंगाल या केरल नहीं है… ये आपकी दिल्ली का कल शाम का दृश्य है. ..कनाट प्लेस, दिल्ली में.. मोदीजी के वक्फ बोर्ड संशोधन बिल के खिलाफ.. मुसलमानों ने अपनी ताकत दिखाते हुए.. सड़कों पर जाम लगा दिया है। पूरे देश में इन जेहादियों के खिलाफ..”यह दावा फेसबुक पर भी शेयर किया जा रहा है।
Fact Check/Verification
दावे की पड़ताल के लिए संबंधित कीवर्ड के जरिए गूगल सर्च करने पर हमें घटना से जुड़ी कोई रिपोर्ट नहीं मिली, जो इस दावे की पुष्टि करती हो कि दिल्ली के कनॉट प्लेस में वक्फ बोर्ड संशोधन बिल के खिलाफ मुसलमानों ने प्रदर्शन किया हो।
अब हमने वीडियो के की-फ्रेम को गूगल लेंस द्वारा चेक किया। इस दौरान हमें वायरल क्लिप से मिलते-जुलते विज़ुअल्स के साथ कनॉट प्लेस से निकाले गए ‘काला ताज़िया जुलूस’ के कई वीडियो मिले।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो को गौर से देखने पर उसके अंत में हमें जुलूस में ले जाए जाने वाले ताजिया जैसी आकृति नजर आती है। मिलान करने पर यह स्पष्ट हो जाता है कि वह ताजिया ही है।
वीडियो को गौर से सुनने पर हमें लोगों द्वारा लगाए जा रहे ‘लब्बैक या हुसैन’ के नारे सुनाई देते हैं। दिल्ली के कनॉट प्लेस में हुए काला ताज़िया जुलूस के वीडियो में भी यह नारे सुनाई दे रहे हैं। ज्ञात हो “लबैक या हुसैन” का अर्थ है “मैं यहां हूं, हे हुसैन” है। “लबैक या हुसैन”, हुसैन के मूल्यों और उनके ऐतिहासिक मिशन के साथ एकजुटता के प्रति एक नारा है।
जांच में आगे हमने ‘कनॉट प्लेस में काला ताज़िया’ की-वर्ड्स के साथ गूगल सर्च किया। 11 सितंबर 2024 को दैनिक जागरण द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में काला ताजिया के बारे में जानकारी दी गई है। बतौर रिपोर्ट, इस्लामिक महीने रबी-उल-पे अव्वल के 7वें दिन, शिया मुस्लिम समुदाय, मासूम का ताजिया निकालकर हजरत जैनुल आबिदीन (शिया समुदाय के चौथे इमाम) के चेहलुम का जश्न मनाता है। इसे कुर्बानी के रूप में भी याद किया जाता है।
बतौर रिपोर्ट, 11 सितंबर 2024 को ताजिया जुलूस के मद्देनजर, कुछ सड़कों और हिस्सों पर पुलिस प्रशासन द्वारा यातायात नियमन और डायवर्जन लागू किया गया था। रिपोर्ट में काला ताजिया जुलूस के कनॉट प्लेस के आउटर सर्कल से गुजरने की बात कही गई थी।
11 सितंबर 2024 को दिल्ली ट्रैफिक पुलिस द्वारा भी इसके मद्देनज़र ट्रैफिक अडवाइज़री जारी की गई थी।
जांच में आगे हमने इस संबंध में कनॉट प्लेस पुलिस से भी संपर्क किया। फ़ोन पर हुई बातचीत में बताया गया कि कनॉट प्लेस में वक्फ बोर्ड संशोधन बिल के खिलाफ कोई प्रदर्शन नहीं हुआ है। साथ ही पुलिस ने कनॉट प्लेस से काला ताज़िया जुलूस निकाले जाने की पुष्टि की है।
Conclusion
जांच से हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि वायरल दावा फ़र्ज़ी है। कनॉट प्लेस में वक्फ बोर्ड संशोधन बिल के खिलाफ मुसलमानों ने प्रदर्शन नहीं किया है। वायरल वीडियो काला ताज़िया जुलूस का है।
Result: False
Sources
Social Media Post.
News Report by Dainik Jagran dated September 11,2024
X post by Delhi Traffic Police dated September 11, 2024
Phonic Conversation with Connaught Place Police .
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