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Fact Check
सोशल मीडिया पर एक लौह स्तम्भ की तस्वीर वायरल हो रही है. दावा किया जा रहा है कि तस्वीर में दिखने वाला स्तम्भ, मुग़लों द्वारा बनाये गए क़ुतुब मीनार में स्थापित मशहूर लौह स्तम्भ का है, जिसपर मुग़लों के पूर्वजों के नाम अंकित हैं.
ट्विटर पर गोपाल गोस्वामी नाम के एक यूजर लौह स्तम्भ की तस्वीर को अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से शेयर करते हुए दावा करते हैं कि “कुतुबमीनार मुगलों ने बनाया था, साक्ष्य कुतुबमीनार के लौह स्तंभ पर मुगलों ने अपने पूर्वजों के नाम लिखे हैं.”
एक अन्य ट्विटर यूजर @jagadishexplore ने भी तस्वीर को शेयर करते हुए दावा करते है कि “कुतुबमीनार मुगलों ने बनाया था, सबुत के तौर पर कुतुबमीनार के लोहस्तंभ पर देखो मुगलों के पूर्वजों के नाम लिखे हैं, विश्वास नहीं हो रहा तो zoom करके देख लो. और हम अब भी उसको कुतुब मिनार पुकारते हैं.”
वायरल पोस्ट के आर्काइव को यहाँ देखा जा सकता है.
वायरल तस्वीर और उसके साथ किये जा रहे दावे को लोगों ने ट्विटर और फेसबुक पर जमकर शेयर किया है.
रिवर्स इमेज सर्च की मदद से तस्वीर की पड़ताल पड़ताल करने पर हमें फेसबुक पर “नमस्ते एवरीवन” नाम का एक कम्युनिटी पेज मिला, जिसपर 10 जुलाई 2010 को वायरल पोस्ट में दिख रहे लौह स्तम्भ की तस्वीर शेयर की गयी थी. कैप्शन में जानकारी देते हुए लिखा है कि तस्वीर में दिख रहा यह लौह स्तम्भ राजस्थान के भरतपुर-लोहागढ़ किले में स्थापित है, जिसे जाट साम्राज्य के महाराजा सूरजमल ने अपने शासनकाल (1707 -1763) के दौर में बनवाया था.
फेसबुक पोस्ट से मिली जानकारी के आधार पर हमने “लौह स्तम्भ राजस्थान” “भरतपुर आयरन पिलर” जैसे कीवर्ड की मदद से जब इंटरनेट खंगाला तो हमें तस्वीरों का संग्रह रखने वाली एक वेबसाइट flicker पर वायरल पोस्ट में दिख रहे लौह स्तम्भ की तस्वीर मिली. जिसे डेविड रॉस नाम के एक फोटोग्राफर ने 19 अक्टूबर 2009 को अपने कैमरे से खींचा था. तस्वीर की जानकारी देते हुए लिखा गया है “ये तस्वीर भारत के भरतपुर किले में स्थित लौह स्तम्भ की है.”
अपनी पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए हमने क़ुतुब मीनार और भरतपुर के लौह स्तम्भों की तुलना की तो पाया कि दोनों एक दूसरे से काफी अलग हैं. भरतपुर के लौह स्तम्भ पर जहाँ कुछ नाम अंकित हैं वहीं, क़ुतुब मीनार स्थित स्तम्भ पर किसी तरह का कोई नाम अंकित दिखाई नहीं देता है.

सोशल मीडिया पर दावा किया गया है कि क़ुतुब मीनार को मुग़लों ने बनवाया था, लेकिन दिल्ली सरकार की आधिकारिक टूरिज्म वेबसाइट पर क़ुतुब मीनार और इसके इतिहास के संबंध में दी गयी जानकारी के अनुसार “दिल्ली के पहले मुस्लिम शासक कुतुबुद्धीन ऐबक ने 1200 ई. में इसका निर्माण कार्य शुरु कराया. किन्तु वे केवल इसका आधार ही पूरा कर पाए थे. उसके बाद उनके उत्तराधिकारी अल्तमश ने इसकी तीन मंजिलें बनाई और 1368 में फिरोजशाह तुगलक ने पांचवीं और अंतिम मंजिल बनवाई थी.”
क़ुतुब मीनार के निर्माण से जुड़े इतिहास को समझने के लिए हमने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में मध्यकालीन भारत इतिहास के प्रोफेसर रहे श्री हेरम्ब चतुर्वेदी से बात की. उन्होंने हमें बताया कि मुग़ल साम्राज्य की स्थापना भारत में 1526 में बाबर द्वारा की गयी थी, जबकि क़ुतुब मीनार का आखिरी निर्माण फिरोजशाह तुगलक ने करवाया था. हेरम्ब चतुर्वेदी ने कहा कि कुतुब मीनार भारत में मुग़लों के आने से बहुत पहले बन चुका था.
हमारी पड़ताल में हमने पाया कि क़ुतुब मीनार का निर्माण मुग़लों द्वारा नहीं किया गया था और जिस लौह स्तम्भ को दिल्ली के क़ुतुब मीनार का बताकर वायरल किया जा रहा है वह राजस्थान के भरतपुर किले में स्थित लौह स्तम्भ का है.
Our Sources
Image posted on flicker, Dated 19 Oct 2009.
Delhi Government Tourism website
Conversation with former Allahabad University Professor of Medieval History Haremb Chaturvedi
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