Authors
A self-taught social media maverick, Saurabh realised the power of social media early on and began following and analysing false narratives and ‘fake news’ even before he entered the field of fact-checking professionally. He is fascinated with the visual medium, technology and politics, and at Newschecker, where he leads social media strategy, he is a jack of all trades. With a burning desire to uncover the truth behind events that capture people's minds and make sense of the facts in the noisy world of social media, he fact checks misinformation in Hindi and English at Newschecker.
सोशल मीडिया पर एक तस्वीर शेयर कर राजस्थान में एक दलित परिवार की 3 बहनों के एक साथ IAS बनने का दावा किया गया.
भारत में कई ऐसे IAS officers (आईएएस ऑफिसर्स) हैं, जिनके परिवार की आर्थिक दशा ठीक ना होने के बावजूद भी उन्होंने UPSC की परीक्षा उत्तीर्ण की. Newschecker के एक विश्लेषण के अनुसार, सोशल मीडिया पर भावनात्मक अपील वाले दावे ज्यादा शेयर किये जाते हैं क्योंकि इन्हे देखकर यूजर्स भावुक जाते हैं. ऐसे में काफी संघर्ष के बाद UPSC परीक्षा में उत्तीर्ण हुए किसी व्यक्ति की बात हो या फिर प्रतिकूल परिस्थितियों में भी विजेता बनकर उभरने वाले लोगों की कहानी, ऐसे पोस्ट्स के वायरल होने के आसार ज्यादा होते हैं.
इसी क्रम में सोशल मीडिया यूजर्स द्वारा एक तस्वीर शेयर कर राजस्थान में एक दलित परिवार की 3 बहनों के एक साथ IAS बनने का दावा किया गया.
Fact Check/Verification
राजस्थान में एक दलित परिवार की 3 बहनों के एक साथ IAS बनने के दावे के साथ शेयर की जा रही वायरल तस्वीर की पड़ताल के लिए, हमने इसे ‘तीन बहनें प्रशासनिक सेवा’ कीवर्ड्स के साथ गूगल पर ढूंढा. इस प्रक्रिया में हमें ‘Youngisthan Hindi’ द्वारा साल 2017 में प्रकाशित एक लेख प्राप्त हुआ, जिसमें वायरल तस्वीर मौजूद है.
‘Youngisthan Hindi’ द्वारा 6 दिसंबर, 2017 को प्रकाशित लेख के अनुसार, राजस्थान के जयपुर जिले के ‘सारंग का बास’ गांव की रहने वाली मीरा देवी की तीनों लड़कियों ने 2017 में एक साथ राजस्थान प्रशासनिक सेवा, यानी आरएएस (राजस्थान लोक सेवा आयोग) की परीक्षा उत्तीर्ण की थी. लेख के अनुसार, मीरा देवी के पति का देहांत हो चुका था, ऐसे में विषम परिस्थितियों में भी उन्होंने अपनी बेटियों की पढाई बंद ना कर उन्हें इसके लिए प्रोत्साहित किया. RPSC (राजस्थान लोक सेवा आयोग) की परीक्षा में सबसे बड़ी बहन कमला चौधरी को ओबीसी वर्ग में 32वां स्थान प्राप्त हुआ था. दूसरी बहन गीता ने 64वां और ममता ने 128वां स्थान हासिल किया था.
उक्त रिपोर्ट के आधार पर हमने ‘कमला चौधरी ओबीसी 32वां’ कीवर्ड्स को गूगल पर ढूंढा. इस प्रक्रिया में हमें दैनिक जागरण द्वारा 24 नवंबर, 2017 को प्रकाशित एक लेख में भी यह बताया गया है कि तस्वीर में नजर आ रही तीनों बहनों ने राजस्थान प्रशासनिक सेवा में सफलता प्राप्त की थी। गौरतलब है कि वायरल दावे में तीनों बहनों के उपनाम (सरनेम) को ‘चौधरी’ की जगह ‘जाटव’ बताया गया है.
हमने RPSC (Rajasthan Public Service Commission) की वेबसाइट पर 2017 के RAS (Rajasthan Administrative Services) परीक्षा में उत्तीर्ण छात्रों के नाम जानने का प्रयास किया, लेकिन वेबसाइट पर परीक्षार्थियों के नाम की जगह रोल नंबर लिखे होने की वजह से हमें कोई ठोस जानकारी प्राप्त नहीं हो सकी.
The Lallantop द्वारा 27 नवंबर, 2017 को प्रकाशित एक लेख में आज तक के संवादाता ने मीरा देवी से बात की, जहां उन्होंने बेटियों की पढ़ाई को लेकर अपने संघर्ष के बारे में बताया है। इसके अतिरिक्त लेख में यह जानकारी भी दी गई है कि बड़ी बहन कमला चौधरी कर विभाग में असिस्टेंट टैक्स अफसर के पद पर तैनाती मिली, तो वहीं दूसरी बेटी गीता चौधरी ने पटवारी के लिए चयन होने के बाद आरएएस की तैयारी के लिए नौकरी नहीं की.
Conclusion
इस प्रकार हमारी पड़ताल में यह स्पष्ट है कि राजस्थान में एक दलित परिवार की 3 बहनों के एक साथ IAS बनने का यह दावा भ्रामक है. यह खबर 2017 की है. हमारी पड़ताल के दौरान प्राप्त मीडिया रिपोर्ट्स में तीनों बहनों को ओबीसी वर्ग का बताया गया है, जबकि वायरल दावे में उन्हें दलित परिवार का बताते हुए उनके उपनाम (सरनेम) में ‘चौधरी’ की जगह ‘जाटव’ लिखा गया है.
Result: Misleading
Our Sources
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A self-taught social media maverick, Saurabh realised the power of social media early on and began following and analysing false narratives and ‘fake news’ even before he entered the field of fact-checking professionally. He is fascinated with the visual medium, technology and politics, and at Newschecker, where he leads social media strategy, he is a jack of all trades. With a burning desire to uncover the truth behind events that capture people's minds and make sense of the facts in the noisy world of social media, he fact checks misinformation in Hindi and English at Newschecker.